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मेडिकल कॉलेजों में नर्सों की भर्ती पर रोक
अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद
Updated Sun, 26 Feb 2017 01:13 AM IST
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नर्सों की हड़ताल
- फोटो : अमर उजाला
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हाईकोर्ट ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में करीब छह हजार स्टाफ नर्सों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन पर रोक लगा दी है। मगर कोर्ट ने महिला नर्सों की भर्ती प्रक्रिया जारी रखने के लिए कहा है। महिला नर्सों के लिए आवेदन की समय सीमा तीन सप्ताह और बढ़ाने का लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि जो नर्स पहले से संविदा पर काम कर रहे हैं उनको भी सीधी भर्ती में शामिल किया जाए।
मेडिकल कॉलेज में कार्यरत नर्स ममता पाल और दो अन्य ने याचिका दाखिल कर भर्ती विज्ञापन को चुनौती दी है। याचिका पर न्यायमूर्ति बी अमित स्थालेकर सुनवाई कर रहे हैं। याचिका पर अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभू राय ने पक्ष रखा। अधिवक्ताओं के मुताबिक याचीगण पिछले 12 वर्षों से मेडिकल कॉलेज में संविदा पर काम कर रहे थे। पांच दिसंबर 2016 को प्राचार्य इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज ने उनको पद से यह कहते हुए हटा दिया कि मेडिकल कॉलेजों में नर्सों के सभी पद अब सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। इसके लिए 12 जनवरी 2017 को विज्ञापन भी जारी कर दिया गया। हर मेडिकल कॉलेज में महिला और पुरुष नर्स के 30-30 पदों पर भर्ती की जानी थी।
याचीगण ने प्राचार्य के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने पहले प्राचार्य के आदेश पर रोक लगा दी। इस पर उनकी ओर से हलफनामा दिया गया कि याचीगण के लिए सीधी भर्ती में तीन पद आरक्षित किया जा रहा है, वह चयन प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। इसके बाद तीन पद आरक्षित करते हुए विज्ञापन जारी किया गया। विज्ञापन में पुरुष नर्सों के लिए मनोचिकित्सा में डिप्लोमा की अर्हता अनिवार्य कर दी गई। इसे भी यह कहते हुए चुनौती दी गई कि नर्सिंग फेडरेशन ने इस अर्हता को पहले ही समाप्त कर दिया है। कोर्ट ने पुरुष नर्सों के भर्ती विज्ञापन पर रोक लगाते हुए कहा है कि महिला नर्सों की भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी मगर उनको आवेदन के लिए तीन सप्ताह का और समय दिया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में संविदा पर कार्यरत सभी नर्सों को सीधी भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश दिया है।

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मेडिकल कॉलेज में कार्यरत नर्स ममता पाल और दो अन्य ने याचिका दाखिल कर भर्ती विज्ञापन को चुनौती दी है। याचिका पर न्यायमूर्ति बी अमित स्थालेकर सुनवाई कर रहे हैं। याचिका पर अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभू राय ने पक्ष रखा। अधिवक्ताओं के मुताबिक याचीगण पिछले 12 वर्षों से मेडिकल कॉलेज में संविदा पर काम कर रहे थे। पांच दिसंबर 2016 को प्राचार्य इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज ने उनको पद से यह कहते हुए हटा दिया कि मेडिकल कॉलेजों में नर्सों के सभी पद अब सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। इसके लिए 12 जनवरी 2017 को विज्ञापन भी जारी कर दिया गया। हर मेडिकल कॉलेज में महिला और पुरुष नर्स के 30-30 पदों पर भर्ती की जानी थी।
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याचीगण ने प्राचार्य के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने पहले प्राचार्य के आदेश पर रोक लगा दी। इस पर उनकी ओर से हलफनामा दिया गया कि याचीगण के लिए सीधी भर्ती में तीन पद आरक्षित किया जा रहा है, वह चयन प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। इसके बाद तीन पद आरक्षित करते हुए विज्ञापन जारी किया गया। विज्ञापन में पुरुष नर्सों के लिए मनोचिकित्सा में डिप्लोमा की अर्हता अनिवार्य कर दी गई। इसे भी यह कहते हुए चुनौती दी गई कि नर्सिंग फेडरेशन ने इस अर्हता को पहले ही समाप्त कर दिया है। कोर्ट ने पुरुष नर्सों के भर्ती विज्ञापन पर रोक लगाते हुए कहा है कि महिला नर्सों की भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी मगर उनको आवेदन के लिए तीन सप्ताह का और समय दिया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में संविदा पर कार्यरत सभी नर्सों को सीधी भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश दिया है।