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फर्जीवाड़ा में लेखपाल दोषी, मंडलायुक्त ने दिया निलंबन का निर्देश
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आजमगढ़। नगर के मौजा सिधारी स्थित जमन 10ब की भूमि को अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर वरासत करने के मामले में मंडलायुक्त ने लेखपाल को दोषी पाया। मंडलायुक्त ने लेखपाल के निलंबन और उसके विरुद्घ विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया है।
नगर के मौजा सिधारी स्थित गाटा संख्या 12ए रकबा 0.486 हेक्टेअर भूमि का मामला है। सिधारी निवासी मिथिलेश पुत्र लक्ष्मण ने मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी को उस भूमि की वरासत के संबंध में शिकायत की थी। उन्होंने उस भूमि को नजूल की भूमि के रूप में दर्ज रखे जाने का अनुरोध किया था। मंडलायुक्त ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच अपर आयुक्त प्रशासन अनिल कुमार मिश्र को सौंपी। अपर आयुक्त ने अपनी आख्या में बताया कि मौजा सिधारी में गाटा संख्या 12ए रकबा 0.486 हेक्टेअर अली रजा पुत्र अली औसत, निवासी मौजा सिधारी के पक्ष में जमन 10ब अंकित था। उस जमन 10ब सरकार बहादुर मुंदर्जा खाता खेवट संख्या तीन की भूमि थी और जमन 10ब के खातेदार अली रजा पुत्र औसत अली की काफी पहले मृत्यु हो चुकी है। अली रजा की मृत्यु के बाद उनकी वरासत का कोई प्राविधान नहीं था, क्योंकि जमन 10ब के काश्तकारों की वरासत नहीं की जाती है। लेकिन तत्कालीन लेखपाल राधेश्याम यादव ने अपने क्षेत्राधिकार से परे जाकर गाटा संख्या 12ए रकबा 0.486 हेक्टेअर को 20 जून 2006 को मृतक अली रजा की वरासत दर्ज करते हुए इनके वारिसान के नाम जमन आठ अंकित कर दिया। जबकि जमन 10ब के काश्तकार को जमन आठ में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है लेकिन अली रजा के वारिसान को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से तत्कालीन लेखपाल द्वारा यह कार्य किया गया है। जिसके लिए वह पूर्णतया दोषी हैं। तत्कालीन लेखपाल वर्तमान में तहसील मेंहनगर में कार्यरत हैं। मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी ने इस स्थिति पर सख्त नाराजगी व्यक्त किया तथा तत्कालीन लेखपाल को जानबूझ कर की गई घोर अनियमितता का दोषी मानते हुए लेखपाल राधेश्याम यादव को तत्काल निलंबित कर उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने के लिए एसडीएम मेंहनगर को निर्देशित किया। इसके साथ ही उन्होंने उक्त भूमि के फर्जी इंद्राज को तत्काल निरस्त कर मूल खाते में अंकित करने का भी निर्देश दिया है।

नगर के मौजा सिधारी स्थित गाटा संख्या 12ए रकबा 0.486 हेक्टेअर भूमि का मामला है। सिधारी निवासी मिथिलेश पुत्र लक्ष्मण ने मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी को उस भूमि की वरासत के संबंध में शिकायत की थी। उन्होंने उस भूमि को नजूल की भूमि के रूप में दर्ज रखे जाने का अनुरोध किया था। मंडलायुक्त ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच अपर आयुक्त प्रशासन अनिल कुमार मिश्र को सौंपी। अपर आयुक्त ने अपनी आख्या में बताया कि मौजा सिधारी में गाटा संख्या 12ए रकबा 0.486 हेक्टेअर अली रजा पुत्र अली औसत, निवासी मौजा सिधारी के पक्ष में जमन 10ब अंकित था। उस जमन 10ब सरकार बहादुर मुंदर्जा खाता खेवट संख्या तीन की भूमि थी और जमन 10ब के खातेदार अली रजा पुत्र औसत अली की काफी पहले मृत्यु हो चुकी है। अली रजा की मृत्यु के बाद उनकी वरासत का कोई प्राविधान नहीं था, क्योंकि जमन 10ब के काश्तकारों की वरासत नहीं की जाती है। लेकिन तत्कालीन लेखपाल राधेश्याम यादव ने अपने क्षेत्राधिकार से परे जाकर गाटा संख्या 12ए रकबा 0.486 हेक्टेअर को 20 जून 2006 को मृतक अली रजा की वरासत दर्ज करते हुए इनके वारिसान के नाम जमन आठ अंकित कर दिया। जबकि जमन 10ब के काश्तकार को जमन आठ में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है लेकिन अली रजा के वारिसान को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से तत्कालीन लेखपाल द्वारा यह कार्य किया गया है। जिसके लिए वह पूर्णतया दोषी हैं। तत्कालीन लेखपाल वर्तमान में तहसील मेंहनगर में कार्यरत हैं। मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी ने इस स्थिति पर सख्त नाराजगी व्यक्त किया तथा तत्कालीन लेखपाल को जानबूझ कर की गई घोर अनियमितता का दोषी मानते हुए लेखपाल राधेश्याम यादव को तत्काल निलंबित कर उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने के लिए एसडीएम मेंहनगर को निर्देशित किया। इसके साथ ही उन्होंने उक्त भूमि के फर्जी इंद्राज को तत्काल निरस्त कर मूल खाते में अंकित करने का भी निर्देश दिया है।
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