हमारे शिवालय: स्वत: ही भूमि से प्रकट हुए थे अंडारेश्वर, पातालेश्वर महादेव की भी आस्था है निराली
अंडारेश्वर मंदिर में विराजमान शिवलिंग स्वत: ही भूमि से प्रकट हुई थी। तभी से इस प्रचीन मंदिर की इलाके में बहुत मान्यता है। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग का दर्शन करने और जल चढ़ाने के लिए भक्त मंदिर में पहुंचते हैं।
विस्तार
भक्तों में ऐसी मान्यता है कि अलीगढ़ के जट्टारी स्थित अंडारेश्वर महादेव और बझेड़ा-बिचपुरी के बीच स्थित पातालेश्वर महादेव करीब 250 वर्ष पुराने हैं। दोनों ही मंदिर भक्तों की आस्था की प्रमुख का केंद्र हैं। महाशिवरात्रि पर यहां हजारों की संख्या में कांवड़िया जलाभिषेक करने पहुंचेंगे। अंडारेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण और पातालेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया है।
अंडारेश्वर मंदिर
अंडारेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी कमलेश जोगी ने बताया कि मंदिर में विराजमान शिवलिंग स्वत: ही भूमि से प्रकट हुई थी। तभी से इस प्रचीन मंदिर की इलाके में बहुत मान्यता है। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग का दर्शन करने और जल चढ़ाने के लिए भक्त मंदिर में पहुंचते हैं। मंदिर के व्यवस्थापक संदीप कुमार अग्रवाल उर्फ बाबा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण के साथ ही कावंड़ियों के लिए भंडारे का आयोजन किया जाएगा। हर वर्ष की तरह इस बार भी मंदिर में महाशिवरात्रि पर मेला लगेगा। उन्होंने कहा कि मंदिर का रास्ता कच्चा और बदहाल है, जिसकी वजह से भक्तों को यहां आने में परेशानी होती है। इस रास्ते को जल्द पक्का कराए जाने की मांग की।
पातालेश्वर महादेव मंदिर
वहीं हजियापुर क्षेत्र के गांव बझेड़ा और बिचपुरी के बीच स्थित पातालेश्वर महादेव मंदिर के बारे में गांव के बुजुर्ग देवीचरन शर्मा बताते हैं कि खेरेश्वर धाम अलीगढ़, अंडारेश्वर महादेव जट्टारी और पातालेश्वर महादेव भूमि से प्रकट हुए हैं। मंदिर के व्यवस्थापक व कथा व्यास आचार्य माधवानंद महाराज का दावा है कि तीनों ही शिवलिंग लगभग एक सीध में हैं। बताया कि महाशिवरात्रि पर हजारों की संख्या में भक्त हरिद्वार और राजघाट से कांवड़ लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।महाशिवरात्रि पर मंदिर में रुद्राभिषेक किया जाएगा। कांवड़ियों के रुकने व ठहरने की व्यवस्था भी ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर परिसर में की गई है।
500 वर्ष पुरानी सिद्ध बाबा की समाधि
जनपद मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर टप्पल ब्लॉक के गांव ताहरपुर स्थित सिद्ध बाबा मंदिर में महाशिवरात्रि पर भक्तों का तातां लगेगा। इस मंदिर में शिव परिवार, हनुमानजी, सीताराम भगवान सहित कई देवी-देवताओं के अलग-अलग मंदिर हैं। शिवजी पर कांवड़ चढ़ती है, लेकिन सबसे ज्यादा आस्था करीब 500 साल पुरानी समाधि पर है।
गांव निवासी 70 वर्षीय चौधरी देवदत्त प्रधान बताते हैं कि इस स्थान पर किसी सिद्ध पुरुष की 500 साल पुरानी समाधि थी। अयोध्या से यहां आए एक महात्मा ने ग्रामीणों के सहयोग से इस समाधि स्थल पर वर्ष 1974 के करीब मंदिर का निर्माण कराया गया। गांव के चंदन सिंह ने मंदिर के लिए करीब तीन बीघा जमीन दान दी। इसके बाद से पूरे क्षेत्र में इस मंदिर की मान्यता बहुत है। महाशिवरात्रि के अलावा सावन के प्रत्येक सोमवार को बड़ी संख्या में भक्त यहां जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन भी मुस्तैद रहता है। मान्यता है कि सच्चे मन से जो भी भक्त यहां आते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। मंदिर के मुख्य पुजारी महेशचंद्र शर्मा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर कीर्तन और जलाभिषेक के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। भक्तों के लिए जलपान व आराम की सुगम व्यवस्था की गई है।
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