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ये है विडंबना: वीडियो फुटेज सामने, साक्ष्य लेकर घूम रहे पीड़ित, नहीं पकड़े जा रहे चोर-लुटेरे

अभिषेक शर्मा, अमर उजाला, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Thu, 08 May 2025 03:19 PM IST
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सार

मुखबिरी पर पुलिस का फोकस कम होने लगा, क्योंकि ज्यादातर घटनाओं के खुलासे में सर्विलांस व सीसीटीवी बड़े मददगार बने। बड़ेे-बड़े अपराधी भी तकनीक की मदद से पकड़े गए। अब 2024 में सीसीटीवी साक्ष्य अदालत में भी मान्य होने के बाद पुलिस सीसीटीवी पर अधिक आश्रित हो गई है।

Helpless technology amid weak informer system
पुलिस - फोटो : अमर उजाला
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पुलिस तंत्र में मुखबिर एक ऐसी रीढ़ होते थे जो किसी भी पेचीदा घटना के खुलासे से लेकर बड़े अपराधियों को पकड़वाने में मददगार साबित होते थे। मगर सीसीटीवी पर आश्रित हुई पुलिस के पास अब भरोसेमंद मुखबिर नहीं रहे। यही वजह है कि लूट-चोरी आदि की तमाम घटनाओं में सीसीटीवी साक्ष्य होने के बाद भी उनके खुलासे नहीं हो पा रहे। पीड़ित साक्ष्य लेकर घूम रहे। मगर मजबूत मुखबिरी के अभाव में घटनाओं में शामिल आरोपी नहीं पकड़े जा रहे।

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पुलिस की कार्यशैली पर गौर करें तो पुराने समय से पुलिस को मुखबिरों पर खर्च करने के लिए जिले वार बजट मिलता है, जिसे गुप्त बजट के रूप में थानों में मुखबिरी पर खर्च किया जाता है। मुखबिर पालने वाले थानेदार अपने स्तर से भी मुखबिरों पर रुपये खर्च करते हैं। मगर जब वर्ष 2000/2001 से तकनीक का दौर शुरू हुआ और बड़ी घटनाओं के खुलासे के लिए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप व सर्विलांस टीम गठित हुई।
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तब से मुखबिरी पर पुलिस का फोकस कम होने लगा, क्योंकि ज्यादातर घटनाओं के खुलासे में सर्विलांस व सीसीटीवी बड़े मददगार बने। बड़ेे-बड़े अपराधी भी तकनीक की मदद से पकड़े गए। अब 2024 में सीसीटीवी साक्ष्य अदालत में भी मान्य होने के बाद पुलिस सीसीटीवी पर अधिक आश्रित हो गई है। यही वजह है कि साक्ष्य मिलने के बाद अपराधी नहीं पकड़े जा रहे।

हमारी टीमें साक्ष्यों के सहारे लगातार अपराध खुलासे व अपराधियों के पकडऩे में काम करती रहती हैं। हमारे जिले का खुलासा प्रतिशत भी बढ़ा हुआ है। साक्ष्य भी मजबूती से संकलित किए जा रहे हैं। जो घटनाएं रह रही हैं, उन्हें भुलाया नहीं है। टीमें लगातार काम कर रही हैं।-संजीव सुमन, एसएसपी

हर घटना पर मिला तकनीकी सुराग

पुलिस के जानकार बताते हैं, अब किसी भी घटनास्थल पर पहुंचने पर बारीकी से जांच करने पर कोई न कोई तकनीकी सुराग मिलता है। साथ में पुलिस को भी बीएनएस में वीडियो साक्ष्य बनाने के निर्देश हैं।

ताजा इन घटनाओं में साक्ष्य लिए घूम रहे पीड़ित
-जनवरी 2025 में नगला मान सिंह के रमेश संग बैंक से रुपये निकालकर जाते समय कंपनी बाग के पास रुपये छीने। पीडि़त ने सीसीटीवी जुटाए।
-फरवरी 2025 में जलालपुर के पास पिता संग जा रही बेटी से तमंचा दिखा मोबाइल छीना गया। पीडि़त सीसीटीवी लिए घूम रहा।
-नवंबर 2024 में हमजा कालोनी के शहनवाज के घर में बंधक बनाकर लूट हुई। इस घटना में पीडि़त ने सीसीटीवी जुटा लिए।
-सितंबर 2024 में संजय गांधी कालोनी के राजबहादुर से एटीएम से रुपये निकालते समय 25 हजार रुपये ऐंठे गए। पीड़ित ने सीसीटीवी जुटा लिए।

आज तक नहीं खुलीं ये पुरानी घटनाएं
  • फरवरी 2019 में एएमयू के पास निजी कॉलेज के छात्र सैफ की हत्या
  • सितंबर 2020 में डोरीनगर से गोपाल के इकलौते बेटे की अपहरण/हत्या

ये दो इनामी आज तक फरार
  1. सऊद अहमद सिद्दीकी निवासी टांडा अंबेडकर नगर। दुर्दांत अपराधी मुनीर का दाया हाथ है। अलीगढ़ की सहित नौ गंभीर घटनाओं में आरोपी। डीजीपी स्तर से 2015 से 50 हजार का इनाम। यूपी का मोस्ट वांटेड।
  2. पप्पू इतवारी निवासी जहराना, चंडौस। वर्ष 2008 में गांव की किशोरी संग दुष्कर्म के बाद हत्या का आरोपी। 20 हजार का इनाम घोषित है।
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