High Court : कानून का मकसद समाज के लिए समस्याएं खड़ी करना नहीं, बल्कि उनका हल ढूंढना है
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कानून का मकसद समाज के लिए समस्याएं खड़ी करना नहीं, बल्कि उनका हल ढूंढ़ना है। जब कथित पीड़िता ने आरोपी युवक से शादी कर ली है। उसका कहना है कि आरोपी ने उसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कानून का मकसद समाज के लिए समस्याएं खड़ी करना नहीं, बल्कि उनका हल ढूंढ़ना है। जब कथित पीड़िता ने आरोपी युवक से शादी कर ली है। उसका कहना है कि आरोपी ने उसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया है। ऐसे में पीड़िता को अपने पति को बरी करवाने के लिए वर्षों तक कोर्ट का चक्कर लगाने के लिए मजबूर करना उत्पीड़न के समान है। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कथित पीड़िता से शादी करने वाले युवक पर दर्ज अपहरण और पॉक्सो के मुकदमे की पूरी कार्यवाही को रद्द कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने अश्विनी आनंद की अर्जी पर दिया है।
फर्रुखाबाद के राजेपुर थाने में 23 जून 2024 को पीड़िता के पिता ने याची पर अपहरण, शादी के लिए मजबूर करना व पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था। युवक ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर मुकदमे की पूरी कार्यवाही रद्द करने की मांग की। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि याची और कथित पीड़िता ने 23 जून 2025 को बालिग होने के बाद विवाह कर लिया है। उनका विवाह उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली, 2017 के तहत विधिवत पंजीकृत भी है।
पीड़िता ने स्वयं न्यायालय के समक्ष एक शपथ पत्र दायर किया है, जिसमें उसने युवक पर लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है। उसने अपने बयान में भी अभियोजन के आरोपों का समर्थन नहीं किया। वहीं, अपर शासकीय अधिवक्ता ने मुकदमा रद्द करने की मांग का विरोध किया। उनकी दलील थी पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध समाज के खिलाफ अपराध है। इसे समझौते से या पीड़िता के हलफनामे के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि जब विवाह हो चुका है और कथित पीड़िता स्वयं कार्यवाही को रद्द करने का समर्थन कर रही है, तो पूरा ट्रायल चलाने का कोई औचित्य नहीं है। जब मुकदमे का अंतिम परिणाम निश्चित रूप से बरी होना ही है, तो केवल औपचारिकता के लिए ट्रायल चलाना न्याय नहीं है। ऐसे में मुकदमा चलाने से कोर्ट का कीमती समय बर्बाद होगा। कोर्ट ने कहा कि अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए मामले की पूरी कार्यवाही को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।