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Bahraich News: मनरेगा में 39 लाख का घोटाला, एक ही सड़क के लिए पांच बार भुगतान
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घोटाले की जांच के दौरान मिट्टी खोदवाते अधिकारी।
- फोटो : घोटाले की जांच के दौरान मिट्टी खोदवाते अधिकारी।
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जरवलरोड। मनरेगा योजना में खुलेआम लूट का चौंकाने वाला मामला जरवल विकासखंड की मुस्तफाबाद ग्राम पंचायत से सामने आया है। यहां ग्राम प्रधान, सचिव और तकनीकी सहायक ने आपसी मिलीभगत से एक ही सड़क और विकास कार्यों के नाम बदल-बदलकर कई बार भुगतान करा लिया। ग्रामीणों की शिकायत पर हुई लोकपाल जांच में 39 लाख रुपये से अधिक के घोटाले का खुलासा हुआ है।
गांव निवासी बिलाल अंसारी सहित अन्य ग्रामीणों ने मनरेगा लोकपाल उमेश तिवारी से ग्राम पंचायत में हुए विकास कार्यों में भारी अनियमितता की शिकायत की थी। लोकपाल उमेश तिवारी ने ग्राम प्रधान अबू सहमा, तकनीकी सहायक अमोल श्रीवास्तव और संबंधित कर्मियों की मौजूदगी में गांव के विभिन्न विकास कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया।
लोकपाल जांच में सामने आया कि ग्राम पंचायत में एक ही सड़क को अलग-अलग नाम देकर पांच बार भुगतान निकाला गया। इसके अलावा इंटरलॉकिंग, खड़ंजा, मिट्टी पटाई और तालाबों के जीर्णोद्धार जैसे कई कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई।
इन कार्यों में हुई अनियमितता
जांच में जिन कार्यों में अनियमितता पाई गई, उनमें मेन रोड से इमरान के घर तक इंटरलॉकिंग, दस्तगीर के घर से नहर तक, अख्तर मास्टर के घर से नहर पुल तक, घनश्याम के खेत से मुख्तार के खेत तक, डामर रोड से रघुराज के खेत तक, संतोष के खेत से मुर्तजा के खेत तक, लखनऊ मार्ग से कर्बला तक, लखनऊ मार्ग से बेचन के खेत तक, डामर रोड से लहरपुर तक, डामर रोड से सपसा बॉर्डर तक, राधेश्याम के खेत से इंदर के खेत तक, चौडगरा से राजू के घर तक, हर सकरी से सत्यनारायण यादव के घर तक, हर सकरी से जिला परिषद ड्योढ़ी तक, डामर रोड से खड़ंजा तक, रोड से सुहेल के प्लांट तक, लखनऊ मार्ग से सत्तार खान के खेत तक मिट्टी पटाई कार्य शामिल हैं। इसके अलावा कुड़वा तालाब, रकबा तालाब और श्मशान घाट तालाब के जीर्णोद्धार और खुदाई कार्यों में भी भारी अनियमितता मिली है।
अभिलेख और सूचना बोर्ड नहीं मिले
लोकपाल उमेश तिवारी ने बताया कि निरीक्षण के दौरान ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों द्वारा कोई भी अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया। किसी भी कार्य स्थल पर सूचना बोर्ड भी नहीं लगाया गया था, जो मनरेगा नियमों का सीधा उल्लंघन है। पंचायत की ओर से न तो दस्तावेज दिखाए गए और न ही अपना पक्ष रखा गया। उन्होंने बताया कि एक ही कार्य का नाम बदलकर और अक्षरों में हेरफेर कर बार-बार भुगतान लिया गया। ग्रामीणों के चंदे से बनी सड़क पर भी अवैध मस्टर रोल दिखाकर भुगतान किया गया, जो अनैतिकता की पराकाष्ठा है। एक ही कार्य पर पांच-पांच बार भुगतान निकालकर जनता की गाढ़ी कमाई की खुली लूट की गई।
