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शवों के पोस्टमार्टम करने वालों के भी कांपे हाथ: फेफड़े फटे, पसलियां चकनाचूर... खत्म हो गया था आधा सिर

अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Fri, 09 May 2025 01:43 PM IST
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सार

पुलिस वैन खड़े हुए कैंटर में जा घुसी। वैन में बैठै चार पुलिसकर्मियों और एक कैदी की मौत हो गई। उनका पोस्टमार्टम जब हुआ तो, वहां पोस्टमार्टम करने वालों के हाथ कांप गए। वह बोले- हादसा कितना भीषण रहा होगा।

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कैंटर में जा घुसी पुलिस वैन - फोटो : संवाद
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पांचों शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही है कि हादसा कितना भीषण रहा होगा। सभी के फेफड़े फट गए थे। पसलियां किसी की भी सुरक्षित नहीं बची थीं। सबसे ज्यादा नुकसान सिर को पहुंचा। आधा सिर तो खत्म ही हो गया था। गला भी फट गया।

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पुलिस वैन में आगे दरोगा रामसंजीवन और चालक हेड कांस्टेबल चंद्रपाल थे। क्योंकि यह दोनों आगे थे और वैन का अगला हिस्सा ही पूरी तरह से कंटेनर में घुस गया था। ऐसे में इन दोनों के शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। वीडियोग्राफी के बीच कराए गए एक दरोगा, तीन हेड कांस्टेबल और कैदी के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में जख्म ही जख्म दर्ज किए गए हैं। सिर की हड्डी तक टूट गई। साथ में बड़े बड़े क्लॉट यानि दिमाग के हिस्से में खून का बिखराव पाया गया।
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होगी मजिस्ट्रेटी जांच, मानवाधिकार आयोग को पत्राचार
इस मामले में पुलिस अभिरक्षा में बंदी की मृत्यु के चलते जिला पुलिस ने अपनी ओर से मजिस्ट्रेटी जांच की संस्तुति कर दी है। साथ में पूरे मामले में विस्तृत रिपोर्ट प्रदेश व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी भेज दी है। ताकि वहां से अगर किसी तरह की जांच को निर्देश मिले तो उसमें भी आगे प्रक्रिया अपनाई जाए।

सामान्यत: अगर किसी पुलिसकर्मी की ड्यूटी के समय मौत होती है तो उसके शव को उसके ड्यूटी वाले जिले की पुलिस लाइन ले जाया जाता है। वहां अंतिम विदाई आदि की प्रक्रिया पूरी कर शव घर रवाना किया जाता है। मगर इस दुर्घटना में मृतकों में तीन पुलिसकर्मी परिवार हाथरस व मथुरा से हैं, इसलिए उन्हें शव यहीं पुलिस लाइन से दे दिए गए। इसी तरह कानपुर से आए दरोगा के परिजनों को भी शव यहीं से दे दिया गया।

क्षतिग्रस्त पुलिस वैन

भाई के लिए खाना बनाकर ले जा रही थी
गुलसन्नवर की मौत की सूचना पर सबसे पहले अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में कार्यरत कुछ रिश्तेदार पहुंच गए थे। उसके बाद दोपहर करीब एक बजे उसकी बहन गुलिश्ता सबसे पहले पहुंची। वह सीधे मुजफ्फरनगर से अलीगढ़ आईं थीं। कह रहीं थी कि वह अपने हाथों से खाना बनाकर कचहरी ले जा रही थी। आज बहुत दिनों बाद उसका भाई तारीख पर आ रहा है। वह उसे अपने हाथों से खाना खिलाएगी, लेकिन भाई के पहुंचने के बजाय उसकी मौत की सूचना पहुंची। यह कहते हुए वह बार-बार दहाड़ मारकर रोने लगती थी।

तेज धमाके से टूटी नींद..तब तक गले लिपट चुकी थी मौत

पुलिस वैन में सवार सभी पुलिस कर्मियों को पहुंचना तो मुजफ्फरनगर था। मगर किसी को यह भान न था कि रास्ते में ही उनके सफर पर मौत झपट्टा मार देगी। सभी कैदी की निगरानी करते हुए बढ़े चले जा रहे थे। अचानक कब चालक को नींद का झोंका आया और उसका गाड़ी से संतुलन बिगड़ा। बस फिर जो हुआ, उसे देख व सुन सभी सिहर उठते हैं।

