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Aligarh: कक्षा दो के छात्र को पीटने वाले ट्यूशन शिक्षक को तीन साल की सजा, चुभोता था बॉल पैन, डराता-धमकाता था

अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Fri, 15 Nov 2024 10:42 PM IST
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सार

सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखने पर पता चला कि बच्चे को घर के ही दफ्तर में बैठाकर पढ़ाने वाला कमल उर्फ पिंकी शर्मा बेरहमी से पीट रहा है। अपनी बाइक की चॉबी व बॉल पैन चुभो रहा है। कई बार उसका गला दबाया और अपहरण की धमकी दी। 

Tuition teacher found guilty of beating Class 2 student
सजा - फोटो : प्रतीकात्मक
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अलीगढ़ के एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या दो ने कक्षा दो के छात्र अनुज (7) को बेरहमी से पीटने के दोषी ट्यूशन शिक्षक को तीन साल के कारावास और 58 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। छह साल पहले थाना गांधी पार्क क्षेत्र में यह घटना हुई थी। 

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विकास नगर नौरंगाबाद निवासी अमित कुमार ने 18 नवंबर 2018 को थाना गांधीपार्क में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि उनका सात साल का बेटा एक निजी स्कूल में कक्षा दो में पढ़ता है। उसको ट्यूशन देने के लिए कमल उर्फ पिंकी शर्मा निवासी शास्त्री नगर गांधीपार्क उनके घर पर आते थे। इस बीच उनका बेटा डरा- सहमा सा रहने लगा। काफी जानकारी करने के बाद भी उसने कुछ नहीं बताया तो मनोचिकित्सक से परामर्श लेने पर पता चला कि यह किसी बात से डर गया है। 
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इस पर परिवार ने सच जानने को घर में सीसीटीवी कैमरे लगवाए। 16 नवंबर 2018 को सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखने पर पता चला कि बच्चे को घर के ही दफ्तर में बैठाकर पढ़ाने वाला कमल उर्फ पिंकी शर्मा बेरहमी से पीट रहा है। अपनी बाइक की चॉबी व बॉल पैन चुभो रहा है। बच्चे ने बताया कि वह काफी समय से उसके साथ ऐसा कर रहा है। कई बार उसका गला दबाया और अपहरण की धमकी दी। 

पुलिस ने मामले में ट्यूशन शिक्षक के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। एडीजे फास्ट ट्रैक द्वितीय राघवेंद्र मणि की अदालत ने साक्ष्यों व गवाही के आधार पर मारपीट, धमकी देने व किशोर न्याय अधिनियम के तहत दोषी ट्यूशन शिक्षक को सजा सुनाई गई है। हमले की धारा में उसे दोषमुक्त कर दिया है।

शरीर से अधिक मन को कष्ट पहुंचाने वाली घटना-अदालत
एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या दो राघवेंद्र मणि ने फैसले सुनाते हुए टिप्पणी की है कि अपराध के माध्यम से अभियुक्त ने ऐसा कृत्य किया, जो बालक के शरीर और उससे भी अधिक मन को कष्ट करने पहुंचाने वाला है। इसका प्रभाव सरलता से बालक के मन से विस्मृत नहीं होगा। सिद्धदोष का ऐसा आचरण पावन गुरु-शिष्य परंपरा के नितांत प्रतिकूल है। ऐसी स्थिति में न्यायालय के मतानुसार प्रकरण में विशिष्ट तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए सिद्धदोष कमल शर्मा उर्फ पिंकी धारा चार परिवीक्षा अधिनियम का लाभ पाने प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
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