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Bahraich News: विकास कार्यों में 34 लाख से अधिक का घोटाला
संवाद न्यूज एजेंसी, बहराइच
Updated Thu, 20 Nov 2025 12:25 AM IST
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बहराइच। बाढ़ प्रभावित महसी ब्लॉक के बरुआ बेहड़ ग्राम पंचायत में मनरेगा के नाम पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। गांव के विकास कार्यों को कागजों में पूरा दिखाकर लाखों रुपये का भुगतान करा लिया गया, जबकि वास्तविकता यह है कि अधिकांश कार्य जमीनी स्तर पर हुए ही नहीं। अधिकारियों की जांच में 34.28 लाख रुपये से अधिक के घोटाले की पुष्टि हुई है।
घोटाले के आरोपी ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव, रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। लोकपाल मनरेगा उमेश तिवारी ने अब अंतिम नोटिस जारी किया है। जवाब न मिलने पर संबंधित कर्मचारियों से धन वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
ग्राम पंचायत बरुआ बेहड़ के तेजशंकर, संगम लाल, पांचू, राकेश, जालिम, शंभू, द्वारिका, इंदल, स्वामी दयाल, अनिल कुमार समेत 60 ग्रामीणों ने हस्ताक्षरित शिकायत पत्र लोकपाल मनरेगा और आयुक्त ग्रामीण विकास विभाग, लखनऊ को भेजा था।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत में कोई वास्तविक विकास कार्य नहीं हुआ। सड़कों की मिट्टी पटाई, चकमार्ग, नाली, पुलिया और अमृत सरोवर निर्माण सिर्फ कागजों में कर दिए गए। गांव में हालात बदतर हैं और आने-जाने के लिए रास्ता भी खस्ताहाल है। ग्रामीणों ने कहा कि मनरेगा की धनराशि का बड़ा घोटाला किया गया है, जबकि गांव विकास के नाम पर उपेक्षित है।
शिकायत पर आयुक्त ग्रामीण विकास विभाग के आदेश के बाद उपायुक्त श्रम रोजगार रविशंकर ने जांच की जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारी महसी को सौंपी। खंड विकास अधिकारी ने सहायक विकास अधिकारी पंचायत तथा ग्राम्य अभिकरण विभाग के अवर अभियंता से मामले की जांच कराई। दोनों अधिकारियों ने 9 सितंबर को अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें हेराफेरी की पुष्टि की गई है।
जांच में पाया गया कि ग्राम पंचायत में चकमार्ग, मिट्टी पटाई, टीला निर्माण और अमृत सरोवर जैसी कई परियोजनाएं कागजों में पूर्ण दिखाकर भुगतान निकाल लिया गया। वास्तविकता में ज्यादातर स्थानों पर काम शुरू तक नहीं हुआ।
आरोपियों को नोटिस, लेकिन कोई जवाब नहीं
जांच में सामने आईं अनियमितताओं के आधार पर खंड विकास अधिकारी महसी ने 25 सितंबर को ग्राम प्रधान रेखा रानी, ग्राम पंचायत अधिकारी राजवंत कुमार, तकनीकी सहायक देवेंद्र पाठक और रोजगार सेवक रमाशंकर शुक्ल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। 15 दिन बाद रिमाइंडर भी भेजा गया, लेकिन किसी भी आरोपी ने नोटिस का जवाब नहीं दिया। लोकपाल मनरेगा उमेश तिवारी ने अब अंतिम नोटिस भेज दिया है और चेतावनी दी है कि जवाब न मिलने पर घोटाले की धनराशि की वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
जांच में यह घोटाले हुए उजागर
- बरुआ बेहड़ में गाटा संख्या 26 से अर्जुन सिंह के बगला तक चकमार्ग निर्माण कार्य-लागत 7.82 लाख रुपये
- मंगरवल में बाढ़ से बचाव हेतु टीला निर्माण कार्य लागत 9.04 लाख रुपये
- पंकज के घर से जंगली के घर तक चकमार्ग निर्माण कार्य लागत 4.85 लाख रुपये
- उमरिया में पांडेय फार्म हाउस से बरुआ बेहड गाटा सं० 30 तक चक मार्ग निर्माण कार्य लागत 8.37 लाख
