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Bareilly: इलाज में बरती लापरवाही, आयुष्मान कार्ड के बावजूद वसूले थे 2.70 लाख; सनराइज अस्पताल पर होगी कार्रवाई

अमर उजाला ब्यूरो, बरेली Published by: मुकेश कुमार Updated Tue, 23 Dec 2025 11:58 AM IST
सार

बरेली में मरीज की मौत के मामले में सनराइज अस्पताल प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जांच में अस्पताल प्रबंधन दोषी पाया गया है। सीएमओ ने जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। 

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Action recommended against Sunrise Hospital management in Bareilly
सनराइज अस्पताल - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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बरेली में विशेषज्ञ न होने पर भी मरीज भर्ती करना और आयुष्मान कार्ड दरकिनार कर नकद रुपये लेने के आरोपों की जांच में सनराइज अस्पताल प्रबंधन दोषी मिला है। सीएमओ ने 2.70 लाख रुपये पीड़ित परिवार को लौटाने और कार्रवाई की संस्तुति समेत रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है।
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सनराइज अस्पताल प्रबंधन पर लगे आरोपों की जांच पांच सदस्यीय कमेटी ने की है। इसमें आयुष्मान योजना के नोडल डॉ. राकेश, वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आरके गुप्ता, वरिष्ठ सर्जन डॉ. एमपी सिंह, डिप्टी सीएमओ डॉ. लईक अहमद अंसारी, आयुष्मान जिला शिकायत प्रबंधक अमीर बेग शामिल रहे। जांच रिपोर्ट के अनुसार सनराइज अस्पताल में भर्ती मरीज उर्वेश कुमार को लिवर और किडनी की दिक्कत थी। जिसका इलाज गुर्दा रोग विशेषज्ञ, जनरल अथवा गैस्ट्रो फिजिशियन से कराया जाना चाहिए था, लेकिन उसका इलाज एनेस्थेटिक डॉ. रेहान अहमद ने किया। 
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आशंका है कि उचित इलाज के अभाव में मरीज को जान का जोखिम रहा। मरीज का आयुष्मान कार्ड बना था, लेकिन प्रबंधन ने नकद रुपये जमा कराए। सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह ने जांच रिपोर्ट के आधार पर नियमानुसार 2,70,693 रुपये पीड़ित परिवार को लौटाने के लिए निर्देश दिए हैं।
 

छिन सकती है अस्पताल की आयुष्मान पैनल से संबद्धता
सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह के मुताबिक पीड़ित परिवार की इलाज में लापरवाही की शिकायत पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है। हालांकि, आयुष्मान कार्ड के बावजूद तीमारदार पर रुपये लेने का दबाव बनाना गलत है। इसलिए उच्चाधिकारियों को सौंपी रिपोर्ट में नियमानुसार अस्पताल प्रबंधन पर  अलग से दस अथवा 20 गुना तक जुर्माना वसूलने, आयुष्मान पैनल से संबद्धता समाप्त करने की संस्तुति की गई है।

यह था मामला
भमोरा के गांव झिंझरी निवासी लक्ष्मी देवी का आरोप था कि 25 सितंबर 2025 को उनके 31 वर्षीय पति उर्वेश कुमार को सौ फुटा रोड स्थित सनराइज अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल के डॉक्टरों ने आयुष्मान कार्ड से निशुल्क इलाज का झांसा देकर पांच लाख से ज्यादा रुपये जमा कराए। भुगतान की रसीद नहीं दी। विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं थे फिर भी भर्ती रखा, जिससे हालत बिगड़ी और पति की मौत हुई।

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