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इमरजेंसी में उपचार न मिलने पर बच्ची की चली गई जान
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प्रतापगढ़। कोरोना संक्रमण के बीच अन्य बीमारियों व हादसों में जख्मी लोगों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। जहरीले जंतु के काटने से गंभीर हुई नौ वर्षीय सिमरन को लेकर जिला अस्पताल पहुंची उसकी मां बेटी की जान बचाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों से मिन्नतें करती रही, लेकिन इमरजेंसी वार्ड में उसका उपचार नहीं हो सका और उसकी मौत हो गई। यही नहीं महिला को बेटी का शव ले जाने के लिए अस्पताल में एंबुलेंस भी नहीं मिली, जिससे उसको बेटी का शव कंधे पर लेकर जाना पड़ा।
मंगलवार अपराह्न करीब तीन बजे जिला अस्पताल में नगर कोतवाली के भुपियामऊ इलाके के रहने वाले मोहम्मद मुस्लिम की पत्नी अपनी 9 साल की बेटी सिमरन को लेकर पहुंचीं। उसे जहरीले जंतु ने काट लिया था। महिला के साथ कोई नहीं था। वह इमरजेंसी के बाहर कुर्सी पर बेटी को लिटाकर डॉक्टर को आवाज देने लगी, मगर इमरजेंसी से कोई बाहर नहीं निकला। बेटी को खो देने की आशंका में वह बदहवास होकर बिलखने लगी। इमरजेंसी में चीखपुकार मचने के बाद भी स्वास्थ्यकर्मियों का दिल नहीं पसीजा। महिला इमरजेंसी में मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों के पास रोते हुए पहुंची और बेटी को एक नजर देखने की गुहार लगाने लगी। वहां डाक्टर नहीं थे। पता चला कि किसी मरीज को देखने गए हैं। एक स्वास्थ्यकर्मी बाहर निकला और बच्ची को देखने के बाद मृत घोषित कर दिया। महिला को अस्पताल में शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली, जिससे वह बेटी के शव को कंधे पर लादकर अस्पताल से बाहर निकली और ई रिक्शा से रोते हुए घर चली गई। सीएमएस डा. पीपी पांडेय ने बताया कि सूचना मिलने पर स्वास्थ्य कर्मी बच्ची को देखने गए थे लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
जिला अस्पताल : मरीज के साथ-साथ व्यवस्थाएं भी तोड़ रहीं दम
प्रतापगढ़। नौ वर्षीय बालिका सिमरन के अलावा मंगलवार को एक वृद्ध की भी जिला अस्पताल में मौत हो गई। वृद्ध के शव को ले जाने के लिए परिजनों को एंबुलेंस नहीं मिली, वहीं सीएमएस का कहना था कि जो व्यवस्थाएं हैं, उसी के तहत लोगों का उपचार किया जा रहा है।
कटरामेदनीगंज के रहने वाले लखनलाल जैन को भी मंगलवार भोर में सांस लेने में दिक्कत होने के चलते उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। करीब तीन बजे उनकी मौत हो गई। उनके परिवार के लोगों का आरोप है कि अस्पताल में बेहतर इलाज नहीं किया गया। घर तक शव पहुंचाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिली। इससे पहले सिमरन की मौत के बाद उसकी मां एंबुलेंस की राह देख रही थी। वहां मौजूद समाजसेवी संजय जैन ने उसकी मदद के लिए सीएमओ व सीएमएस को फोनकर एंबुलेंस दिलाने के लिए कहा। संजय के अनुसार, सीएमओ ने जवाब दिया कि यह उनका काम नहीं है। वहां मौजूद डाक्टर से बात करें। जबकि सीएमएस ने कहा कि अभी एंबुलेंस शव छोड़ने गई है। बिलख रही महिला बेटी को कंधे पर रखकर अस्पताल से बाहर निकली और ईरिक्शा से रोते हुए घर चल पड़ी। सीएमएस डा. पीपी पांडेय ने बताया कि कोरोना काल में अपने जीवन को खतरे में डालकर स्वास्थ्यकर्मी मरीजों का उपचार कर रहे हैं। सांस लेने में दिक्कत व तेज बुखार वाले मरीजों की मौत हो रही है। जो व्यवस्थाएं हैं, उसी में लोगों का उपचार किया जा रहा है।
मदद के लिए कोई नहीं बढ़ा रहा हाथ
