सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Agra News ›   Waiting 42 Years for Justice: Survivor Demands Death Penalty for Family Killers

धरैरा हत्याकांड: कुल्हाड़ी से काट दिया था पूरा परिवार, पांच में से सिर्फ बचीं थी भूरी...बोलीं- अब इंसाफ की आस

अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Mon, 15 Dec 2025 10:14 AM IST
सार

आगरा के एत्मादपुर के गांव धरैरा में पांच परिजनों को खोने वाली भूरी देवी बोलीं कि अदालत से इंसाफ की आस है। सजा दिलाने के लिए वे पैरवी करेंगी।
 

विज्ञापन
Waiting 42 Years for Justice: Survivor Demands Death Penalty for Family Killers
भूरी - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

 4 साल की थी जब मेरे सिर से मां-पिता का साया छीन लिया। न जाने मैं कैसे बच गई। मगर अनाथ हो गई। मासूम भाई-बहन को भी नहीं बख्शा। उनका तो कोई कसूर भी नहीं था। एत्मादपुर के गांव धरैरा में हुए पांच लोगों की हत्या के दाैरान एकमात्र बचने वाली मृतक किसान सुखस्वरूप की बेटी 46 वर्षीय भूरी देवी उर्फ नीतू (तब 4 साल की थीं) ने जब तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के बारे में सुना तो उनके जेहन में हत्याकांड की याद ताजा हो गई। उन्होंने घटना के बारे में सिर्फ परिवार के लोगों से बात करते ही सुना था। तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अमर उजाला टीम ने उनसे बात की। वह एक ही बात बोल रही थीं कि जिसने भी उसके अपनों की जान ली है, उन्हें अदालत सख्त सजा दे। वह फांसी की सजा दिलाने के लिए मजबूत पैरवी कराएंगी।
Trending Videos

गांव धरैरा में 3 अगस्त 1983 को हत्याकांड हुआ था। गांव के रहने वाले सुख स्वरूप (25), उनकी मां कटोरी देवी (50), पत्नी राजवती (23), बेटे श्याम (7) और बेटी कल्लो (2) की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना में एक मात्र चार साल की भूरी बच गई थी। घटना के समय वह घर के भूतल पर जीने के नीचे बनी जगह में चारपाई पर सो रही थी। उसकी दादी कटोरी देवी घर के चबूतरे पर थीं। वहीं मां-पिता, भाई और बहन छत पर सो रहे थे। पहले दादी को मारा गया। बाद में छत पर सो रहे चारों की हत्या कर दी गई।

 
विज्ञापन
विज्ञापन

हत्याकांड में मंजू सिंह पाल, अजय पाल, रामपाल, कैश, राजपाल, सज्जन, गज सिंह का बेटा सुमरपाल और नाैकर मानिकचंद को पुलिस ने आरोपी बनाया। 1985 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद सभी को जमानत मिल गई। जेल से बाहर आने के बाद आरोपी राजपाल, सज्ज्नपाल और मानिकचंद कभी कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। तीनाें की पुलिस को तलाश थी। अन्य की मृत्यु हो गई है।
 

परिजनों ने बताया कि सुखस्वरूप की बेटी भूरी देवी छोटी थी। उसने परिजन के चीखने की आवाज सुनी थी। वह जाग गई थी। बाहर जैसे ही निकली, आरोपियों ने लोहे के जाल से उस पर तमंचे से फायर किया था। मगर वो बच गई थी। बाद में वो चारपाई के नीचे छिप गई। घर से फायरिंग की आवाज आने पर गांव के लोग जाग गए। यह देखकर आरोपी भाग निकले थे। घटना के बाद अकेली रह गई भूरी को नाना गाैरीशंकर अपने साथ घर इरादत नगर के गांव नगला पाटम ले गए, जहां उन्होंने उसकी परवरिश की।
 

उनके मामा राजवीर बताते हैं। भूरी को घटना के बारे में ठीक से याद भी नहीं है। उससे ज्यादा जिक्र भी नहीं किया। वह उसे हर पल यही कहते थे कि आरोपियों को सजा मिलेगी। वर्ष 2009 में नाना गाैरीशंकर की मृत्यु के बाद भूरी की जिम्मेदारी मामा ने संभाल ली। उसको पढ़ाने के बाद शादी कर दी। अब वह शिक्षामित्र हैं। स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए जाती हैं। एक बेटी और एक बेटा है। 25 नवंबर को उनकी बेटी गुड्डन की शादी हुई है।
 