- बरुआ बेहड़ में बाढ़ से बचाव हेतु टीला निर्माण कार्य कार्य लागत 9.85 लाख रुपये
- अमृत सरोवर निर्माण कार्य मौके पर अमृत सरोवर का गेट निर्माण का कार्य अधूरा पाया गया। यह नीचे से टूटा पाया गया है।
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घोटाले के आरोपी ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव, रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। लोकपाल मनरेगा उमेश तिवारी ने अब अंतिम नोटिस जारी किया है। जवाब न मिलने पर संबंधित कर्मचारियों से धन वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
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ग्राम पंचायत बरुआ बेहड़ के तेजशंकर, संगम लाल, पांचू, राकेश, जालिम, शंभू, द्वारिका, इंदल, स्वामी दयाल, अनिल कुमार समेत 60 ग्रामीणों ने हस्ताक्षरित शिकायत पत्र लोकपाल मनरेगा और आयुक्त ग्रामीण विकास विभाग, लखनऊ को भेजा था।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत में कोई वास्तविक विकास कार्य नहीं हुआ। सड़कों की मिट्टी पटाई, चकमार्ग, नाली, पुलिया और अमृत सरोवर निर्माण सिर्फ कागजों में कर दिए गए। गांव में हालात बदतर हैं और आने-जाने के लिए रास्ता भी खस्ताहाल है। ग्रामीणों ने कहा कि मनरेगा की धनराशि का बड़ा घोटाला किया गया है, जबकि गांव विकास के नाम पर उपेक्षित है।
शिकायत पर आयुक्त ग्रामीण विकास विभाग के आदेश के बाद उपायुक्त श्रम रोजगार रविशंकर ने जांच की जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारी महसी को सौंपी। खंड विकास अधिकारी ने सहायक विकास अधिकारी पंचायत तथा ग्राम्य अभिकरण विभाग के अवर अभियंता से मामले की जांच कराई। दोनों अधिकारियों ने 9 सितंबर को अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें हेराफेरी की पुष्टि की गई है।
जांच में पाया गया कि ग्राम पंचायत में चकमार्ग, मिट्टी पटाई, टीला निर्माण और अमृत सरोवर जैसी कई परियोजनाएं कागजों में पूर्ण दिखाकर भुगतान निकाल लिया गया। वास्तविकता में ज्यादातर स्थानों पर काम शुरू तक नहीं हुआ।
आरोपियों को नोटिस, लेकिन कोई जवाब नहीं
जांच में सामने आईं अनियमितताओं के आधार पर खंड विकास अधिकारी महसी ने 25 सितंबर को ग्राम प्रधान रेखा रानी, ग्राम पंचायत अधिकारी राजवंत कुमार, तकनीकी सहायक देवेंद्र पाठक और रोजगार सेवक रमाशंकर शुक्ल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। 15 दिन बाद रिमाइंडर भी भेजा गया, लेकिन किसी भी आरोपी ने नोटिस का जवाब नहीं दिया। लोकपाल मनरेगा उमेश तिवारी ने अब अंतिम नोटिस भेज दिया है और चेतावनी दी है कि जवाब न मिलने पर घोटाले की धनराशि की वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
जांच में यह घोटाले हुए उजागर
- बरुआ बेहड़ में गाटा संख्या 26 से अर्जुन सिंह के बगला तक चकमार्ग निर्माण कार्य-लागत 7.82 लाख रुपये
- मंगरवल में बाढ़ से बचाव हेतु टीला निर्माण कार्य लागत 9.04 लाख रुपये
- पंकज के घर से जंगली के घर तक चकमार्ग निर्माण कार्य लागत 4.85 लाख रुपये
- उमरिया में पांडेय फार्म हाउस से बरुआ बेहड गाटा सं० 30 तक चक मार्ग निर्माण कार्य लागत 8.37 लाख
- बरुआ बेहड़ में बाढ़ से बचाव हेतु टीला निर्माण कार्य कार्य लागत 9.85 लाख रुपये
- अमृत सरोवर निर्माण कार्य मौके पर अमृत सरोवर का गेट निर्माण का कार्य अधूरा पाया गया। यह नीचे से टूटा पाया गया है।