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UP News: जांच के प्रति बेपरवाही... 11 माह में कैंसर की चपेट में मिले 55 रेलकर्मी, तीन सौ हृहय रोगी

संवाद न्यूज एजेंसी, बरेली Published by: बरेली ब्यूरो Updated Tue, 23 Dec 2025 12:30 PM IST
सार

सेहत के प्रति लापरवाही रेलकर्मियों पर भारी पड़ रही है। वे कैंसर और हृदय संबंधी गंभीर रोगों की चपेट में आ रहे हैं। बरेली के इज्जतनगर मंडलीय रेलवे अस्पताल के आंकड़े इसकी पुष्टि कर कर रहे हैं। 

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55 railway employees diagnosed with cancer in 11 months at railway hospital in Bareilly
मंडल चिकित्सालय पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर - फोटो : संवाद
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विस्तार
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अनियमित जीवनशैली, असंतुलित खानपान, कार्य में व्यस्तता से नियमित जांच के प्रति बेपरवाही रेलकर्मियों की सेहत पर भारी पड़ रही है। कैंसर और हृदय संबंधी गंभीर रोगों की चपेट में आ रहे हैं। बरेली के इज्जतनगर मंडलीय रेलवे अस्पताल के आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी से नवंबर तक जांच और इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किए गए सात सौ मरीजों में 55 मरीजों में कैंसर, तीन सौ में हृदय रोग की पुष्टि हुई है।

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पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडलीय रेलवे अस्पताल के तहत बरेली के अलावा बदायूं, कासगंज, मथुरा, हाथरस, आगरा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर, पीलीभीत के अलावा उत्तराखंड के लालकुआं, काठगोदाम, टनकपुर, हल्द्वानी, ऊधम सिंह नगर आदि जिलों के रेलवे स्टेशन आते हैं। 
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इसके अलावा मुरादाबाद रेल मंडल का भी जंक्शन पर रेलवे अस्पताल है। यहां ओपीडी में पहुंचे गंभीर मरीजों को इलाज के लिए मुरादाबाद और मुरादाबाद से दिल्ली, लखनऊ, गुरुग्राम के हायर सेंटर रेफर किया जाता है। जनवरी से नवंबर 2025 तक रेलवे अस्पतालों ने सात सौ से ज्यादा मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया। रेफर किए गए मरीजों में घायलों को छोड़ दें तो आधे से अधिक कैंसर और हृदय रोगियों की तादाद है। इसके अलावा मधुमेह, उच्च रक्तचाप के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। 

एम्स, पीजीआई के साथ निजी सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में भी इलाज 
रेलवे की ओर से कर्मचारियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। कर्मचारियों का कैसलेस इलाज एम्स और पीजीआई जैसे बड़े संस्थानों में कराने के साथ रेलवे ने बरेली समेत आसपास के जिलों दिल्ली, लखनऊ, गुरुग्राम के निजी सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों से भी करार कर रखा है। 

कैंसर मरीजों को किराये में बड़ी रियायत
कैंसर पीड़ित रेलवे कर्मचारियों के अलावा सामान्य व आम लोगों के लिए भी रेलवे किराये में काफी छूट दे रहा है। कैंसर रोगियों को स्लीपर और एसी तृतीय श्रेणी में 100 प्रतिशत, एसी द्वितीय श्रेणी में 75 और एसी प्रथम श्रेणी में 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।

मुंह, लंग्स, गाल ब्लैडर के बढ़े कैंसर रोगी
वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ डॉ. आरके चितलांगिया के मुताबिक वर्तमान में पान मसाला, धूम्रपान, शराब का सेवन बढ़ा है। जिससे मुंह, जीभ, लंग्स और गाल  ब्लैडर (पित्ताशय) के कैंसर रोगी बढ़े हैं। बताया कि मुंह और लंग्स के कैंसर के लक्षण जल्दी उभरते हैं पर अनदेखी से गंभीर हो जाते हैं। जबकि गाल ब्लैडर का कैंसर कोशिकाओं के अनियंत्रित रूप से बढ़ने से होती है। जो ट्यूमर के रूप में बढ़ता है। जीवनशैली, आहार में सकारात्मक बदलाव से कैंसर से काफी हद तक निजात संभव है। संदिग्ध लक्षण उभरने पर तत्काल जांच कराने से रोग को गंभीर होने से रोका जा सकता है।

प्रतिमाह गंभीर मरीजों की संख्या में तीन गुना बढ़त
मंडलीय रेलवे अस्पताल में दो साल पहले तक औसतन कैंसर के दो संदिग्ध मरीज आते थे, अब यह संख्या आठ तक पहुंच गई है। हृदय रोगियों की संख्या 25 के पार है। बताते हैं कि करीब दो सौ से ज्यादा रेलकर्मियों का इलाज हायर सेंटर में चल रहा है। नियमानुसार इलाज खर्च रेलवे वहन कर रहा है। मंडलीय रेलवे अस्पताल के कैंसर रोग सर्जन डॉ. आशुतोष शंखधार ने बताया कि कैंसर रोगियों की संख्या पहले के मुकाबले बढ़ी है। कैंसर रोगियों की पहचान के लिए रेलवे समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर रहा है। 

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