Pitru Paksha 2025: अंत्येष्टि के बाद श्मशान स्थलों पर मटकी टांगकर भूल गए परिजन, अस्थियों को विसर्जन का इंतजार
पितृपक्ष में जहां लोग पितरों की शांति के लिए दान-पुण्य करते हैं। अस्थि विसर्जन करते हैं, लेकिन बरेली के श्मशान स्थलों पर सैकड़ों की संख्या में अस्थि कलश रखे हैं। जिनकी अंत्येष्टि के बाद अपने भूल गए हैं।

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बरेली के श्मशान स्थलों पर सैकड़ों अस्थि कलश कई वर्षों से विसर्जन के लिए अपनों का इंतजार कर रहे हैं। पितृपक्ष में जहां लोग पितरों की शांति के लिए दान-पुण्य करते हैं, वहीं ये अस्थियां मोक्ष की आस में टकटकी लगाए रहती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अस्थियों का समय पर विसर्जन न होने से आत्माओं को शांति और मोक्ष नहीं मिलता है।

पितृ पक्ष में श्राद्ध-तर्पण के बीच तमाम ऐसे लोग भी हैं जो दुनिया छोड़ चुके अपने बुजुर्गों को भूल गए हैं। पूर्वजों की अस्थियों को विसर्जित करना भी उन्होंने जरूरी नहीं समझा। सिटी श्मशान भूमि, मॉडल टाउन, गुलाब नगर श्मशान भूमि में सैकड़ों की संख्या में अस्थियां मटकी में कैद होकर रह गई हैं। इनको रखने के लिए श्मशान भूमि में जगह भी कम पड़ती जा रही है। अतिरिक्त कमरे बनवाने पड़े हैं।
सिटी श्मशान भूमि के मैनेजर त्रिलोकी नाथ ने बताया कि कोविड के बाद यहां बहुत अस्थि कलश थे, जिनका विसर्जन कराया गया था। अब भी बहुत से कलश यहां रह गए हैं, जिन्हें विसर्जन का इंतजार है।
क्या है मान्यता
पंडित मुकेश मिश्रा बताते हैं कि गरुड़ पुराण में बताया गया है कि अगर दाह संस्कार के बाद अस्थियों को विसर्जित नहीं किया जाता है तो मृतक की आत्मा भटकती रहती है। आत्मा अपने वंशजों को के लिए परेशानियां उत्पन्न करती है।
मान्यता है कि गंगा में अस्थि विसर्जन करने पर मृतक की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। जो लोग अपने पूर्वजों की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करते हैं, उन पर पूर्वजों के साथ-साथ भगवान विष्णु की कृपा बरसती है।