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Balrampur News: नेपाल सीमा पर ईको टूरिज्म से बदलेगी तस्वीर, सर्वे पूरा
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बलरामपुर स्थित चित्तौड़गढ़ जलाशय का निरीक्षण करती लखनऊ पर्यटन विकास की टीम। संवाद
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जरवा। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित जरवा क्षेत्र के विकास को नई गति देने के लिए प्रशासन ने पर्यटन को आधार बनाकर बड़ी पहल शुरू की है। जिलाधिकारी विपिन जैन के प्रयास से क्षेत्र का सर्वे हुआ है। पचपेड़वा खंड विकास अधिकारी की रिपोर्ट पर पर्यटन विकास की टीम ने शनिवार को क्षेत्र के प्रमुख स्थलों का स्थलीय निरीक्षण कर पर्यटन विकास की संभावनाएं तलाशीं।
पर्यटन विकास टीम ने देवीपाटन मंदिर, जरवा ईको टूरिज्म क्षेत्र, जरवा-कोइलाबास सीमा, चित्तौड़गढ़ जलाशय और इमलिया कोड़र स्थित थारू संग्रहालय का निरीक्षण किया। टीम ने एक जनपद-एक उत्पाद योजना के तहत स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार विकसित करने, पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने और ईको टूरिज्म को सशक्त बनाने पर जोर दिया। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि चिह्नित पांचों स्थलों में चित्तौड़गढ़ बांध में पर्यटन विकास की सर्वाधिक संभावनाएं हैं। यहां लाइफ जैकेट के साथ नौका विहार, रेस्क्यू टीम की निगरानी, दूरबीन व अन्य उपकरणों से बर्ड वॉचिंग, वाटर स्पोर्ट्स, खानपान केंद्र, विश्राम भवन और बैठने की व्यवस्था विकसित करने की योजना है। साथ ही थारू समुदाय द्वारा निर्मित हस्तशिल्प, पेंटिंग्स और पारंपरिक उत्पादों के लिए विशेष बाजार स्थापित करने पर भी सहमति बनी, जिससे सीमा भ्रमण पर आने वाले पर्यटक स्थानीय संस्कृति से जुड़ सकें और क्षेत्रीय उत्पादों की खरीद कर सकें।
पर्यटन ही विकास का मुख्य माध्यम
खंड विकास अधिकारी मोहित दुबे ने बताया कि क्षेत्र की भौगोलिक व पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए पर्यटन विकास की रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। सोहेलवा संरक्षित वन क्षेत्र होने के कारण यहां फैक्ट्री या औद्योगिक इकाइयों की स्थापना संभव नहीं है, ऐसे में पर्यटन ही क्षेत्र के आर्थिक व सामाजिक विकास का एकमात्र सशक्त माध्यम है। पर्यटन विकास से स्थानीय लोगों को रोजगार, स्वरोजगार और व्यवसाय के अवसर मिलेंगे। थारू हट, स्थानीय खानपान, चाट-पकौड़े, हस्तशिल्प बिक्री और पर्यटन सेवाओं से जरवा क्षेत्र को नई पहचान मिलने की उम्मीद है। टीम में पर्यटन विकास अधिकारी अनीश श्रीवास्तव, चित्तौड़गढ़ बांध निर्माण खंड के सहायक अभियंता पवन कुमार, जेई संतोष कुमार, इमलिया कोड़र विद्यालय के प्रधानाचार्य आशुतोष शुक्ला सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
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पर्यटन विकास टीम ने देवीपाटन मंदिर, जरवा ईको टूरिज्म क्षेत्र, जरवा-कोइलाबास सीमा, चित्तौड़गढ़ जलाशय और इमलिया कोड़र स्थित थारू संग्रहालय का निरीक्षण किया। टीम ने एक जनपद-एक उत्पाद योजना के तहत स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार विकसित करने, पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने और ईको टूरिज्म को सशक्त बनाने पर जोर दिया। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि चिह्नित पांचों स्थलों में चित्तौड़गढ़ बांध में पर्यटन विकास की सर्वाधिक संभावनाएं हैं। यहां लाइफ जैकेट के साथ नौका विहार, रेस्क्यू टीम की निगरानी, दूरबीन व अन्य उपकरणों से बर्ड वॉचिंग, वाटर स्पोर्ट्स, खानपान केंद्र, विश्राम भवन और बैठने की व्यवस्था विकसित करने की योजना है। साथ ही थारू समुदाय द्वारा निर्मित हस्तशिल्प, पेंटिंग्स और पारंपरिक उत्पादों के लिए विशेष बाजार स्थापित करने पर भी सहमति बनी, जिससे सीमा भ्रमण पर आने वाले पर्यटक स्थानीय संस्कृति से जुड़ सकें और क्षेत्रीय उत्पादों की खरीद कर सकें।
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पर्यटन ही विकास का मुख्य माध्यम
खंड विकास अधिकारी मोहित दुबे ने बताया कि क्षेत्र की भौगोलिक व पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए पर्यटन विकास की रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। सोहेलवा संरक्षित वन क्षेत्र होने के कारण यहां फैक्ट्री या औद्योगिक इकाइयों की स्थापना संभव नहीं है, ऐसे में पर्यटन ही क्षेत्र के आर्थिक व सामाजिक विकास का एकमात्र सशक्त माध्यम है। पर्यटन विकास से स्थानीय लोगों को रोजगार, स्वरोजगार और व्यवसाय के अवसर मिलेंगे। थारू हट, स्थानीय खानपान, चाट-पकौड़े, हस्तशिल्प बिक्री और पर्यटन सेवाओं से जरवा क्षेत्र को नई पहचान मिलने की उम्मीद है। टीम में पर्यटन विकास अधिकारी अनीश श्रीवास्तव, चित्तौड़गढ़ बांध निर्माण खंड के सहायक अभियंता पवन कुमार, जेई संतोष कुमार, इमलिया कोड़र विद्यालय के प्रधानाचार्य आशुतोष शुक्ला सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
