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Amroha News: देहरादून से हरियाणा तक तलाश पर नहीं लगा पुष्पेंद्र व प्रीतम का सुराग
संवाद न्यूज एजेंसी, अमरोहा
Updated Fri, 19 Sep 2025 02:58 AM IST
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रहरा। देहरादून में बादल फटने की घटना के बाद नदी में बहे गांव रहरा निवासी पुष्पेंद्र और पीतम का शव बृहस्पतिवार को तीसरे दिन शाम तक भी नहीं मिल पाया है। परिजनों के मुताबिक देहरादून से हरियाणा तक नदी में दोनों की तलाश की जा चुकी है, लेकिन कोई खोज नहीं मिल पाया है। परिजन अपनों की खोज में हताश होकर आंसू बहाने को मजबूर हैं।
हसनपुर के गांव रहरा और आसपास के गांव के रहने वाले 11 मजदूर रक्षाबंधन त्योहार से दो दिन बाद देहरादून के बाजावाला गांव में मजदूरी करने गए थे। बताते हैं कि स्पिना नदी से बजरपुट निकाला जा रहा था। मंगलवार तड़के करीब 5:18 पर भारी बारिश और बादल फटने की वह से नदी में बाढ़ आ गई थी। नदी में काम करते समय रहरा निवासी पुष्पेंद्र (20), पीतम (22) और पंकज (27) बह गए थे।
पांच घंटे बाद पंकज का शव मिल गया था जबकि अन्य की तलाश बृहस्पतिवार शाम तक भी जारी रही। तीसरे दिन भी उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है। लापता पुष्पेंद्र के छोटे भाई देवेंद्र ने बताया कि देहरादून से लेकर हरियाणा तक प्रीतम और पुष्पेंद्र की तलाश की जा चुकी है, जिसकी दूरी करीब 250 किलोमीटर से भी अधिक है लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पाया है। जिसको लेकर परिजन बहुत परेशान हैं।
देहरादून प्रशासन व ठेकेदार मदद न करने का आरोप
हसनपुर। बादल फटने से लापता नदी में बहने वाले पुष्पेंद्र के छोटे भाई देेवेंद्र ने बताया कि मंगलवार की सुबह को पुष्पेंद्र और प्रीतम बहे थे, आरोप है कि देहरादून प्रशासन की तरफ से लापता लोगों की तलाश कराने में कोई मदद नहीं मिल रही है। परिजन स्वयं ही तलाश करते हुए भटक रहे हैं। कहा कि जिस ठेकेदार के लिए कार्य किया जा रहा था। वह भी कोई मदद नहीं कर रहा है। संवाद
देहरादून में ही हुआ पंकज के शव का अंतिम संस्कार
हसनपुर। मंगलवार सुबह बादल फटने से नदी में बहकर हुई पंकज की मौत के बाद उसके शव को देहरादून के अस्पताल में ही रखा गया था। देवेंद्र ने बताया कि बृहस्पतिवार को पंकज के शव का अंतिम संस्कार देहरादून में ही कर दिया गया। पंकज पिछले दस वर्षों से परिवार के साथ देहरादून में ही रह रहा था। वह कभी-कभी अपने गांव रहरा आया करता था।

हसनपुर के गांव रहरा और आसपास के गांव के रहने वाले 11 मजदूर रक्षाबंधन त्योहार से दो दिन बाद देहरादून के बाजावाला गांव में मजदूरी करने गए थे। बताते हैं कि स्पिना नदी से बजरपुट निकाला जा रहा था। मंगलवार तड़के करीब 5:18 पर भारी बारिश और बादल फटने की वह से नदी में बाढ़ आ गई थी। नदी में काम करते समय रहरा निवासी पुष्पेंद्र (20), पीतम (22) और पंकज (27) बह गए थे।
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पांच घंटे बाद पंकज का शव मिल गया था जबकि अन्य की तलाश बृहस्पतिवार शाम तक भी जारी रही। तीसरे दिन भी उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है। लापता पुष्पेंद्र के छोटे भाई देवेंद्र ने बताया कि देहरादून से लेकर हरियाणा तक प्रीतम और पुष्पेंद्र की तलाश की जा चुकी है, जिसकी दूरी करीब 250 किलोमीटर से भी अधिक है लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पाया है। जिसको लेकर परिजन बहुत परेशान हैं।
देहरादून प्रशासन व ठेकेदार मदद न करने का आरोप
हसनपुर। बादल फटने से लापता नदी में बहने वाले पुष्पेंद्र के छोटे भाई देेवेंद्र ने बताया कि मंगलवार की सुबह को पुष्पेंद्र और प्रीतम बहे थे, आरोप है कि देहरादून प्रशासन की तरफ से लापता लोगों की तलाश कराने में कोई मदद नहीं मिल रही है। परिजन स्वयं ही तलाश करते हुए भटक रहे हैं। कहा कि जिस ठेकेदार के लिए कार्य किया जा रहा था। वह भी कोई मदद नहीं कर रहा है। संवाद
देहरादून में ही हुआ पंकज के शव का अंतिम संस्कार
हसनपुर। मंगलवार सुबह बादल फटने से नदी में बहकर हुई पंकज की मौत के बाद उसके शव को देहरादून के अस्पताल में ही रखा गया था। देवेंद्र ने बताया कि बृहस्पतिवार को पंकज के शव का अंतिम संस्कार देहरादून में ही कर दिया गया। पंकज पिछले दस वर्षों से परिवार के साथ देहरादून में ही रह रहा था। वह कभी-कभी अपने गांव रहरा आया करता था।