Health : रील बनाने के चक्कर में केमिकल कलर का किया इस्तेमाल, गवां दिए बाल
शंकरगढ़ निवासी 23 वर्षीय युवक ने रील बनाने के लिए अपने बालों को रंग-बिरंगा करने के चक्कर में कई प्रकार के केमिकल कलर, शैम्पू और हेयर जेल का इस्तेमाल किया। इसकी वजह से मात्र दो साल के भीतर उसने अपने सारे बाल गंवा दिए।
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शंकरगढ़ निवासी 23 वर्षीय युवक ने रील बनाने के लिए अपने बालों को रंग-बिरंगा करने के चक्कर में कई प्रकार के केमिकल कलर, शैम्पू और हेयर जेल का इस्तेमाल किया। इसकी वजह से मात्र दो साल के भीतर उसने अपने सारे बाल गंवा दिए। हालांकि यह किसी एक युवक की बात नहीं है बल्कि इस प्रकार के रोजाना 30 से 40 मामले सामने आते हैं।
स्वरूप रानी नेहरू चिकित्सालय के त्वचा रोग विभाग में प्रतिदिन 10 से 15 मामले सामने आ रहे हैं। वहीं एसआरएन अस्पताल में पिछले साल बाल छड़ने के करीब छह हजार मामले आए थे जिनकी संख्या इस वर्ष आठ हजार हो चुकी है। इनमें 90 फीसदी युवाओं में बाल झड़ने की समस्या देखने को मिली है। इसके अलावा युवाओं के बाल समय से पहले सफेद हो रहे हैं।
आधुनिक जीवनशैली, पर्यावरणीय परिवर्तन और बढ़ते तनाव के साथ सोशल मीडिया व टीवी पर बालों को लंबे, काले घने व आकर्षक बनाने के अलावा डैंड्रफ दूर करने और बाल झड़ने से रोकने का दावा करने वाले तमाम प्रकार के शैम्पू, केमिकल कलर, हेयर जेल, क्रीम व तेल के विज्ञापनों की भरमार है। ऐसे में युवा बिना चिकित्सक की सलाह के इन सबका उपयोग करके समय से पहले अपने बाल गवां रहे हैं। इससे हेयर ट्रांसप्लांट, पीआरपी (प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा) विधि से नए बाल उगाने की मांग बढ़ गई है।
काले बाल एक साल में हुए सफेद
अल्लापुर निवासी 25 वर्षीय अभिषेक दिल्ली की एक निजी संस्था में एरिया मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने काले बालों को भूरा करने के लिए महंगे केमिकल कलर का इस्तेमाल किया। इसके बाद एक साल के भीतर उनके बाल सफेद हो गए। अब कलर का इस्तेमाल फैशन के लिए नहीं बल्कि सफेद बालों को छिपाने के लिए कर रहे हैं।
बाल झड़ने से बचाने के लिए लगाया तेल, बचे हुए भी गंवा दिए
सुलेम सराय निवासी 30 वर्षीय शरद वर्मा के बाल झड़ रहे थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर किसी बंगाली तेल का विज्ञापन देखा और उसे मंगाकर करीब छह महीने इस्तेमाल किया। ऐसा करने पर उनके बचे-कुचे बाल भी झड़ गए। अब वह हेयर ट्रांसप्लांट के लिए पैसे जुटा रहे हैं।
इसलिए झड़ते हैं बाल
बाल झड़ने का सबसे सामान्य कारण एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया है जिसमें बालों के फॉलिकल डीएचटी हार्मोन के प्रति संवेदनशील होकर धीरे-धीरे सूक्ष्म और कमजोर होते जाते हैं। इसके अतिरिक्त थायरॉयड समेत कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी बालों की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। फेरिटिन, विटामिन डी, बी-12 और प्रोटीन की कमी, मानसिक तनाव, अपर्याप्त नींद, धूम्रपान, शराब सेवन, वायरल संक्रमण, डैंड्रफ, फंगल संक्रमण और बार-बार किए जाने वाले रासायनिक हेयर ट्रीटमेंट व हीट स्टाइलिंग से भी बाल जल्दी झड़ने लगते हैं।
रोकथाम के उपाय
1- प्रोटीन समृद्ध, संतुलित और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें।
2- आयरन, विटामिन डी और बी-12 की नियमित जांच कराएं व चिकित्सकीय परामर्श अनुसार पूरक लें।
3- अनावश्यक केमिकल व हीट आधारित हेयर ट्रीटमेंट को सीमित करें।
4- तनाव प्रबंधन, पर्याप्त नींद और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
5- डैंड्रफ या स्कैल्प इंफेक्शन की स्थिति में त्वरित विशेषज्ञ से परामर्श लें।
बार-बार कलरिंग, ब्लीचिंग, स्मूथनिंग, रीबॉन्डिंग और केराटिन ट्रीटमेंट की वजह से बाल झ़ड़ने की समस्या में इजाफा हुआ है। अमोनिया परऑक्साइड और फॉर्मल्डिहाइड जैसे रसायन बालों की केराटिन संरचना को प्रभावित करते हैं। 12 से 30 वर्ष के युवाओं में यह समस्या इसलिए अधिक देखी जा रही है क्योंकि इस आयु वर्ग में फैशन ट्रेंड, सोशल मीडिया का प्रभाव और बार-बार स्टाइलिंग की प्रवृत्ति अत्यधिक होती है। - डॉ. अमित शेखर, विभागाध्यक्ष, त्वचा रोग विभाग, एसआरएन अस्पताल
पुरुषों में आनुवांशिक हेयर लॉस सामान्य तौर पर 18–35 वर्ष के बीच अधिक देखने को मिलता है। महिलाओं में यह समस्या 25–40 वर्ष के बीच पोषण और हार्मोनल असंतुलन के कारण प्रमुखता से देखी जाती है, जबकि 45 वर्ष के बाद रजोनिवृत्ति के चलते बालों के घनत्व में उल्लेखनीय कमी होने लगती है। - डॉ. स्वाती चौधरी, एस्थेटिक फिजिशियन