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High Court : न्यायिक आदेशों की अवहेलना से कानून का शासन और जन-विश्वास होता है कमजोर

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Sun, 14 Dec 2025 06:46 PM IST
सार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत आदेशों में न्यायिक निर्देशों की अनदेखी पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि जब न्यायिक आदेशों की अवहेलना होती है, तो इससे न केवल कानून का शासन कमजोर पड़ता है।

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High Court: Disobedience of judicial orders undermines the rule of law and public confidence
इलाहाबाद हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत आदेशों में न्यायिक निर्देशों की अनदेखी पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि जब न्यायिक आदेशों की अवहेलना होती है, तो इससे न केवल कानून का शासन कमजोर पड़ता है, बल्कि आमजन का न्यायपालिका पर भरोसा भी डगमगा जाता है, जो लोकतंत्र की बुनियाद है। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके व दो जमानतदार की शर्त को बदलकर 5 हजार रुपये व एक जमानतदार कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकल पीठ ने पप्पू मेट उर्फ पप्पू की याचिका पर दिया है।

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बरेली के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 19 नवंबर 2025 के आदेश से याची को चोरी के एक मामले में एक लाख के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतें प्रस्तुत करने पर जमानत दी थी। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। कहा कि सह-अभियुक्तों को मात्र 25 हजार के निजी मुचलके पर रिहा किया गया, जबकि उस पर कहीं अधिक कठोर शर्तें लगाई गईं।

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याची अधिवक्ता ने दलील दी कि याची सीमित संसाधनों वाला व्यक्ति है और इतनी बड़ी जमानत राशि जुटाने में असमर्थ है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश और हाईकोर्ट के श्रीमती बच्ची देवी बनाम राज्य सरकार फैसले का हवाला दिया गया। कहा ट्रायल कोर्ट का आदेश बच्ची देवी मामले में हाईकोर्ट की ओर से दिए गए दिशा-निर्देशों की अवहेलना है।

हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया माना कि संबंधित अपर सत्र न्यायाधीश ने या तो हाईकोर्ट के निर्देशों को ठीक से समझा नहीं या उनका अनुपालन नहीं करना चाह रहे। जमानत की शर्तों को संशोधन के लिए हाईकोर्ट में प्रतिदिए याचिकाएं आ रही है। कोर्ट ने जिला न्यायाधीश, बरेली के माध्यम से संबंधित न्यायिक अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब किया है।

याचिकाकर्ता को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने जमानत आदेश में संशोधन कर दिया है। अब उसे 5,000 के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की एक जमानत पर रिहा किया जाएगा। कोर्ट ने आदेश के अनुपालन का निर्देश देते हुए 18 दिसंबर 2025 की तिथि नियत की।

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