यह बात खुद इस हादसे में घायल व अकेले जीवित बजे सिपाही शेरपाल सिंह ने बिलखते हुए जीवन ज्योति अस्पताल में होश आने पर पुलिसकर्मियों व अधिकारियों को बताई। उसकी मानें तो सभी लोगों को पांच बजे रवाना होने का संदेश बुधवार शाम को ही मिल गया था। इसलिए वह खुद चार बजे के आसपास जागा। लगभग उसी समय पर सभी जागे थे। इसके बाद सभी एकत्रित होकर गाड़ी में सवार होकर सवा पांच बजे कैदी को लेकर रवाना हो लिए।
 खेरेश्वर चौराहे के पास गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होंने से हुई बंदी गुलशन की मौत के बाद विलाप करती बहन व परिवार के लोग।
आगे चालक केबिन में दरोगा जी सवार थे। बाकी वह खुद सबसे पीछे की ओर सवार था। गाड़ी में ही चालक केबिन के ठीक पीछे बीच में दो लोग कैदी के पास सवार थे। गाड़ी अपनी गति से ही भाग रही थी। हम लोग आपस में कभी बात करते तो कभी अपने अपने मोबाइल में व्यस्त हो जाते। आगे क्या हो रहा था। ये तो अंदाजा नहीं। जिस वक्त दुर्घटना हुई। उस वक्त वह खुद अपने मोबाइल में व्यस्त था। अचानक नींद आ गई थी। जब जोरदार आवाज के साथ गाड़ी टकराई तो झटके के साथ नींद टूटी। फिर वह बेहोश हो गया। अंदेशा यही है कि अचानक चालक को नींद का झोंका आया। बस वहीं उसका संतुलन बिगड़ा व तेज धमाके के साथ गाड़ी कंटेनर में जा घुसी। जब धमाका हुआ तो उसे लगा कि कोई बम फट गया। फिर चीख पुकार की आवाज जरूर उसने सुनी। इसके बाद जब होश आया तो वह यहां अस्पताल में था।

वैन काटकर निकाले आगे से दोनों शव

खेरेश्वर से कुछ आगे चलते ही दुर्घटनास्थल के पास ही खेत में चारा काट रहे किसान दुर्गपाल सिंह बताते हैं कि सवा आठ बजे का वक्त रहा होगा। तेज धमाके हुआ। जब वह भागे तो देखा कि सडक़ सहारे खड़े कंटेनर में पुलिस वाहन घुस गया। उसमें आगे के केबिन में दो लोग मृत थे। आनन फानन खेरेश्वर से पुलिस बुलाई। कुछ ही देर में एंबुलेंस, क्रेन व पुलिस बल पहुंच गया। आगे तो दोनों मृत ही थे। उन्हें गाड़ी की चादर काटकर निकाला गया। पीछे भी अपराधी तो मृत ही निकला था। बाकी तीन घायल थे, जिन्हें शीशे व जाली तोड़कर निकाला गया था।

हादसे की जानकारी लेते एसएसपी

पिछले 12 घंटे से खड़ा था खराब कंटेनर
दिल्ली-कानपुर हाईवे पर खेरेश्वर चौराहा से गभाना की ओर करीब 700 मीटर दूरी पर चिकावटी कट तक तमाम होटल व वाहनों के मिस्त्री, टायर पंचर आदि की दुकानें हैं। जहां चौराहा के दोनों ओर हाईवे के सहारे सडक़ से उतरकर अनगिनत इस तरह के ट्रक खड़े ही रहते हैं। पुलिस वाहन जिस कंटेनर में टकराया है, वह कंटेनर भी बुधवार रात करीब आठ बजे के आसपास से खड़ा था। पहले तो लोगों ने समझा कि स्टाफ खाने पीने गया होगा। मगर सुबह दुर्घटना के बाद पता चला कि यह खराब होने की वजह से खड़ा है। मगर दुर्घटना के बाद उसका कोई चालक परिचालक पुलिस को नहीं मिला।

आरटीओ जांच में दोनों वाहन दुरुस्त, कंटेनर में खराबी

दुर्घटना के बाद पुलिस की फारेंसिक टीम साक्ष्य संकलन के लिए पहुंची। जबकि तकनीकी मुआयने के लिए आरटीओ की टीम एआरटीओ प्रवेश कुमार की अगुवाई में पहुंची। इस टीम ने जांच में पाया कि पुलिस की टाटा जेनॉन एलएमवी कार एसएसपी फिरोजाबाद के नाम पंजीकृत है। जो 2032 तक पंजीकृत है। प्रदूषण आदि भी 2025 तक है। वहीं खराब खड़ा आयशर केंटर पर बना बंद कंटेनर श्री बालाजी गुड्स केरियर हनुमानगढ़ राजस्थान के नाम से पंजीकृत है। यह बीमा, पंजीकरण व प्रदूषण आदि 2026 तक के लिए पंजीकृत है। इसके विषय में उल्लेख किया है कि लापरवाही पूर्वक सडक़ सहारे खड़ा किया गया, जिसकी वजह से ये दुर्घटना हुई।

परिजनों से पूछताछ
प्रथम दृष्टया यह दुर्घटना तड़के जल्दी जागने व पुलिस वाहन के चालक के नींद आने की वजह से ही मानी जा रही है। अंदेशा यह भी है कि सड़क पर किसी जानवर को बचाने के लिए भी गाड़ी अनियंत्रित होकर सड़त से उतरकर आगे खड़े कंटेनर में टकराई हो। मगर सही तथ्य जांच के बाद ही उजागर होगा। इसके लिए मुकदमा दर्ज कर पुलिस टीम काम कर रही है।-संजीव सुमन, एसएसपी
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