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Amethi News: भक्ति ही भगवान की कृपा का मूल स्रोत
संवाद न्यूज एजेंसी, अमेठी
Updated Tue, 25 Nov 2025 12:19 AM IST
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सिंहपुर के उसरहा गांव में श्रीमद्भागवत सुनतीं महिलाएं। संवाद
- फोटो : आरोग्य मेले में बुजुर्ग की जांच करते डॉक्टर पवन।
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अमेठी सिटी। भक्ति का पवित्र भाव ही भगवान की कृपा का मूल स्रोत है। मन के भीतर सकारात्मक और नकारात्मक विचारों का संघर्ष चलता रहता है। जब मनुष्य धैर्य और भक्ति से अपने भीतर का विष निकाल देता है, तब अमृत रूपी ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह संदेश सिंहपुर क्षेत्र के उसरहा गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन अयोध्या कालिका धाम पीठाधीश्वर डॉ. शैलेंद्राचार्य महाराज ने दिया।
प्रवाचक ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन को सत्य, प्रेम और सेवा की दिशा में आगे बढ़ाने वाला मार्गदर्शन है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि एक दृश्य भी मनुष्य का आचरण बदलने में सक्षम है। इसलिए नेत्र और श्रवण पर नियंत्रण आवश्यक है। नर्क से बचने का सरल मार्ग भगवत भजन है। जो भी जीव ईश्वर के नाम में विश्वास रखता है, सत्संग करता है, वह भवसागर से पार हो जाता है।
प्रवाचक ने कहा कि नेत्र और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। जैसा मनुष्य देखता और सुनता है, वैसा ही आचरण बन जाता है। इसलिए उचित और सकारात्मक बातों को ही सुनना और देखना चाहिए। भगवान के नाम का आश्रय जीवन को सुरक्षित मार्ग पर ले जाता है। सत्संग ही वह साधन है जो मनुष्य के साथ हर परिस्थिति में रहता है। इस मौके पर बब्बू तिवारी, दीपू शुक्ला, अमरेश तिवारी, बृजेश तिवारी, प्रदीप तिवारी, करुणेश अग्निहोत्री, तुषार त्रिवेदी, संतोष दुबे, अविनाश शर्मा, अमरेश कुमार तिवारी एडवोकेट, अखिलेश कुमार तिवारी, अनुपम तिवारी, सत्य प्रकाश अवस्थी, चुन्नीलाल अवस्थी आदि मौजूद रहे।
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प्रवाचक ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन को सत्य, प्रेम और सेवा की दिशा में आगे बढ़ाने वाला मार्गदर्शन है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि एक दृश्य भी मनुष्य का आचरण बदलने में सक्षम है। इसलिए नेत्र और श्रवण पर नियंत्रण आवश्यक है। नर्क से बचने का सरल मार्ग भगवत भजन है। जो भी जीव ईश्वर के नाम में विश्वास रखता है, सत्संग करता है, वह भवसागर से पार हो जाता है।
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प्रवाचक ने कहा कि नेत्र और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। जैसा मनुष्य देखता और सुनता है, वैसा ही आचरण बन जाता है। इसलिए उचित और सकारात्मक बातों को ही सुनना और देखना चाहिए। भगवान के नाम का आश्रय जीवन को सुरक्षित मार्ग पर ले जाता है। सत्संग ही वह साधन है जो मनुष्य के साथ हर परिस्थिति में रहता है। इस मौके पर बब्बू तिवारी, दीपू शुक्ला, अमरेश तिवारी, बृजेश तिवारी, प्रदीप तिवारी, करुणेश अग्निहोत्री, तुषार त्रिवेदी, संतोष दुबे, अविनाश शर्मा, अमरेश कुमार तिवारी एडवोकेट, अखिलेश कुमार तिवारी, अनुपम तिवारी, सत्य प्रकाश अवस्थी, चुन्नीलाल अवस्थी आदि मौजूद रहे।