42 साल से न्याय का इंतजार
मृतक सुखस्वरूप की बेटी भूरी देवी वर्तमान में शमसाबाद के गांव चिताैरा में रह रही हैं। उनको जब रविवार सुबह तीन आरोपियों राजपाल, सज्जनपाल और मानिकचंद की गिरफ्तारी का पता चला तो उनके जेहन में घटना की याद ताजा हो गई। उन्होंने कहा कि बचपन में ही आरोपियों ने मां-पिता का साया छीन लिया। उसके भाई-बहन तक नहीं बचे। अगर नाना नहीं होते तो काैन उनका सहारा बनता। 42 साल से उसे न्याय का इंतजार है। आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। वह भगवान से हर दिन यही प्रार्थना करती हैं कि कोर्ट अपना फैसला जल्द सुनाए। वह इस मामले में अब पैरवी करेंगी।
 

मजबूरी में बेच दी 55 बीघा जमीन और मकान
राजवीर सिंह ने बताया कि बहन राजवती की शादी वर्ष 1973 में सुखस्वरूप से की थी। सुखस्वरूप के हिस्से में 55 बीघा जमीन थी। वह इकलाैते थे। इस कारण जमीन पूरी उनके हिस्से में आने वाली थी। वहीं चाचा कुंवरपाल के 6 बेटे थे। उनकी जमीन कम थी। इस कारण सुखस्वरूप की जमीन पर कब्जा करना चाहते थे। इसकी जानकारी पर सुखस्वरूप अपने हिस्से की जनीन को बेचने की तैयारी कर रहे थे। वह शमसाबाद में रहना चाहते थे, जिससे अपने ससुराल के निकट रह सकें। इस बात की भनक आरोपियों हो गई थी। इस वजह से ही उन्होंने हत्याकांड की योजना बनाई। छत के रास्ते से घर में दाखिल हो गए। दरवाजे पर बने चबूतरे पर सो रही मां को मारने के बाद अन्य को भी माैत की नींद सुला दिया। घटना के बाद उन्होंने कम दाम में ही सारी जमीन और मकान बेच दिया। इसके बाद कभी आरोपियों के गांव का रुख नहीं किया।

 

गांव में खंडहर बन गया हंसता-खेलता घर
रविवार को अमर उजाला की टीम गांव धरैरा पहुंची। उस मकान को देखा जहां पर पांच लोगों की हत्या हुई थी। मकान की दीवार नहीं बची हैं। चारों तरफ झाड़ियां उगी हुई थीं। एक पत्थर बचा हुआ था। इसके बारे में ग्रामीणों ने बताया कि यह पत्थर घर के आंगन में लगा हुआ था। इसमें ही बच्चे खेलते थे। परिवार के लोग बैठा करते थे। इसमें ही भूरी छिप गई थीं। इसके ऊपर ही एक लोहे का जाल लगा हुआ था। आरोपी छत पर आए थे। हत्याकांड को अंजाम दिया था। मृतक किसान की मां बाहर चबूतरे पर सो जाती थीं। घरों में बच्चों के खेलने कूदने की आवाज की जगह 42 साल में खंडहर बन चुकी है। सामने ही आरोपियों के घर भी हैं।

 

आरोपियों के परिजन बोले, हत्याकांड की नहीं जानकारी
आरोपी राजपाल की पत्नी गीता देवी ने बताया कि वह नहीं जानती कि घटना कब हुई। उसकी शादी घटना के काफी साल बाद हुई। परिवार के लोगों ने भी घटना के बारे में कभी नहीं बताया। पुलिस आई और पति को गिरफ्तार कर ले गई। तब उन्हें उनके आरोपी होने के बारे में जानकारी हुई। उनकी उम्र भी 74 साल है। वह बीमार रहते हैं। अब जेल में कैसे इलाज करा पाएंगे। खेत भी दो बीघा ही बचा है। बच्चे मजदूरी करते हैं। वहीं आरोपी सज्जन के दो बेटे पवन और संदीप हैं। फैक्टरी में काम करते हैं। उन्हें भी हत्याकांड के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मानिक चंद गांव में अकेले ही थे। उनका परिवार गांव से बाहर रहता है।

 

पुलिस की नाकामी, घर में ही रहकर करा रहे थे इलाज
हत्याकांड के मामले में आरोपियों के पकड़े जाने के बाद उनके परिजन का कहना था कि पुलिस ने पहले कभी दबिश नहीं दी। तीनों लोग घर में ही रह रहे थे। उम्र अधिक होने की वजह से बीमार रहते हैं। इस कारण उनका इलाज भी चल रहा था।

 

घटना वाली सुबह यादकर दहल जाते हैं लोग
गांव की रहने वाली एक वृद्धा ने बताया कि घर से चीखपुकार सुनकर वो जाग गई थीं। वह सुख स्वरूप के घर पहुंची। लाश देखकर सहम गई थीं। घटना के बाद मृतक परिवार के मकान की तरफ वर्षों तक कोई नहीं जाता था। गली के आसपास भी लोग नहीं घूमते थे। पड़ोसी नारायन सिंह और अमर सिंह मकान खाली करके चले गए हैं। उनके घरों पर ताले लगे हैं। वहीं पड़ोसी अतर सिंह के परिवार के लोग भी ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं। बस यही कह रहे थे कि तब बहुत छोटे थे।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed