आगरा के थाना किरावली के गांव बाकंदा खास में पिता के सामने खेत पर बने कुएं में गिरने से पांच साल के रिहांश की माैत के बाद से परिवार में चीख-पुकार मची है। मां मनोज देवी के आंसू नहीं रुक रहे हैं। वह बार-बार बेटे को पुकार रही हैं। पिता रामगोपाल सिंह का भी हाल बेहाल है। वह भी रोये जा रहे हैं। रविवार को बच्चे के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। वहीं पीड़ित परिवार से मिलने के लिए गांव के अलावा अन्य लोग भी पहुंचे।
रुला देंगी तस्वीरें: अंधेरे कुएं में समाई रिहांश की हंसी...33 घंटे बाद मिली लाश, बेसुध हुए पिता और मां
आगरा के किरावली के गांव बाकंदा में जिस रिहांश की हंसी से परिवार चहक रहा था, अब वहां मौत का सन्नाटा है। रिहांश की लाश देख पिता बेसुध हो गया। वहीं मां रोते-रोते बेहोश हो गई।
रात करीब 1 बजे पोस्टमार्टम के बाद शव घर पहुंचा तो चीख-पुकार मच गई। बेटे का शव देख मां बेसुध हो गईं। मां बार-बार बेटे को पुकार रही थीं और बार-बार बेहोश हो रही थीं। उन्हें परिवार की महिलाओं ने किसी तरह संभाला। रविवार सुबह करीब सात बजे बच्चे का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
किसान की पत्नी को दो साल से कैंसर
रामगोपाल सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी मनोज देवी को कैंसर है। उनका उपचार चल रहा है। इलाज में दो साल में पांच लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। उनके पाास चार बीघा जमीन है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से परिवार का खर्च भी नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसे में सरकार की तरफ से मदद की आस है। ग्रामीणों ने कहा कि पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद के रूप में 50 लाख की सहायता दी जाए। साथ ही मांग करते हुए कहा कि सभी कुओं पर जाल लगाया जाए। मनोज देवी के पिता निरंजन ने कहा कि तहसील प्रशासन बेटी का आयुष्मान कार्ड बनाए, जिससे उसका उपचार कराया जा सके।
मुख्यमंत्री राहत कोष से मिले सहायता
परिवार को सांत्वना देने के लिए बड़ी संख्या में लोग गांव पहुंचे। इनमें राम भरोसी, भुल्लन सिंह, मान सिंह, रमेश सिंह, प्रमोद कुमार, हुकुम सिंह, शिवराज सिंह, किसान सेना प्रमुख मुकेश डागुर भी शामिल रहे। उन्होंने पीड़ित परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता राशि दिलाने की मांग की। तहसीलदार किरावली दीपांकर ने बताया कि मृतक के परिवार को नियमानुसार आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी।
खुले कुएं बन सकते हैं जानलेवा, प्रशासन करे ढकने के इंतजाम
किरावली के गांव बाकंदा खास में कुएं में गिरकर बच्चे की माैत के बाद खुले पड़े कुओं को लेकर लोगों की चिंता बढ़ गई है। बाकंदा खास के बुजुर्ग मान सिंह (70) ने बताया कि गांवों में कई पुराने कुएं खुले पड़े हैं। कुओं के पास दीवार तक नहीं बनी हैं। जाल भी नहीं लगाए गए हैं। कई कुएं तो झाड़ियों में छिपे हुए हैं। इस वजह से बच्चों और बड़ों के साथ ही जानवर भी हादसे का शिकार हो सकते हैं।