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Banda News: एक्यूआई 160 होने से हवा की खराब दशा, श्वांस व घबराहट के रोगी बढ़े
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फोटो- 20 ह्दय रोग विभाग में मरीजों को देखते डॉ. शिशिर चतुर्वेदी। संवाद
फोटो- 21 बांदा शहर के चारो ओर छाई धुंध। संवाद
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- जिला अस्पताल में संचालित ह्दय रोग विभाग में आ रहे प्रतिदिन 25 से 30 रोगी
- प्रतिदिन भर्ती किए जा रहे आठ से 10 मरीज
- मार्निंग वॉकर मास्क लगाकर निकले, पूरे कपड़े पहने
संवाद न्यूज एजेंसी
बांदा। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के अनुसार नवंबर माह के दूसरे सप्ताह से सर्दी का आगाज होने से दिन का तापमान 29 से 30 सेंटीग्रेड और रात का तापमान 20 से 21 डिग्री के बीच बना है। बांदा शहर की वायु क्वालिटी में भी गिरावट देखी जा रही है। यद्यपि एक्यूआई नवंबर माह के औसत के आसपास ही है, लेकिन 160 एक्यूआई हवा की खराब दशा का द्योतक है, यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जा रहा है। इससे जिला अस्पताल में श्वांस और घबराहट के रोगी बढ़ने लगे हैं। ह्दय रोग विभाग को संचालित कर रहे मेडिसिन विभाग के डॉक्टर शिशिर चतुर्वेदी का कहना है कि इस समय उनकी ओपीडी में 25 से 30 श्वांस और घबराहट के रोगी आ रहे हैं। इसके अलावा प्रतिदिन आठ से 10 मरीजों को भर्ती किया जा रहा है।
जिला अस्पताल में संचालित ह्दय विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन ब्लड प्रेशर, घबराहट और श्वांस के रोगियों की आमद शुरू हो गई है। बुधवार को जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में श्वांस और घबराहट के मरीज छनेहरा लालपुर की कलावती (70), बसहेरी गांव की रामप्यारी (95), पलरा गांव निवासी प्रियंका (28), कमासिन गांव निवासी इंद्रजीत (65), किरन कॉलेज कटरा निवासी मुन्ना (75), बिजली खेड़ा मोहल्ला निवासी शिवम (19) को भर्ती कराया गया है। ह्दय रोग विभाग को संचालित कर रहे मेडिसिन विभाग के डॉक्टर शिशिर चतुर्वेदी का कहना है कि सर्दी का आगाज बुजुर्गों के लिए बेहतर नहीं माना जाता है। ऐसे में वृद्ध गरम कपड़े में रहे। अगर मार्निंग वाकर हैं तो सुबह मार्निंग वॉक करने के लिए गरम कपड़े पहनकर जाएं। हवा का असर खराब होने पर बेहतर हो तो मास्क लगा लें।
दलहन व तिलहन की बोआई के अनुकूल समय
बांदा। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि एवं मौसम विभाग के प्रोफेसर दिनेश शाहा ने बताया कि यह मौसम रबी की फसल दलहन (चना, मसूर, मटर), व तिलहन में अलसी और गेहूं की बोआई पूरी कर लिया जाना चाहिए। पूर्व में हुई बारिश के कारण खेतों में उपयुक्त नमी बनी हुई है। किसान इसका लाभ उठाते हुए बोआई पूरी कर लें। सप्ताह के अंत तक तापमान में और गिरावट संभावित है।
खराब हवा से होने वाली समस्याएं
अस्थमा अटैक : प्रदूषण की वजह से श्वसनी-आवेग ट्रिगर होता है, जिससे वायुमार्ग यानी एयरवेज संकरे हो जाते हैं और गंभीर खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ होती है। इस दौरान कई मरीजों को अपनी सामान्य दवाएं भी कम असरदार लगती हैं।
बड़ जाता है बलगम : पॉल्युशन में मौजूद सूक्ष्म कणों और जहरीली गैसों के शरीर के अंदर जाने से श्वसन नलिकाओं में जलन होती है, जिससे बलगम बढ़ जाता है।
सीओपीडी की समस्या: खराब हवा की वजह से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित लोगों के लक्षण बिगड़ जाते हैं। जिसके लिए उन्हें हाई इंटेंसिटी वाले इलाज की जरूरत होती है और गंभीर मामलों में, फेफड़ों की फंक्शनिंग बेहद कम होने के कारण मुश्किल बढ़ जाती है।
एक्यूट रेस्पिरेटरी समस्याएं : हवा स्तर कम होने की वजह से गले में जलन, सीने में जकड़न, चक्कर आना, थकान और लगातार खांसी सहित कई लक्षण आम हो जाते हैं।
कमजोर इम्युनिटी: प्रदूषक रेस्पिरेटरी सिस्टम को कमजोर कर सकते हैं, जिससे व्यक्ति निमोनिया जैसे वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन के प्रति ज्यादा परेशान हो जाता है।
सेहत को नुकसान : फेफड़ों को नुकसान के अलावा, खराब हवा में मौजूद छोटे-छोटे पार्टिकल्स ब्लड फ्ले में प्रवेश कर सकते हैं और शरीर में सूजन पैदा कर सकते हैं। बार-बार प्रदूषण के संपर्क में आने से हार्ट अटैक और अन्य दिल से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा हो सकती हैं यह समस्याएं
लगातार खांसी या घरघराहट
सांस लेने में तकलीफ या सीने में जकड़न
आंखों, नाक और गले में जलन
सिरदर्द और थकान
चक्कर या बेहोशी आना