Aligarh News: अस्तपालों में तीन करोड़ के वेंटिलेटर फांक रहे धूल, मरीज भटकने को हैं मजबूर
अलीगढ़ में जेएन मेडिकल कॉलेज से लेकर दीनदयाल अस्पताल व जिला अस्पताल तक की इमरजेंसी में हर दिन मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत बताकर इधर से उधर रेफर किया जाता है। मरीज साधन संपन्न या सक्षम है तो इंतजाम कर लेता है लेकिन गरीब व कमजोर वर्ग के मरीज या तो सरकारी सिस्टम के सहारे हैं या फिर कर्ज लेने को मजबूर हो जाता है।

विस्तार
गरीब-कमजोर वर्ग के मरीजों को सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं मिलता। निजी अस्पताल का खर्च इतना कि उसे कर्ज के सहारे अपने मरीज के उपचार को मजबूर होना पड़ता है जबकि दीनदयाल संयुक्त चिकित्सालय व जिला अस्पताल में साढ़े तीन करोड़ रुपये के वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं। इनमें 25 वेंटिलेडर दीनदयाल व 10 जिला अस्पताल में रखे हैं।


अलीगढ़ जिले में जेएन मेडिकल कॉलेज से लेकर दीनदयाल अस्पताल व जिला अस्पताल तक की इमरजेंसी में हर दिन मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत बताकर इधर से उधर रेफर किया जाता है। मरीज साधन संपन्न या सक्षम है तो इंतजाम कर लेता है लेकिन गरीब व कमजोर वर्ग के मरीज या तो सरकारी सिस्टम के सहारे हैं या फिर कर्ज लेने को मजबूर हो जाता है।
ये बिल्कुल सही है कि हमारे यहां सर्वाधिक वेंटिलेटर हैं। अभी हम जितने वेंटिलेटर प्रयोग कर रहे हैं, उतने चिकित्सक हैं। बाकी स्टाफ व विषय विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए समय समय पर प्रदेश स्तर पर लिखा जाता है। तभी उनका भी प्रयोग हो सकेगा। बाकी जो भी सामान बंद है, उसे दिखवाया जाएगा। - डॉ. एमके माथुर, सीएमएस दीनदयाल अस्पताल।
डीडीयू : प्रयास मेडिकल के दर्जे का पर संसाधनों का टोटा
100 बेड की क्षमता वाले दीनदयाल संयुक्त अस्पताल को यदा कदा मेडिकल कॉलेज का दर्जा दिलाने का प्रयास होता है। ये हालात तब हैं कि 15 वेंटिलेटर का आईसीयू संचालन जैसे तैसे किया जा रहा है। कोविड के दौर में इस अस्पताल में 40 वेंटिलेटर बेड सहित 100 बेड का आईसीयू संचालित किया गया। उस समय जिले भर के डॉक्टर यहां लगा दिए गए। मगर सभी डॉक्टर वापस कर दिए गए। फिर इसके संचालन पर संकट शुरू हुआ। बाद में जैसे-तैसे व्यवस्था कर आईसीयू का संचालन किया जा रहा है, जिसमें 15 वेंटिलेटर के सहारे 23 बेड का आईसीयू-एचडीयू संचालित किया जा रहा है। जिसमें न्यूरो, नेफ्रो, हृदय से संबंधित किसी गंभीर मरीज को भर्ती करने या ऑपरेशन करने की सुविधा नहीं है। न बेड डायलिसिस हो सकती है। सिर्फ सामान्य इमरजेंसी, सीओपीडी, सामान्य हेड इंजरी के मरीजों को आईसीयू या वेंटिलेटर सुविधा मिल सकती है। इसी तरह पीकू वार्ड संचालित नहीं है। ओटी व पीकू की कई मशीनें भी धूल फांक रही हैं।
जिला अस्पताल : कब चलेगा पीकू वार्ड पता नहीं
मलखान सिंह जिला अस्पताल में 10 वेंटिलेटर युक्त बेड वाले पीकू वार्ड पर ताला लगा है। यह वार्ड दो वर्ष पहले बनकर तैयार हो गया। सामान भी रखवा दिया गया लेकिन वार्ड पर ताला लगा हुआ है। अब यह कब चलेगा इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। हालांकि अधिकारी कहते हैं कि स्टाफ व चिकित्सक आने पर ही इसे शुरू किया जाएगा। सीएमएस डॉ. जगवीर सिंह वर्मा कहते हैं कि वे लगातार शासन के संपर्क में हैं। पीकू वार्ड के लिए चिकित्सक व स्टाफ नहीं मिल पा रहा। इसलिए उसका सामान सुरक्षित रखा हुआ है।