29.75 लाख की वसूली की संस्तुति
लोकपाल ने जांच के बाद 29,75,153 रुपये की वसूली संबंधित दोषियों से समानुपात में कराकर राजकीय कोष में जमा कराने की संस्तुति की है। साथ ही मामले को गंभीर मानते हुए आगे की विभागीय और कानूनी कार्रवाई की भी सिफारिश की है।
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गांव निवासी बिलाल अंसारी सहित अन्य ग्रामीणों ने मनरेगा लोकपाल उमेश तिवारी से ग्राम पंचायत में हुए विकास कार्यों में भारी अनियमितता की शिकायत की थी। लोकपाल उमेश तिवारी ने ग्राम प्रधान अबू सहमा, तकनीकी सहायक अमोल श्रीवास्तव और संबंधित कर्मियों की मौजूदगी में गांव के विभिन्न विकास कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया।
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लोकपाल जांच में सामने आया कि ग्राम पंचायत में एक ही सड़क को अलग-अलग नाम देकर पांच बार भुगतान निकाला गया। इसके अलावा इंटरलॉकिंग, खड़ंजा, मिट्टी पटाई और तालाबों के जीर्णोद्धार जैसे कई कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई।
इन कार्यों में हुई अनियमितता
जांच में जिन कार्यों में अनियमितता पाई गई, उनमें मेन रोड से इमरान के घर तक इंटरलॉकिंग, दस्तगीर के घर से नहर तक, अख्तर मास्टर के घर से नहर पुल तक, घनश्याम के खेत से मुख्तार के खेत तक, डामर रोड से रघुराज के खेत तक, संतोष के खेत से मुर्तजा के खेत तक, लखनऊ मार्ग से कर्बला तक, लखनऊ मार्ग से बेचन के खेत तक, डामर रोड से लहरपुर तक, डामर रोड से सपसा बॉर्डर तक, राधेश्याम के खेत से इंदर के खेत तक, चौडगरा से राजू के घर तक, हर सकरी से सत्यनारायण यादव के घर तक, हर सकरी से जिला परिषद ड्योढ़ी तक, डामर रोड से खड़ंजा तक, रोड से सुहेल के प्लांट तक, लखनऊ मार्ग से सत्तार खान के खेत तक मिट्टी पटाई कार्य शामिल हैं। इसके अलावा कुड़वा तालाब, रकबा तालाब और श्मशान घाट तालाब के जीर्णोद्धार और खुदाई कार्यों में भी भारी अनियमितता मिली है।
अभिलेख और सूचना बोर्ड नहीं मिले
लोकपाल उमेश तिवारी ने बताया कि निरीक्षण के दौरान ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों द्वारा कोई भी अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया। किसी भी कार्य स्थल पर सूचना बोर्ड भी नहीं लगाया गया था, जो मनरेगा नियमों का सीधा उल्लंघन है। पंचायत की ओर से न तो दस्तावेज दिखाए गए और न ही अपना पक्ष रखा गया। उन्होंने बताया कि एक ही कार्य का नाम बदलकर और अक्षरों में हेरफेर कर बार-बार भुगतान लिया गया। ग्रामीणों के चंदे से बनी सड़क पर भी अवैध मस्टर रोल दिखाकर भुगतान किया गया, जो अनैतिकता की पराकाष्ठा है। एक ही कार्य पर पांच-पांच बार भुगतान निकालकर जनता की गाढ़ी कमाई की खुली लूट की गई।
29.75 लाख की वसूली की संस्तुति
लोकपाल ने जांच के बाद 29,75,153 रुपये की वसूली संबंधित दोषियों से समानुपात में कराकर राजकीय कोष में जमा कराने की संस्तुति की है। साथ ही मामले को गंभीर मानते हुए आगे की विभागीय और कानूनी कार्रवाई की भी सिफारिश की है।
