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Amethi News: कोर्ट में नहीं बैठे एसडीएम व सीओ चकबंदी
संवाद न्यूज एजेंसी, अमेठी
Updated Tue, 25 Nov 2025 12:31 AM IST
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अमेठी। तहसील में सोमवार को न्यायिक कार्य ठप रहा। निर्धारित तिथि के बावजूद एसडीएम प्रशासनिक और सीओ चकबंदी न्यायालय में सुनवाई नहीं हो सकी। दोनों कोर्ट बंद रहने से 95 मामलों की सुनवाई टल गई, जिससे वादकारियों और अधिवक्ताओं में नाराजगी देखने को मिली।
एसडीएम प्रशासनिक कोर्ट में 19 वाद और सीओ चकबंदी कोर्ट में 76 वाद सूचीबद्ध थे। सुबह से ही बड़ी संख्या में वादकारी पेशी के लिए पहुंचे थे, लेकिन उन्हें बताया गया कि दोनों अधिकारी आज कोर्ट में नहीं बैठेंगे। विभागीय कर्मियों ने बताया कि सीओ चकबंदी छुट्टी पर चले गए, जबकि एसडीएम प्रशासनिक अन्य सरकारी कार्यों में व्यस्त रहे। उधर नायब तहसीलदार, तहसीलदार और एसडीएम न्यायिक अदालत में सोमवार को किसी वाद की सुनवाई नहीं होनी थी। अचानक सुनवाई टलने से वादकारी परेशान दिखे।
थौरा गांव के रामसजीवन ने कहा कि पेशी पर आने से मजदूरी छूट जाती है। यहां आकर पता चलता है कि कोर्ट नहीं चलेगी। तिवारीपुर गांव के रामप्रकाश ने कहा कि दो महीने से मामला लंबित है। हर बार कोई न कोई कारण बताकर सुनवाई टाल दी जाती है। गरीब आदमी आखिर कितनी बार आए। बड़गांव की सरोज देवी ने कहा कि महिलाएं घर-परिवार छोड़कर आती हैं। कोर्ट बंद होने से दुख और बढ़ जाता है।
कस्बे के फिरोज अहमद बोले कि न्यायालय में काम समय पर न होने से जनता का भरोसा टूटता है। प्रशासन को इस पर सख्ती से ध्यान देना चाहिए। अधिवक्ताओं ने भी कहा कि लगातार तिथियों पर कोर्ट का न चलना न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि निर्धारित तिथि पर हर हाल में अदालतें संचालित कराई जाएं, ताकि वादकारी परेशानियों से बच सकें।
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एसडीएम प्रशासनिक कोर्ट में 19 वाद और सीओ चकबंदी कोर्ट में 76 वाद सूचीबद्ध थे। सुबह से ही बड़ी संख्या में वादकारी पेशी के लिए पहुंचे थे, लेकिन उन्हें बताया गया कि दोनों अधिकारी आज कोर्ट में नहीं बैठेंगे। विभागीय कर्मियों ने बताया कि सीओ चकबंदी छुट्टी पर चले गए, जबकि एसडीएम प्रशासनिक अन्य सरकारी कार्यों में व्यस्त रहे। उधर नायब तहसीलदार, तहसीलदार और एसडीएम न्यायिक अदालत में सोमवार को किसी वाद की सुनवाई नहीं होनी थी। अचानक सुनवाई टलने से वादकारी परेशान दिखे।
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थौरा गांव के रामसजीवन ने कहा कि पेशी पर आने से मजदूरी छूट जाती है। यहां आकर पता चलता है कि कोर्ट नहीं चलेगी। तिवारीपुर गांव के रामप्रकाश ने कहा कि दो महीने से मामला लंबित है। हर बार कोई न कोई कारण बताकर सुनवाई टाल दी जाती है। गरीब आदमी आखिर कितनी बार आए। बड़गांव की सरोज देवी ने कहा कि महिलाएं घर-परिवार छोड़कर आती हैं। कोर्ट बंद होने से दुख और बढ़ जाता है।
कस्बे के फिरोज अहमद बोले कि न्यायालय में काम समय पर न होने से जनता का भरोसा टूटता है। प्रशासन को इस पर सख्ती से ध्यान देना चाहिए। अधिवक्ताओं ने भी कहा कि लगातार तिथियों पर कोर्ट का न चलना न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि निर्धारित तिथि पर हर हाल में अदालतें संचालित कराई जाएं, ताकि वादकारी परेशानियों से बच सकें।