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Taj Mahal: ताज के मुख्य मकबरे के लिए बनीं लकड़ी की ये 22-22 सीढ़ियां...अब बदली जाएंगी, जानें क्या है वजह

प्रखर दीक्षित, अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Sat, 16 Aug 2025 08:09 AM IST
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सार

ताजमहल के मुख्य मकबरे की लकड़ी की सीढ़ियां जर्जर हो गई हैं। अब इनको बदला जाएगा। सैलानियों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए एएसआई ने ये फैसला लिया है। 

wooden stairs of the main mausoleum of Taj Mahal will be changed
ताजमहल - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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ताजमहल के मुख्य मकबरे में पर्यटकों के चढ़ने व उतरने के लिए लोहे के फ्रेम पर बनीं लकड़ी की 22-22 सीढ़ियों को बदला जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से यह काम किया जाएगा। इस बार स्टेनलेस स्टील के ढांचे के साथ साल की लकड़ी का इस्तेमाल कर मजबूत सीढ़ियों को तैयार किया जाएगा। इससे वह न सिर्फ लंबे समय तक चल सकेंगी, बल्कि पर्यटकों को भी चढ़ने-उतरने के दौरान असुविधा नहीं होगी। 
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मकबरे में लगी लकड़ी की सीढ़ियां ढीली हो गई थीं। साथ ही घिसने की वजह से पर्यटकों को मकबरे में चढ़ने-उतरने में परेशानी हो रही थी। कुछ पर्यटकों के पैर मुड़ने व गिरने के भी मामले सामने आए थे। इसी के बाद ताजमहल के अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों से इन सीढ़ियों को बदलने की अनुमति मांगी थी।
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वरिष्ठ सहायक संरक्षक ताज महल प्रिंस वाजपेयी ने बताया कि असल सीढ़िया संरक्षित रखने के लिए लकड़ी की सीढ़ियां बनाई गई थीं। उन्हें समय-समय पर बदला जाता है। पिछली बार करीब आठ साल पहले इन्हें बदला गया था। अब उनकी स्थिति को देखते हुए फिर से बदला जाएगा। इसके लिए उच्च स्तर से मंजूरी मिल चुकी है। काम को जल्द पूरा किया जाएगा ताकि पर्यटकों को असुविधा न हो।

गुंबद की मरम्मत का काम जारी
भारी बारिश के बाद पिछले 10 से 12 सितंबर के बीच मुख्य मकबरे के गुंबद पर लगे कलश से पानी के रिसाव के बाद मुख्य गुंबद पर चल रहा संरक्षण कार्य अभी भी जारी है। उस समय एएसआई ने ड्रोन कैमरे से ताजमहल के कलश की थर्मल इमेज ली थी, साथ ही लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) तकनीक से जांच की थी जिसमें दो जगह पानी के रिसाव की जानकारी मिली थी।

हाल ही में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की की टीम ने मुख्य मकबरे के गुंबद व कलश (पिनेकल) की थर्मल स्कैनिंग की है। सीबीआरआई जल्द ही ताजमहल के गुंबद व कलश में हुए पानी के रिसाव पर अपनी रिपोर्ट देगा। इसके आधार पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) संरक्षण को आवश्यक कदम उठाएगा। इससे पूर्व उसने 2015 में थ्रीडी लेजर स्केनिंग की थी, ताकि स्मारक के संबंध में सटीक जानकारी उपलब्ध रहे।
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