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UP: जेई की पिटाई, गिरेबान पकड़ा...थप्पड़ से शुरू हुई मार्केट के जमींदोज करने की कहानी; मेरठ से लखनऊ तक थी गूंज

अमर उजाला नेटवर्क, मेरठ Published by: शाहरुख खान Updated Mon, 27 Oct 2025 12:53 PM IST
सार

मेरठ की सेंट्रल मार्केट में कॉम्प्लेक्स साल 1990 और 2013 में आवास विकास के अफसरों से व्यापारियों की खींचतान हुई थी। निर्माण पर आपत्ति के बाद विरोध के दौरान अभियंताओं के साथ अभद्रता और मारपीट हो गई थी। 

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Meerut Central Market complex Dispute escalated from indecency with the junior engineer to demolition
अवैध काम्पलेक्स का अंतिम पिलर 11.51.58 बजे गिरा तो 22 सेकेंड में तीन मंजिला इमारत भरभराकर गिर गई - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
मेरठ की सेंट्रल मार्केट में कॉम्प्लेक्स के खिलाफ चल रही कार्रवाई के बीच कुछ व्यापारियों में यह भी चर्चा रही कि कुछ साल पहले आवास विकास के अफसरों के साथ हुई खींचतान भी उन्हें भारी पड़ी है। 1990 और 2013 में निर्माण पर आपत्ति के बाद विरोध के दौरान अभियंताओं के साथ अभद्रता और मारपीट हो गई थी। इसके बाद से विभागीय अफसरों ने इसे प्रतिष्ठा का विषय बना लिया। उनके बीच शुरू हुआ विवाद अब ध्वस्तीकरण तक पहुंच गया है। हालांकि व्यापारी यह बात कहते हुए अपना नाम उजागर करने से इन्कार करते रहे।


कुछ व्यापारियों के अनुसार, 1990 में जब कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया जा रहा था, तब आवास विकास के अवर अभियंता सूचना पर पहुंचे। उन्होंने निर्माण पर आपत्ति जताई और रोकने को कहा। बताया जाता है कि अवर अभियंता का उस समय व्यापारी नेता विनोद अरोड़ा ने गिरेबान पकड़ लिया था। 
 
Meerut Central Market complex Dispute escalated from indecency with the junior engineer to demolition
अवैध काम्पलेक्स का अंतिम पिलर 11.51.58 बजे गिरा तो 22 सेकेंड में तीन मंजिला इमारत भरभराकर गिर गई - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
कुछ लोगों ने मारपीट कर दी थी। अवर अभियंता ने थाना नौचंदी में मामला दर्ज कराया था। इसके बाद 19 सितंबर 1990 को आवास विकास ने कारण बताओ नोटिस भेजकर अवैध निर्माण रोकने को कहा। 
 
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Meerut Central Market complex Dispute escalated from indecency with the junior engineer to demolition
ध्वस्त होने के बाद सूना पड़ा सेंट्रल मार्केट - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
नौ फरवरी 2004 को आवंटित भूखंड का अवैध रूप से उपयोग किए जाने तथा वाणिज्यिक उद्देश्य से किए गए निर्माण को ध्वस्त करने के निर्देश दिए गए। इस पर विनोद अरोड़ा सहित अन्य ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके चलते 23 मार्च 2005 को ध्वस्तीकरण के आदेश पारित कर दिए गए। बाद में मामला अदालतों में चलता रहा। कुछ साल पहले विनोद अरोड़ा का निधन हो चुका है।
Meerut Central Market complex Dispute escalated from indecency with the junior engineer to demolition
अवैध काम्पलेक्स का अंतिम पिलर 11.51.58 बजे गिरा तो 22 सेकेंड में तीन मंजिला इमारत भरभराकर गिर गई - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
बाद में अगस्त 2013 में अधीक्षण अभियंता अरविंद कुमार के नेतृत्व में ऊपरी तल के निर्माण को रुकवाने के लिए टीम पहुंची। उनके साथ भी व्यापारियों ने अभद्रता कर दी। अधिकारियों और कर्मचारियों को घेर लिया गया था और मारपीट में कपड़े तक फट गए थे। तब ध्वस्तीकरण के लिए फोर्स मांगी गई लेकिन त्योहार होने के कारण फोर्स नहीं मिल सकी थी। 
 
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जमीदोज हुए कम्पलैक्स के बाद उठता धुल का गुबार - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
उन्होंने इसे स्वाभिमान पर चोट की तरह लिया और विभाग की ओर से हाइकोर्ट में रिट दाखिल की गई। इस पर दिसंबर 2014 में हाईकोर्ट ने 661/6 के ध्वस्तीकरण के आदेश दिए थे। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अवैध निर्माण पर कार्रवाई चल रही है।
 
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