जिला अस्पताल में हर घंटे किसी न किसी की मरीज की मौत हो रही है। यदि मरीज के साथ एक तीमारदार है तो कोई उसकी मदद तक करने को तैयार नहीं है। बेबस होकर लोग मदद के लिए गुहार लगाते रहते हैं, लेकिन कोई आगे नहीं आता है। हैरत की बात यह है कि स्वास्थ्यकर्मी भी ऐसे लोगों की मदद से दूर भागते हैं।
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मंगलवार अपराह्न करीब तीन बजे जिला अस्पताल में नगर कोतवाली के भुपियामऊ इलाके के रहने वाले मोहम्मद मुस्लिम की पत्नी अपनी 9 साल की बेटी सिमरन को लेकर पहुंचीं। उसे जहरीले जंतु ने काट लिया था। महिला के साथ कोई नहीं था। वह इमरजेंसी के बाहर कुर्सी पर बेटी को लिटाकर डॉक्टर को आवाज देने लगी, मगर इमरजेंसी से कोई बाहर नहीं निकला। बेटी को खो देने की आशंका में वह बदहवास होकर बिलखने लगी। इमरजेंसी में चीखपुकार मचने के बाद भी स्वास्थ्यकर्मियों का दिल नहीं पसीजा। महिला इमरजेंसी में मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों के पास रोते हुए पहुंची और बेटी को एक नजर देखने की गुहार लगाने लगी। वहां डाक्टर नहीं थे। पता चला कि किसी मरीज को देखने गए हैं। एक स्वास्थ्यकर्मी बाहर निकला और बच्ची को देखने के बाद मृत घोषित कर दिया। महिला को अस्पताल में शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली, जिससे वह बेटी के शव को कंधे पर लादकर अस्पताल से बाहर निकली और ई रिक्शा से रोते हुए घर चली गई। सीएमएस डा. पीपी पांडेय ने बताया कि सूचना मिलने पर स्वास्थ्य कर्मी बच्ची को देखने गए थे लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
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जिला अस्पताल : मरीज के साथ-साथ व्यवस्थाएं भी तोड़ रहीं दम
प्रतापगढ़। नौ वर्षीय बालिका सिमरन के अलावा मंगलवार को एक वृद्ध की भी जिला अस्पताल में मौत हो गई। वृद्ध के शव को ले जाने के लिए परिजनों को एंबुलेंस नहीं मिली, वहीं सीएमएस का कहना था कि जो व्यवस्थाएं हैं, उसी के तहत लोगों का उपचार किया जा रहा है।
कटरामेदनीगंज के रहने वाले लखनलाल जैन को भी मंगलवार भोर में सांस लेने में दिक्कत होने के चलते उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। करीब तीन बजे उनकी मौत हो गई। उनके परिवार के लोगों का आरोप है कि अस्पताल में बेहतर इलाज नहीं किया गया। घर तक शव पहुंचाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिली। इससे पहले सिमरन की मौत के बाद उसकी मां एंबुलेंस की राह देख रही थी। वहां मौजूद समाजसेवी संजय जैन ने उसकी मदद के लिए सीएमओ व सीएमएस को फोनकर एंबुलेंस दिलाने के लिए कहा। संजय के अनुसार, सीएमओ ने जवाब दिया कि यह उनका काम नहीं है। वहां मौजूद डाक्टर से बात करें। जबकि सीएमएस ने कहा कि अभी एंबुलेंस शव छोड़ने गई है। बिलख रही महिला बेटी को कंधे पर रखकर अस्पताल से बाहर निकली और ईरिक्शा से रोते हुए घर चल पड़ी। सीएमएस डा. पीपी पांडेय ने बताया कि कोरोना काल में अपने जीवन को खतरे में डालकर स्वास्थ्यकर्मी मरीजों का उपचार कर रहे हैं। सांस लेने में दिक्कत व तेज बुखार वाले मरीजों की मौत हो रही है। जो व्यवस्थाएं हैं, उसी में लोगों का उपचार किया जा रहा है।
मदद के लिए कोई नहीं बढ़ा रहा हाथ
जिला अस्पताल में हर घंटे किसी न किसी की मरीज की मौत हो रही है। यदि मरीज के साथ एक तीमारदार है तो कोई उसकी मदद तक करने को तैयार नहीं है। बेबस होकर लोग मदद के लिए गुहार लगाते रहते हैं, लेकिन कोई आगे नहीं आता है। हैरत की बात यह है कि स्वास्थ्यकर्मी भी ऐसे लोगों की मदद से दूर भागते हैं।