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Amethi News: भागवत कथा सुनने से निर्मल होता है मन
संवाद न्यूज एजेंसी, अमेठी
Updated Wed, 17 Dec 2025 01:06 AM IST
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मुंशीगंज के त्रिलोकपुर गांव में श्रीमद्भागवत कथा सुनते श्रद्धालु। स्त्रोत : आयोजक
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मुंशीगंज। आत्मा को जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त करने का मार्ग भक्ति से होकर गुजरता है। सत्कर्म और सच्चेभाव से की गई भक्ति मनुष्य को भय से दूर करती है। निर्मल मन से विश्वास रखने वाले भक्त की भगवान सदैव सहायता करते हैं। ये बातें त्रिलोकपुर गांव में ग्रामीणों के सहयोग से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन प्रवाचक आचार्य विपिन पांडेय ने कहीं।
प्रवाचक ने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता तथा राजा परीक्षित के मोक्ष प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि राजा परीक्षित ने महाराज शुकदेव से सात दिनों तक श्रद्धा और भाव के साथ श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया। इससे उनका मृत्यु का भय समाप्त हो गया। प्रवाचक ने कहा कि मनुष्य संसार के मोह में बंधकर जीवन के उद्देश्य से भटक जाता है। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मन निर्मल होता है और जीवन की दिशा स्पष्ट होती है।
प्रवाचक ने कहा कि श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता त्याग, प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। सच्ची मित्रता स्वार्थ और लाभ की अपेक्षा से ऊपर होती है। सुदामा की निष्ठा और कृष्ण की करुणा आज भी समाज को मार्ग दिखाती है। बताया कि जो व्यक्ति नित्य नियम के साथ सात दिन तक संकल्पपूर्वक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करता है, वह पापों से मुक्त होकर श्रीकृष्ण की भक्ति प्राप्त करता है। श्रीमद्भागवत का प्रत्येक अक्षर जीवन को सकारात्मक दिशा देने वाला है।
इस अवसर पर मुख्य यजमान मोतीलाल विश्वकर्मा, अनुराग पांडेय, मनीष मिश्रा, हेमंत तिवारी, गुलशन मिश्रा, अर्जुन वर्मा, अतुल पांडेय, विजय पाल, संदीप तिवारी, सत्यम पाल, सुमित पाल आदि मौजूद रहे।
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प्रवाचक ने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता तथा राजा परीक्षित के मोक्ष प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि राजा परीक्षित ने महाराज शुकदेव से सात दिनों तक श्रद्धा और भाव के साथ श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया। इससे उनका मृत्यु का भय समाप्त हो गया। प्रवाचक ने कहा कि मनुष्य संसार के मोह में बंधकर जीवन के उद्देश्य से भटक जाता है। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मन निर्मल होता है और जीवन की दिशा स्पष्ट होती है।
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प्रवाचक ने कहा कि श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता त्याग, प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। सच्ची मित्रता स्वार्थ और लाभ की अपेक्षा से ऊपर होती है। सुदामा की निष्ठा और कृष्ण की करुणा आज भी समाज को मार्ग दिखाती है। बताया कि जो व्यक्ति नित्य नियम के साथ सात दिन तक संकल्पपूर्वक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करता है, वह पापों से मुक्त होकर श्रीकृष्ण की भक्ति प्राप्त करता है। श्रीमद्भागवत का प्रत्येक अक्षर जीवन को सकारात्मक दिशा देने वाला है।
इस अवसर पर मुख्य यजमान मोतीलाल विश्वकर्मा, अनुराग पांडेय, मनीष मिश्रा, हेमंत तिवारी, गुलशन मिश्रा, अर्जुन वर्मा, अतुल पांडेय, विजय पाल, संदीप तिवारी, सत्यम पाल, सुमित पाल आदि मौजूद रहे।
