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UP: खेल-खेल में बच्चों से स्टार्ट हुआ ट्रैक्टर... दीवार और वाहन के बीच भिंच गए दोनों; मासूम की दर्दनाक मौत
अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़
Published by: शाहरुख खान
Updated Wed, 22 Oct 2025 03:18 PM IST
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सार
यूपी में दर्दनाक हादसे में मासूम की मौत हो गई, जबकि उसकी बहन जिंदगी और मौत के बीच लड़ रही है। दरअसल, खेल-खेल में बच्चों से ट्रैक्टर स्टार्ट हो गया। चपेट में आकर मासूम की मौत हो गई। जबकि बहन की हालत गंभीर बनी है।
aligarh accident
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र के गांव सालपुर में दिवाली पर हुए एक हादसे से परिवार की खुशियां उजड़ गईं। खेल-खेल में बच्चों से ट्रैक्टर स्टार्ट हो गया और उसकी चपेट में आकर परिवार के ढाई साल के इकलौते बेटे कविश की मौत हो गई और उसकी बहन दिव्या (4) की हालत भी गंभीर बनी हुई है।
गांव सालपुर निवासी भीमसेन डागुर का परिवार सोमवार दोपहर को दिवाली की खुशियों में व्यस्त था। उन्होंने बताया कि उनके बड़े बेटे कर्मवीर और छोटे बेटे राजीव की चार बेटियां और एक बेटा बरामदे में खड़े ट्रैक्टर पर खेल रहे थे। राजीव बीएसएफ में कार्यरत हैं।
हादसे के वक्त राजीव का बेटा कविश (2.5) और बेटी दिव्या (4) ट्रैक्टर के आगे खेल रहे थे। अन्य बच्चे ट्रैक्टर पर थे। अचानक ट्रैक्टर स्टार्ट हो गया और वह चल पड़ा। कविश और दिव्या दीवार व ट्रैक्टर की बीच में भिच गए, कविश ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, दिव्या का सिर और चेहरा कुचल गया।
दीवार से टकराने के बाद ट्रैक्टर के पिछले पहिये घूम रहे थे। बच्चों की चीख सुनकर आईं महिलाओं ने हालत देख शोर मचाया। शोर सुनकर पहुंचे पड़ोसियों ने ट्रैक्टर को बंदकर उसे पीछे खींचा और बच्चों को बाहर निकाला।
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गांव सालपुर निवासी भीमसेन डागुर का परिवार सोमवार दोपहर को दिवाली की खुशियों में व्यस्त था। उन्होंने बताया कि उनके बड़े बेटे कर्मवीर और छोटे बेटे राजीव की चार बेटियां और एक बेटा बरामदे में खड़े ट्रैक्टर पर खेल रहे थे। राजीव बीएसएफ में कार्यरत हैं।
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हादसे के वक्त राजीव का बेटा कविश (2.5) और बेटी दिव्या (4) ट्रैक्टर के आगे खेल रहे थे। अन्य बच्चे ट्रैक्टर पर थे। अचानक ट्रैक्टर स्टार्ट हो गया और वह चल पड़ा। कविश और दिव्या दीवार व ट्रैक्टर की बीच में भिच गए, कविश ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, दिव्या का सिर और चेहरा कुचल गया।
दीवार से टकराने के बाद ट्रैक्टर के पिछले पहिये घूम रहे थे। बच्चों की चीख सुनकर आईं महिलाओं ने हालत देख शोर मचाया। शोर सुनकर पहुंचे पड़ोसियों ने ट्रैक्टर को बंदकर उसे पीछे खींचा और बच्चों को बाहर निकाला।
अस्पताल में डॉक्टरों ने कविश डागुर को मृत घोषित कर दिया, दिव्या का जेवर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। थाना प्रभारी अरुण कुमार का कहना है कि घटना संज्ञान में आई है, आकस्मिक हादसे का मामला है, इस संबंध में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।
चार बहनों का इकलौता भाई था कविश
परिवार ने देर रात को कविश का अंतिम संस्कार कर दिया है। वह चार बहनों के बीच इकलौता भाई था। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। मां, पिता और दादा बेसुध हैं। घटना के बाद पूरे गांव में मातम छा गया और त्योहार फीका पड़ गया।
