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Fashion: दादी से लेकर बेटी की स्टाइल तक...बदल गई जूतियों की पहचान, जानें क्या है नया ट्रैंड
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Mon, 15 Dec 2025 10:13 AM IST
सार
फैशन के इस बदलाव ने न सिर्फ बाजार को नया रूप दिया है, बल्कि पारंपरिक कारीगरों के काम को भी नई पहचान दिलाई है। पीढ़ियों के साथ बदली यह जूती आज संस्कृति और आधुनिकता का सुंदर मेल बन चुकी है। मोती, बीड्स, जरी, सितारे और रंगीन पत्थरों और फूल-पत्ती से कढ़ाई उकेरी गई है।
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जूतियां
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
बाजार में मिलने वाली जूतियां कभी बुजुर्ग महिलाओं की जरूरत हुआ करती थीं लेकिन आज नई पीढ़ी की पसंद बन चुकी हैं। समय के साथ के इन जूतियों का रूप, रंग और डिजाइन बदला है। पहले जहां साधारण रंग और कम कढ़ाई वाली जूतियां पहनी जाती थीं, वहीं अब कांच वर्क, धागे की कढ़ाई, बीड्स और चमकीले रंगों से सजी जूतियां युवतियों को आकर्षित कर रही हैं। दादी जिस जूती को आराम के लिए पहनती थीं आज वही जूती बेटी और पोती के लिए आधुनिक फैशन बन गई हैं।
कीमत और बाजार का बदलाव
पहले जूतियां 100 से 150 रुपये में मिल जाती थीं लेकिन अब हाथ से बनी डिजाइनर जूतियां 800 से तीन हजार रुपये तक बिकती हैं। राजामंडी स्थित दुकानदार राजेश कुमार का कहना है कि युवतियां शादी, त्योहार और कॉलेज कार्यक्रम के लिए रंग-बिरंगी पारंपरिक जूतियों की मांग कर रही हैं। वहीं बुजुर्ग महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। वे आरामदायक डिजाइन को प्राथमिकता देती हैं, जिससे एक ही जूती कई पीढ़ियों को जोड़ने का काम कर रही है।
पहले चमड़े की होती थीं
सेवला निवासी अनीता आजाद ने बताया कि दादी के समय में यह जूतियां चमड़े की होती थीं लेकिन अब कपड़े की डिजाइनर रंग-बिरंगी जूतियां आ गई हैं।
नई कढ़ाई की जूतियां हैं मोहक
रोहता निवासी दीक्षा का कहना है कि बाजार में जयपुर की जूतियों के साथ चमड़े की जूतियां भी मिलती हैं लेकिन अधिकतर युवतियां ड्रेस की मैचिंग की पहनना पसंद करती हैं। अभी हाल ही नई कढ़ाई की जूतियां मिलने लगी हैं, जो मोहक लगती हैं।
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कीमत और बाजार का बदलाव
पहले जूतियां 100 से 150 रुपये में मिल जाती थीं लेकिन अब हाथ से बनी डिजाइनर जूतियां 800 से तीन हजार रुपये तक बिकती हैं। राजामंडी स्थित दुकानदार राजेश कुमार का कहना है कि युवतियां शादी, त्योहार और कॉलेज कार्यक्रम के लिए रंग-बिरंगी पारंपरिक जूतियों की मांग कर रही हैं। वहीं बुजुर्ग महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। वे आरामदायक डिजाइन को प्राथमिकता देती हैं, जिससे एक ही जूती कई पीढ़ियों को जोड़ने का काम कर रही है।
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पहले चमड़े की होती थीं
सेवला निवासी अनीता आजाद ने बताया कि दादी के समय में यह जूतियां चमड़े की होती थीं लेकिन अब कपड़े की डिजाइनर रंग-बिरंगी जूतियां आ गई हैं।
नई कढ़ाई की जूतियां हैं मोहक
रोहता निवासी दीक्षा का कहना है कि बाजार में जयपुर की जूतियों के साथ चमड़े की जूतियां भी मिलती हैं लेकिन अधिकतर युवतियां ड्रेस की मैचिंग की पहनना पसंद करती हैं। अभी हाल ही नई कढ़ाई की जूतियां मिलने लगी हैं, जो मोहक लगती हैं।