दिल्ली-एनसीआर के बाद अलीगढ़: हवा की गुणवत्ता सबसे खराब, सड़कों पर छाई धुंध, दोपहर लगी शाम जैसी
अलीगढ़ शहर की खराब होती वायु गुणवत्ता सीधे तौर पर शहरवासियों की सांसों पर भारी पड़ रही है। सबसे बुरा असर नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों पर पड़ रहा है।
विस्तार
दिल्ली-एनसीआर के बाद अब अलीगढ़ शहर की वायु गुणवत्ता (एक्यूआई) सबसे खराब स्थिति में पहुंच गई है। 12 नवंबर को शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक चिंताजनक रूप से 366 रहा, जो बहुत खराब श्रेणी को दर्शाता है। बुधवार को दिल्ली के एकता नगर में एक्यूआई 386 था। शहर में हवा की यह स्थिति ऐसी हो गई है कि लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है।
सड़कों पर उड़ती धूल, चल रहे विभिन्न निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल के कण, वाहनों से निकलने वाला धुआं, ये सभी मिलकर हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हद तक बढ़ा रहे हैं। जो सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है।
सांस लेने में बहुत ही तकलीफ हो रही है। घर से बाहर निकलते ही दम घुटने जैसा लगता है। गले में कांटे जैसे लग रहे हैं। इसी के लिए अस्पताल आया हूं।- श्योराज सिंह, मरीज, 70 वर्ष
दो दिन दिन से सांस नहीं आ रही है। बहुत घबराहट हो रही है। आंखों में जलन के साथ पानी आ रहा है। गला भी जकड़ रहा है। - शिवचरन, मरीज, 77 वर्ष
बढ़ती उम्र के कारण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और फेफड़े तथा हृदय पहले से ही संवेदनशील होते हैं।प्रदूषण के कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर अस्थमा के दौरे, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं को बढ़ाते हैं। इससे सांस लेने में गंभीर कठिनाई होती है।- डॉ. अंकुर अग्रवाल, फिजीशियन, डीडी अस्पताल
शहर में चल रहे निर्माण स्थल पर भी धूल और प्रदूषण को रोकने के इंतजाम नहीं हो रहे हैं, उन्हें नोटिस दिए जा रहे हैं। क्वार्सी फ्लाई ओवर के निर्माण से उड़ रही धूल के लिए दो बार नोटिस दिए गए और इंतजाम करने को कहा है। अन्य जगहों की भी निगरानी की जा रही है। डिवाइडर के अगल-बगल धूल जमा है जिसे हटाने के लिए नगर निगम से कहा गया है।-विश्वनाथ शर्मा, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
खराब होती हवा सांसों पर पड़ रही भारी
निर्माण स्थलों पर धूल रोकने के नहीं हैं इंतजाम
अलीगढ़ शहर में चल रहे निर्माण कार्य स्थलों पर उड़ रही धूल और गर्द पर पानी छिड़कने की कोई व्यवस्था नहीं है। बुधवार को जब पड़ताल की गई तो पाया क्वार्सी फ्लाई ओवर निर्माण स्थल पर वाटर स्प्रिंकलर शोपीस बना हुआ था। मैरिस रोड और चौराहे पर सड़क निर्माण स्थल पर स्प्रिंकलर की कोई व्यवस्था ही नहीं थी। जबकि निर्माण कार्य करने वाली एजेंसियां जब विभाग के समक्ष अपने दस्तावेज प्रस्तुत करते हैं तो उसमें निर्माण के दौरान सभी मानक जैसे सुरक्षा और पर्यावरण अनुकूल काम करने के सभी वादे करते हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्माण कार्य स्थल के संबंध में निर्देश
- साइट को कवर करना- निर्माण स्थल के चारों ओर उचित ऊंचाई की विंड ब्रेकर दीवारें खड़ी की जानी चाहिएं ताकि धूल उड़कर बाहर न जा सके।
- निर्माणाधीन क्षेत्र और मचान को पूरी तरह से हरे नेट या तिरपाल से ढका जाना चाहिए।
- साइट पर और कच्चे रास्तों पर धूल को दबाने के लिए नियमित रूप से पानी का छिड़काव (दिन में कम से कम दो बार) अनिवार्य है।
- 20,000 वर्ग मीटर से अधिक निर्मित क्षेत्र वाले बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन (जो बारीक पानी की बूंदों का छिड़काव करती है) लगाना अनिवार्य है।
- सीमेंट, रेत, बजरी, फ्लाई ऐश और विध्वंस मलबे जैसी धूल पैदा करने वाली सभी सामग्रियों को हमेशा कवर (तिरपाल या शेड के नीचे) करके रखना
- पत्थरों और अन्य निर्माण सामग्री की कटिंग या ग्राइंडिंग खुले में नहीं होगी।
- किसी भी प्रकार के निर्माण मलबे या सामग्री सार्वजनिक सड़कों या फुटपाथों पर डंप नहीं होगी।