परिवार ने देर रात को कविश का अंतिम संस्कार कर दिया है। वह चार बहनों के बीच इकलौता भाई था। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। मां, पिता और दादा बेसुध हैं। घटना के बाद पूरे गांव में मातम छा गया और त्योहार फीका पड़ गया।
दिवाली पर पटाखे और बाइक खरीदने गए थे पिता…घर पर बुझ गया इकलौता चिराग
अलीगढ़ में परिवार में दीपोत्सव का उल्लास, बीएसएफ में कार्यरत राजीव डागुर भी अवकाश लेकर घर आए हुए थे। सोमवार दोपहर को वह दीपावली के शुभ मुहुर्त में पर नई अपाचे खरीदने जट्टारी चले गए। बच्चों के लिए पटाखे-मिठाई भी लानी थी, इस दौरान घर पर हुआ एक परिवार की खुशियों पर कहर बनकर टूट पड़ा और इसमें उनके इकलौते बेटे की जान चली गई।
अलीगढ़ में परिवार में दीपोत्सव का उल्लास, बीएसएफ में कार्यरत राजीव डागुर भी अवकाश लेकर घर आए हुए थे। सोमवार दोपहर को वह दीपावली के शुभ मुहुर्त में पर नई अपाचे खरीदने जट्टारी चले गए। बच्चों के लिए पटाखे-मिठाई भी लानी थी, इस दौरान घर पर हुआ एक परिवार की खुशियों पर कहर बनकर टूट पड़ा और इसमें उनके इकलौते बेटे की जान चली गई।
इकलौते बेेटे कविश और बेटी दिव्या के ट्रैक्टर की चपेट में आने की सूचना जिस समय राजीव को मिली,उस समय वह शोरूम पर बाइक खरीद रहे थे। चचेरे भाई मंजीत भी साथ थे। पैसा जमा हो चुका था, बाइक की चॉभी उन्हें मिल चुकी थी। वह बाइक शोरूम पर ही छोड़कर तुरंत गांव लौट आए।
हादसे से गांव सालपुर के लोग स्तब्ध है। हादसे के वक्त कविश की मां सर्वेश घर के काम में जुटीं थीं। दादा भीमसेन छोटे बेटे राहुल के साथ खेतों पर पानी लगा रहे थे। इस दौरान बच्चे ट्रैक्टर के पास खेल रहे थे।
गांव के लोगों का कहना है कि इस ट्रैक्टर को परिवार भाग्यशाली मानता था और इस बात का जिक्र भी करता रहता। परिवार के मुखिया भीमसेन ने बताया कि करीब 10-12 साल पहले खेती के लिए ट्रैक्टर लिया था, जिसका परिवार को आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने में अहम योगदान रहा है। उसे घर के बरामदे में ही खड़ा किया जाता था। कुछ दिनों से ट्रैक्टर की चाबी ठीक से काम नहीं कर रही थी, जिसके कारण चाबी लगाते ही चालू हो रहा था। भगवान को कुछ और ही मंजूर था और यही ट्रैक्टर बेटे राजीव के वंश (नाती) की मौत का कारण बन गया।
पैदा होने के छह महीने बाद मां ने देखा था बेटे का मुंह
भीमसेन ने बताया कि बेटे कविश के पैदा होने के बाद उसकी मां सर्वेश गंभीर रूप से बीमार हो गई थी और छह माह तक उसका मुंबई में इलाज चला और दादी ने कविश का लालन-पालन किया। सर्वेश ने तो छह माह बाद बेेटे का मुंह देखा था।
भीमसेन ने बताया कि बेटे कविश के पैदा होने के बाद उसकी मां सर्वेश गंभीर रूप से बीमार हो गई थी और छह माह तक उसका मुंबई में इलाज चला और दादी ने कविश का लालन-पालन किया। सर्वेश ने तो छह माह बाद बेेटे का मुंह देखा था।
भीमसेन के तीन बेटे हैं, बड़ा बेटा कर्मवीर एसएसबी में, दूसरा बेटा राजीव बीएसएफ इंदौर में तैनात है और छोटा बेटा राहुल गांव में ही पिता के साथ खेती करता है।
भीमसेन ने बताया कि राजीव की 10 साल पहले सर्वेश से शादी हुई थी। पहली और दूसरी बेटी हुई, बाद में दो जुड़वां लड़कियां हुईं। इसके बाद भगवान ने सर्वेश को बेटा दिया, लेकिन बेटा पैदा होने के साथ ही पत्नी सर्वेश गंभीर रूप से बीमार हो गई और छह माह तक उसका इलाज चला थ।
