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UP: सब्जी में छौंक लगाते समय न करें ये गलती, अस्थमा-एलर्जी की हो जाएंगी शिकार; गृहिणी इन बातों का रखें ध्यान

धर्मेंद्र त्यागी, अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Mon, 15 Dec 2025 12:01 PM IST
सार

रसोई और घरों में हवा का आवागमन बेहतर नहीं होने से 12 फीसदी महिलाओं को परेशानी हो रही है। इस समस्या को लेकर जेसीकॉन में डॉक्टरों ने मंथन किया। 

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Kitchen Smoke Emerging as Silent Health Threat for Women
अस्थमा और एलर्जी
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विस्तार
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दाल-सब्जी में लगाए जाने वाले तड़के के धुएं से महिलाओं में अस्थमा, एलर्जी और सूखी खांसी की समस्या बढ़ रही है। 12 फीसदी महिलाओं में ये परेशानी मिल रही है। खासतौर से जिन घरों के रसोई में हवा की निकासी बेहतर नहीं है। मॉल रोड स्थित होटल में जीरियाट्रिक सोसाइटी ऑफ इंडिया (जीएसआई) की कार्यशाला जेसीकॉन-2005 में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने ये बातें कहीं। तीन दिवसीय कार्यशाला में करीब 500 विशेषज्ञों ने बुजुर्गाें की बीमारी और बचाव पर भी मंथन किया।
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कोयंबटूर की डॉ. अनुपमा मूर्ति ने बताया कि घरों के प्रदूषण से भी अस्थमा-सांस की दिक्कत बन रही है। इनमें महिलाएं ज्यादा प्रभावित हैं। रसोई में खाना बनाते समय छौंक लगाने से तेल-घी का धुआं नलिकाओं में पहुंचकर खांसी, गले में खराश, जलन, एलर्जी की परेशानी बन रहा है। लंबे समय तक ऐसी स्थिति से अस्थमा का भी खतरा है।

 
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आयोजन अध्यक्ष डॉ. सुनील बंसल ने बताया कि बुजुर्गाें में डिमेंशिया या एल्जामइर (याददाश्त कमजोर होना) की परेशानी बढ़ रही है। खासतौर से मधुमेह से पीड़ित मरीजों में तीन गुना खतरा है। अगर किसी मरीज को मधुमेह 15-20 साल से है तो हर दूसरे में डिमेंशिया का खतरा है। सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ ने बताया कि बढ़ती उम्र में मल्टीपल बीमारियां हो रही हैं।

 

डॉ. कैलाश विश्वानी ने बुजुर्गाें में फैटी लिवर की बढ़ती परेशानी पर चिंता जताई। कहा कि इससे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, हृदय राेग, लकवा का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। कार्यशाला में 40 शोधपत्र पढ़े गए। डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने योग कराया। डॉ. आशीष गौतम, डॉ. अंजना पांडे, डॉ. एमएम सिंह, डॉ. एके गुप्ता, डॉ. ओपी शर्मा, डॉ. शम्मी कालरा, डॉ. प्रभात अग्रवाल, डॉ. निखिल पुरसनानी, डॉ. वीएन कौशल, डॉ. विजय खुराना आदि मौजूद रहे।


 

मांसपेशियां-हड्डियां कमजोर होने से बार-बार फ्रैक्चर
 फिरोजाबाद के डॉ. एसपीएस चौहान ने बताया कि वृद्धावस्था में ऑस्टियोपोरोसिस से हड्डियां कमजोर हो रही हैं। सार्काेपेनिया के चलते मांसपेशियां कमजोर मिल रही हैं। इससे 80 फीसदी बुजुर्ग चलते-फिरते या फिर बाथरूम में गिरकर चोटिल हो रहे हैं। बार-बार फ्रैक्चर भी मिल रहे हैं। ऐसे बुजुर्गों की फिजियोथेरेपी कराई जाए। इसके बचाव के लिए बाथरूम में स्टूल रखें, टाइल्स लगाने से बचें और टॉयलेट में हैंडल लगवाएं।

 

अनियंत्रित मधुमेह से किडनी और रेेटिनोपैथी की समस्या
डॉ. बीके अग्रवाल ने बताया कि अनियंत्रित मधुमेह से रेटिनोपैथी की परेशानी बन रही है। इससे आंखों की रोशनी तेजी से कम हो रही है। पेरिफेरल न्यूरोपैथी की भी दिक्कत है। इसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बाहर की नसें क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। इससे हाथ-पैरों में सुन्न, झनझनाहट की दिक्कत मिल रही है। फिरोजाबाद के डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि वृद्धावस्था में अनियंत्रित मधुमेह से 45 फीसदी बुजुर्ग किडनी की समस्या से जूझ रहे हैं। मधुमेह के कारण अल्सर, जननांगों के पास खुजली, फंगल इंफेक्शन, घाव की परेशानी भी बन रही है।





 

इन बातों का रखें ध्यान
- रसोई में हवा की बेहतर निकासी हो।
- छौंक में कम तेल का उपयोग करें।
- रसोई में एग्जाॅस्ट या चिमनी लगाएं।
- बीपी, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल और वजन नियंत्रित रखें।
- फल, हरी सब्जी, गाजर, टमाटर, बादाम, अखरोट खाएं।
- शारीरिक क्षमता के हिसाब से रोजाना पैदल चलें, व्यायाम करें।
- एल्कोहल, धूम्रपान और फास्टफूड का सेवन न करें।
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