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UP News: बरेली में हैं कई और सोबती, नौकरों के नाम खरीद रखी है बेनामी संपत्ति

संवाद न्यूज एजेंसी, बरेली Published by: मुकेश कुमार Updated Mon, 08 Dec 2025 06:04 PM IST
सार

बरेली में नौकरी के नाम संपत्ति खरीदने वाले बिल्डर चरण सिंह सोबती आयकर विभाग के रडार पर आ गए हैं। आयकर टीम ने उनकी जांच शुरू कर दी है। इससे बेनामी संपत्ति के अन्य खरीदारों की नींद भी उड़ गई है।

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builders have purchased benami properties in the names of their servants in Bareilly
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : संवाद
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विस्तार
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बरेली में बिल्डर चरण सिंह सोबती अपने नौकर छत्रपाल सिंह के नाम संपत्ति खरीदकर उसकी वसीयत अपने नाम कराने वाले एकलौते नहीं हैं। ये बात दीगर है कि इनकी पोल खुल गई। अब आयकर विभाग उनकी जांच कर रहा है। इससे बेनामी संपत्ति के अन्य खरीदारों की नींद भी उड़ गई है। दूसरी ओर, मालिक को भगवान मानकर आंख बंद किए बैठे नौकर भी जागरूक होने लगे हैं। इससे बेनामी संपत्ति की खरीद-फरोख्त करने वाले बेहद परेशान हैं।

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कुछ दिनों पहले बदायूं रोड, पीलीभीत बाइपास और डोहरा मार्ग पर कई फर्मों के विरुद्ध अवैध कॉलोनियां विकसित करने की शिकायतें हुई हैं। आरोप है कि इन फर्म मालिकों ने भी अपने नौकरों के नाम बेशकीमती संपत्ति खरीद रखी है। अब उस पर कॉलोनी विकसित कर रहे हैं। जिला सहकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष महेश पांडेय ने डीएम से इसकी शिकायत की थी। एसडीएम सदर इसकी जांच कर रहे हैं। 
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सीलिंग की जमीन कब्जाने का आरोप 
साउथ सिटी में तालाब, चकमार्ग और सीलिंग की जमीन को भी कब्जाने का आरोप है। सुपरसिटी में अधिकतर जमीन सीलिंग की होने की बात कही जा रही है। शिकायतकर्ता का दावा है कि हॉरीजोन कॉलोनी की जमीन जलमग्न और खाई की होने का तथ्य खसरे में दर्ज है। बताया जा रहा है कि सोबती की तरह ही फरीदपुर मार्ग पर एक भट्ठा मालिक ने भी बेनामी संपत्तियां खरीद रखी है। 

बड़े बिल्डरों में शुमार चरण सिंह सोबती ने भी डोहरा और हरूनगला में अपने नौकर छत्रपाल सिंह के नाम पर 3.1918 हेक्टेयर कृषि भूमि बेहद सस्ते में खरीदी थी। रामपुर जिले के बिलासपुर समेत कई क्षेत्रों में सोबती ने छत्रपाल के नाम जमीन खरीदी है, जिसकी जांच आयकर विभाग की टीम कर रही है। जांच में पता चला है कि छत्रपाल के नाम से बैंकों में खाते खुलवाए गए।

 डोहरा में खरीदी गई जमीन की कीमत आयकर विभाग ने करीब 1,000 करोड़ रुपये आंकी है। इसे खरीदने की हैसियत छत्रपाल की नहीं थी। आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि चरण सिंह सोबती के स्पष्टीकरण में कई विरोधाभास हैं। इसमें उसने छत्रपाल को अविवाहित भी बताया है।

सोबती ने खुलवा रखे थे संयुक्त खाते
छत्रपाल की पत्नी मनीषा सिंह ने बताया कि उनके पति और सोबती ने बरेली के पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा समेत अन्य कई बैंकों में संयुक्त खाते खुलवा रखे थे। पासबुकें और खातों से जुड़े अन्य दस्तावेज जैसे डेबिट कार्ड आदि सब कुछ सोबती अपने पास रखता था। मनीषा ने बताया कि उन्हें यह नहीं मालूम है कि इन खातों में कितनी रकम थी या अभी मौजूद है?

इस तरह करते हैं फर्जीवाड़ा
बेनामी संपत्ति की खरीद-फरोख्त के लिए लोग कंपनी बनाते हैं। 5-6 हजार रुपये शुल्क देकर उसका रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। इसमें किसी डमी को डॉयरेक्टर बना देते हैं। फिर उनके नाम संपत्ति खरीदते हैं। जब बेचने का नंबर आता है तो पहले वाले व्यक्ति से डॉयरेक्टर पद से इस्तीफा दिला देते हैं। फिर क्रेता को डॉयरेक्टर बनाते हैं। इससे सरकार को दो तरह की राजस्व की हानि होती है। 

पहली हानि स्टांप ड्यूटी की और दूसरा नुकसान आयकर का होता है। चरण सिंह सोबती ने यही तरीका अपनाया। इसने भी सोबती कंस्ट्रक्शन इंडिया लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाई और उसमें छत्रपाल सिंह को डॉयरेक्टर बनाया था। फिर सोबती ने छत्रपाल से जमीन की वसीयत अपने नाम करा ली। ऐसे ही बिल्डर्स अनुसूचित जाति के व्यक्ति की जमीन को इसी वर्ग के दूसरे व्यक्ति के नाम खरीदने में पैसा लगाते हैं। फिर उससे पॉवर ऑफ अटार्नी लेकर जमीन बेच देते हैं।

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