UP: एक रुपये की स्वदेशी सेंसर किट बताएगी मीट ताजा है या बासी, आईवीआरआई के वैज्ञानिकों ने की तैयार
मॉल में बिकने वाले मीट के पैकेट को खोले बिना उसकी गुणवत्ता परख सकेंगे। आईवीआरआई के वैज्ञानिकों ने ऐसी किट तैयार की है, जो यह बताएगी कि मीट ताजा है बासी। सेंसर किट की कीमत महज एक रुपये है।

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मॉल में बिकने वाला पैकेटबंद मांस हो या दुकानों पर बिक रहा खुला मीट, उसकी गुणवत्ता की पहचान चंद मिनट में होगी। बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के वैज्ञानिकों ने प्लांट बेस्ड दो इंडीकेटर सेंसर किट तैयार की है। बासी या खराब मांस के संपर्क में आने पर यह किट अपना रंग बदल देंगी। इसकी कीमत एक रुपये से भी कम होगी।

आईवीआरआई के डिविजन ऑफ लाइवस्टॉक प्रोडक्ट्स टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक सुमन तालुकदार के मुताबिक पैकेटबंद मांस की गुणवत्ता पर अक्सर सवाल उठते हैं। इसकी पहचान के लिए जो किट देश में मौजूद हैं, उनमें केमिकल का प्रयोग होता है। खाद्य पदार्थ के संपर्क में आकर ये रसायन उसे जहरीला बना सकते हैं। लिहाजा, वर्ष 2017 में प्लांट बेस्ड इंडीकेटर किट तैयार करने के लिए शोध शुरू किया गया।
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पांच वर्ष तक शोध के बाद संस्थान में पहली प्लांट बेस्ड इंटेलिजेंट पैकेजिंग सेंसर किट तैयार हुई। इनको पैकेटबंद मांस पर लगाया जाएगा। इनसे ग्राहक उसे खरीदने से पहले उसकी शुद्धता आंक सकेंगे। खराब मांस के संपर्क में आकर लाल रंग का इंडीकेटर पीला हो जाएगा। इसका रंग हल्का हरा दिखे तो समझ लें कि मांस खराब होने के कगार पर है।
दुकानों पर बिक रहे मांस की भी परख सकते हैं गुणवत्ता
डॉ. तालुकदार के मुताबिक, दूसरी किट दुकानों पर बिक रहे मांस की गुणवत्ता परखने में सक्षम है। ये सेंसर कागज की स्टि्रप जैसा है। इससे घर पर मांस की गुणवत्ता परखने के लिए मीट का थोड़ा हिस्सा लेकर उसे पीसकर पानी में घोलना होगा। घोल में किट को डालें।
हरे रंग की ये किट रंग न बदले तो मांस शुद्ध है। खराब मांस के संपर्क में आने पर इसका रंग नीला हो जाएगा। किट के विकास में आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त का खास योगदान रहा। उन्हीं के मार्गदर्शन में प्रेजेंटेशन, व्यवसायीकरण की तैयारी है।
फूल-फल और पत्तों से बनाई किट, इसलिए कीमत कम
डॉ. तालुकदार ने बताया कि दोनों किट की कीमत एक रुपये से भी कम होगी, क्योंकि इन्हें फूल-पत्तियों और फलों की डाई से बनाया गया है। देश में बिकने वाले मांस में 50 फीसदी हिस्सेदारी चिकन मीट की है। इसलिए सेंसर किट तैयार करने के लिए चिकन मीट पर शोध किया गया।