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सुरंग से निकला लखीमपुर का मंजीत: मां चौधराइन की खुशी का नहीं रहा ठिकाना, बोलीं- मनौती पूरी हुई करूंगी भंडारा
अमर उजाला नेटवर्क, लखीमपुर खीरी
Published by: श्याम जी.
Updated Tue, 28 Nov 2023 10:00 PM IST
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सार
मंजीत की मां ने कहा कि मंगलवार को जब पता चला कि बेटा सुरंग से बाहर आ रहा है तो मन में ऐसी उमंग पैदा हुई, जैसे हमारे बेटे को नई जिंदगी मिली है। हमारी मनौतियां पूरी हुईं है देवी-देवताओं ने हमारी पुकार सुन ली है।

मंजीत की बहन और मां
- फोटो : अमर उजाला
विस्तार
लखीमपुर खीरी के गांव भैरमपुर में मंजीत के परिवार के लिए आखिरकार मंगलवार का दिन खुशी लेकर आया। उत्तरकाशी से मंजीत के सुरंग से बाहर आने की सूचना मिलते ही मां चौधराइन की आंखों से खुशी केआंसू बह निकले। उन्होंने कहा कि सुरंग में 17 दिन नहीं 17 साल बीते हैं। एक-एक क्षण ऐसा लग रहा था जैसे कहीं भाग जाएं। बैठे-बैठे जी ऊब जाता था फिर भागने का मन करता था कि जंगल की ओर भागे जहां सुकून मिले, लेकिन सुकून नहीं मिला। बेटे की सलामती की सूचना जानने के लिए हर क्षण मन बेचैन रहा।
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मां ने कहा कि मंगलवार को जब पता चला कि बेटा सुरंग से बाहर आ रहा है तो मन में ऐसी उमंग पैदा हुई, जैसे हमारे बेटे को नई जिंदगी मिली है। हमारी मनौतियां पूरी हुईं है देवी देवताओं ने हमारी पुकार सुन ली है। मंजीत की मां चौधराइन ने बताया कि कि मंगलवार सुबह दस बजे फोन आया था तो मंजीत कह रहा था मम्मी नई जिंदगी मिल गई है, आज बाहर आ जाएंगे। इतनी खुशी हुई कि मन झूम उठा और आंसू निकल आए। सुबह नींद खुलते ही मंजीत की यादों में खो जाती थी, क्योंकि डेढ़ साल पहले बड़े बेटे दीपू की मुंबई में मौत हो गई थी। अब मंजीत का ही सहारा था, उसी के भरोसे जिंदगी टिकी है। उसके टनल में फंस जाने से उम्मीदें खत्म होती जा रही थी बेटियों के विवाह, परिवार के भरण पोषण की चिंता के साथ बेटे की सलामती की दिन रात चिंता सताए जा रही थी।
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17 दिन से एमडीएम बनाने स्कूल नहीं जा पाई
मंजीत की मां एक स्कूल में रसोइए का काम करती है। वह बताती हैं की 17 दिन में गांव के स्कूल में खाना बनाने नहीं जा पाई हैं परिस्थितयों को देखते हुए इसको लेकर न तो ग्राम प्रधान रमेश यादव और ना ही स्कूल के शिक्षकों ने कोई आपत्ति जताई बल्कि हमारी हौसला आफजाई की और पूरी मदद की है।
मनौती पूरी हुई करूंगी भंडारा
मंजीत की मां चौधराइन ने कहा देवी मां ने उनकी विनती सुन ली है। इसलिए बरमबाबा पर काली मैया के स्थान पर जाकर भंडारा कराऊंगी। हालांकि उनके घर में बीते दिनों से आर्थिक संकट छाया हुआ है, फिर भी बेटे की खुशी में सब कुछ करना चाहती हैं। कहती हैं भले ही इसके लिए कर्ज लेना पड़े, लेकिन भंडारा जरूर करूंगी।
मामा ने कहा- बैंड बाजे से करेंगे स्वागत
मंजीत के मामा गगन चौहान खुशी से बताते हैं कि भांजा 17 दिनों बाद सुरंग से बाहर आ रहा है। अब कोई खतरा नहीं है। मंजीत के सही सलामत होने की खुशी न केवल परिवार में बल्कि पूरे गांव में है। वह कहते हैं कि भांजे के आने पर बैंड बाजा बाजे के साथ कर उसका स्वागत करेंगे। मंजीत की बहन चांदनी और रक्षा ने कहा भाई के आते ही भाई दूज का प्रसाद खिलाऊंगी। भाई बाहर आ रहा है इसकी खुशी है। यह खुशी सबके साथ बांटेंगे।