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UP: 10 और 16 साल की उम्र में नहीं लगवाया यह टीका तो हो सकती है मौत, जानें क्या कहते हैं चिकित्सक
धर्मेंद्र त्यागी, अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Mon, 15 Dec 2025 11:35 AM IST
सार
गले में खराबी और बुखार होना सामान्य है। कई मामलों में देखने को मिलता है कि गले में खराबी की समस्या के साथ ही लोगों के गले के अंदर सफेद या ग्रे रंग की एक परत जमने लगती है। इस स्थिति को नजरअंदाज न करें, यह डिप्थीरिया का संकेत हो सकता है।
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गले में संक्रमण
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया...ये कीटाणु समय के साथ मारक हो रहा है। अब ये 16 साल तक की उम्र के किशोरों के लिए भी घातक साबित हो रहा है। इसके बढ़ते खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से 10 और 16 साल की उम्र में भी टीका लगवाया जा रहा है। सर्दी में डिप्थीरिया का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है।
सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि डिप्थीरिया (गलघोंटू) का टीका 5 साल तक के बच्चों को लगता था। ये कीटाणु खतरनाक होता जा रहा है। अब ये 16 साल तक के किशोरों में भी बीमारी की वजह बन रहा है। 2021 से अब तक गलघोंटू के 247 संदिग्ध मरीज मिले हैं। इसमें से 105 की उम्र 5 साल तक की है। 7 से 16 साल तक की उम्र के 142 मरीज पाए गए हैं।
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सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि डिप्थीरिया (गलघोंटू) का टीका 5 साल तक के बच्चों को लगता था। ये कीटाणु खतरनाक होता जा रहा है। अब ये 16 साल तक के किशोरों में भी बीमारी की वजह बन रहा है। 2021 से अब तक गलघोंटू के 247 संदिग्ध मरीज मिले हैं। इसमें से 105 की उम्र 5 साल तक की है। 7 से 16 साल तक की उम्र के 142 मरीज पाए गए हैं।
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इससे बचाव के लिए डिप्थीरिया का टीका 10 साल और 16 साल की उम्र में भी लगाया जा रहा है। इसके लिए स्कूलों में अभियान चलाकर टीकाकरण कराया जा रहा है। 10 और 16 साल के किसी बच्चे को टीका नहीं लगा है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इसकी डोज जरूर लगवाए। 10 साल की उम्र में टीका नहीं लग पाने पर 11 साल की उम्र में भी टीका लगाया जा सकता है। टीका नहीं लगने से मरीज की जान को खतरा रहता है।
पांच साल की उम्र में लगती है बूस्टर डोज
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. उपेंद्र कुमार ने बताया कि पेंटा डोज के साथ एक साल के बच्चे में डिप्थीरिया की तीन डोज लगती हैं। 16-24 महीने के बीच में दूसरी डोज लगती है। पांच साल की उम्र में बूस्टर डोज लगाई जाती है। 16 साल तक के किशोरों में भी बीमारी मिलने पर 10 और 16 की उम्र में भी एक-एक डोज लगा रहे हैं। इसके लिए स्कूलों में भी अभियान चल रहा है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. उपेंद्र कुमार ने बताया कि पेंटा डोज के साथ एक साल के बच्चे में डिप्थीरिया की तीन डोज लगती हैं। 16-24 महीने के बीच में दूसरी डोज लगती है। पांच साल की उम्र में बूस्टर डोज लगाई जाती है। 16 साल तक के किशोरों में भी बीमारी मिलने पर 10 और 16 की उम्र में भी एक-एक डोज लगा रहे हैं। इसके लिए स्कूलों में भी अभियान चल रहा है।
कीटाणु के जहर से नाक-गले में होता है गंभीर संक्रमण
डब्ल्यूएचओ की सर्विलांस मेडिकल ऑफिसर डॉ. महिमा चतुर्वेदी ने बताया कि कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया कीटाणु से गलघाेंटू बीमारी होती है। ये कीटाणु जहर छोड़ता है, जिससे नाक और गले में गंभीर संक्रमण होता है। ये संक्रमित के खांसने-छींकने से फैलता है। 5 से 16 साल की उम्र के मरीज मिलने पर 10 और 16 की उम्र में भी टीका लगाया जा रहा है।
डब्ल्यूएचओ की सर्विलांस मेडिकल ऑफिसर डॉ. महिमा चतुर्वेदी ने बताया कि कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया कीटाणु से गलघाेंटू बीमारी होती है। ये कीटाणु जहर छोड़ता है, जिससे नाक और गले में गंभीर संक्रमण होता है। ये संक्रमित के खांसने-छींकने से फैलता है। 5 से 16 साल की उम्र के मरीज मिलने पर 10 और 16 की उम्र में भी टीका लगाया जा रहा है।
72 घंटे में डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन इंजेक्शन से बचती है जान
एसएन के ईएनटी रोग विभाग के डॉ. अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि कम तापमान में अधिक प्रभावी होने के कारण नवबंर, दिसंबर और जनवरी में डिप्थीरिया का खतरा अधिक होता है। इसके 12-15 मरीज ओपीडी में आते हैं। इसमें तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और गले के आसपास सूजन आती है। लक्षण मिलने पर 72 घंटे में डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन इंजेक्शन से जान बच सकती है।
एसएन के ईएनटी रोग विभाग के डॉ. अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि कम तापमान में अधिक प्रभावी होने के कारण नवबंर, दिसंबर और जनवरी में डिप्थीरिया का खतरा अधिक होता है। इसके 12-15 मरीज ओपीडी में आते हैं। इसमें तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और गले के आसपास सूजन आती है। लक्षण मिलने पर 72 घंटे में डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन इंजेक्शन से जान बच सकती है।
बीते चार साल के आंकड़े
247: संदिग्ध मरीज डिप्थीरिया के मिले
105: मरीजों की उम्र पांच साल से कम
142: मरीजों की उम्र 6 से 16 साल।
72: घंटे में इंजेक्शन से बच सकती है जान
247: संदिग्ध मरीज डिप्थीरिया के मिले
105: मरीजों की उम्र पांच साल से कम
142: मरीजों की उम्र 6 से 16 साल।
72: घंटे में इंजेक्शन से बच सकती है जान