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Bahraich News: जंगल में बसे 13 गांवों के लोग बोले-विस्थापन नीति पर करें पुनर्विचार

Lucknow Bureau लखनऊ ब्यूरो
Updated Wed, 05 Nov 2025 12:36 AM IST
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Residents of 13 forest villages demanded a reconsideration of the displacement policy.
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बिछिया। भरथापुर गांव के विस्थापन के बाद अब कतर्नियाघाट वन क्षेत्र के भीतर बसे 13 अन्य गांवों के विस्थापन की चर्चा ने ग्रामीणों में बेचैनी बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद जहां भरथापुर के लोग समाधान की राह पर हैं, वहीं जंगल में बसे अन्य गांवों के लोगों का कहना है कि उनकी परिस्थिति भरथापुर से भिन्न है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि विस्थापन की नीति पर पुनर्विचार किया जाए और इलाके की वास्तविक स्थिति समझने के लिए अधिकारियों को गांवों में बैठक कर राय लेनी चाहिए।
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भरथापुर की समस्या अलग थी, हमारी अलग

स्थानीय दुकानदार व समाजसेवी सुशील गुप्ता ने कहा भरथापुर गांव चारों तरफ नदियों में घिरा था, वहां संघर्ष अधिक था, लेकिन जंगल में बसे अन्य गावों की स्थिति अलग है। अगर सरकार हमें बेहतर जगह देगी तो हम तैयार हैं, लेकिन बिना बातचीत फैसले को लागू करना उचित नहीं होगा।
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विस्थापन जटिल प्रक्रिया, जनता की भागीदारी जरूरी

समाजसेवी जंग हिंदुस्तानी ने कहा विस्थापन संवेदनशील मसला है। प्रशासनिक इच्छाशक्ति और जनता की भागीदारी के बिना यह सफल नहीं हो पाएगा। भरथापुर जैसे फैसले स्वागत योग्य हैं, लेकिन सब पर एक जैसा निर्णय थोपना सही नहीं।



जंगल हमारी जन्मभूमि है, हम छोड़कर नहीं जाएंगे
ग्राम विशुनापुर निवासी श्रवण कुमार ने स्पष्ट कहा हमारी जड़ें यहां हैं। हम जंगल, जमीन और जल से जुड़े हैं। सरकार सुविधाएं दे रही है, लेकिन हम यहां से अलग होकर नहीं जी पाएंगे।


अधिकारी आएं और ग्रामसभा में राय लें
बर्दिया गांव के समाजसेवी हरिभगवान यादव ने कहा मुख्यमंत्री जी का निर्णय सम्माननीय है। फिर भी, अन्य गांवों पर फैसला होने से पहले अधिकारी गांव में आएं और लोगों की राय जानें। सहमति से ही विस्थापन हो।


हम अपने गांव के साथ हैं, सामूहिक फैसला मंजूर

भवानीपुर के ग्रामीण राम नरेश ने कहा हम जंगल में ठीक हैं। अगर गांव के लोग एक राय बनाते हैं तो वही हमारा निर्णय होगा, हम गांव के लोगों के साथ हैं।


जंगली जानवरों से खतरा नहीं

दुकानदार फरीद अंसारी ने कहा गांव के लोग और वन्य जीव एक-दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाते। असली नुकसान पर्यटन से होता है, जब बाहरी लोग जंगल में अतिक्रमण करते हैं।



13 गांवों का एक साथ विस्थापन बड़ा निर्णय
विशुनापुर थारू समाज उत्थान समिति के जिला अध्यक्ष बेचन चौधरी ने कहा मुख्यमंत्री का निर्णय सराहनीय है, लेकिन एक साथ 13 गांवों को बसाना बड़ा चुनौतीपूर्ण है। सरकारी निर्णय से पहले स्थानीय सहमति बहुत जरूरी है।
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