UP News: तेजी से बढ़ रहा शहर, बरेली मांगे पुलिस कमिश्नरेट; जानिए क्यों जरूरी है नई व्यवस्था
बरेली शहर का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। शहर की आबादी भी 14 लाख के पार पहुंच गई है। आए दिन कानून-व्यवस्था के लिए नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं। ऐसे में कानून व्यवस्था के जानकार शहर की भौगोलिक और धार्मिक संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली को जरूरी मानते हैं।
विस्तार
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बीचोंबीच बसा बरेली शहर तेजी से विस्तार ले रहा है। उत्तराखंड का प्रवेश द्वार कहलाने वाला यह शहर उत्तर प्रदेश का आठवां और देश का 50वां सबसे बड़ा शहर है। आबादी के साथ ही यहां आपराधिक वारदात में भी इजाफा हो रहा है। मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों की जड़ें यहां गहराती जा रही हैं। शहर भौगोलिक और धार्मिक रूप से भी संवेदनशील है। ऐसे में अब यहां पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू किए जाने की दरकार है।
वर्ष 2011 की जनगणना में बरेली जिले की आबादी 44.48 लाख थी। तब 23.4 फीसदी प्रति दशक वृद्धि दर आंकी गई थी। इसके आधार पर प्रशासनिक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2025 में बरेली जिले की जनसंख्या 55 लाख से ज्यादा पहुंच गई है। इसमें बरेली महानगर की जनसंख्या 14.10 लाख से ज्यादा मानी गई है। बरेली नगर निगम का क्षेत्रफल 106.47 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
महानगर क्षेत्र, धौरेरा माफी सहित कुछ अन्य गांवों को नगर निगम की सीमा में शामिल करने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों, उत्तराखंड और दिल्ली जाने के लिए बरेली एक प्रमुख केंद्र है।
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उद्योग-धंधे
रामगंगा नदी के तट पर बसा यह शहर बांस-बेंत के उत्पाद, जरी-जरदोजी, चीनी प्रसंस्करण, कपास ओटने व गांठ बनाने, दियासलाई, लकड़ी से तारपीन का तेल निकालने, गंध बिरोजा तैयार करने के कारखानों और सूती कपड़ों की मिलों के लिए भी अपनी अलग पहचान रखता है।
एक सरकारी व तीन प्राइवेट विश्वविद्यालयों के साथ ही तीन निजी मेडिकल कॉलेज वाले इस शहर में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान और केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान जैसे राष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण संस्थान भी हैं। ऐसे में बरेली में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू किए जाने की मांग उठ रही है।
आंकड़ों की नजर से बरेली
- शहर में 14.10 लाख है अनुमानित आबादी
- 106.47 वर्गकिमी में फैला है शहर
- 29 थाने हैं पूरे जिले में
- 5 एडिशनल एसपी
- 12 डिप्टी एसपी
- 100 इंस्पेक्टर
- 717 सब इंस्पेक्टर
- 1205 हेड कांस्टेबल
पुलिस और प्रशासनिक रिकॉर्ड के अनुसार, बरेली में सालभर में 2,237 जुलूस और धार्मिक यात्राएं निकलती हैं। सर्वाधिक जुलूस और यात्राएं जून, अगस्त और सितंबर में निकलती हैं।
जानिए, क्या है पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली
वर्ष 2005 में गृह मंत्रालय की ओर से गठित समिति द्वारा बनाए गए मॉडल पुलिस अधिनियम में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के लिए पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली को जरूरी बताया गया है। उत्तर प्रदेश के सात जिलों लखनऊ, नोएडा, वाराणसी, कानपुर, आगरा, प्रयागराज और गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू है। यह प्रणाली लागू होने पर एडीजी या आईजी स्तर के सीनियर आईपीएस अधिकारी को पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात किया जाता है। शहर को अलग-अलग जोन में बांटकर प्रत्येक में डीसीपी (आईपीएस) की तैनाती होती है। ये जिले के एसपी की तरह काम करते हैं।
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उनके अधीन एडिशनल एसपी स्तर के ऑफिसर एडीसीपी और फिर उनके नीचे डिप्टी एसपी स्तर के ऑफिसर एसीपी के पद पर तैनात होते हैं। कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने पर किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को जिलाधिकारी के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता। पुलिस खुद निर्णय ले सकती है। जिले की कानून-व्यवस्था से जुड़े सभी निर्णय पुलिस कमिश्नर लेते हैं। धरना-प्रदर्शन की अनुमति देना या न देना, दंगे के दौरान लाठीचार्ज करना है या नहीं, यह सारे निर्णय पुलिस ही लेती है।
पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली से सुधरेगी व्यवस्था
बरेली शहर के बढ़ते दायरे और बढ़ती जनसंख्या के कारण आए दिन कानून-व्यवस्था के लिए नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं। प्रशासन की दोहरी व्यवस्था में विधि व्यवस्था का दायित्व डीएम और एसपी द्वारा साझा किया जाता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि समन्वय की कमी और आरोप-प्रत्यारोप बड़ी घटनाओं का कारण बनते हैं। कमिश्नरेट प्रणाली पुलिस को ज्यादा अधिकार और जिम्मेदारी देकर कार्यकुशलता में वृद्धि करती है। पुलिस अधिकारी अपने निर्णयों और कार्यों के लिए सरकार के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इस व्यवस्था से नौकरशाही में व्याप्त कमियों को दूर करने में मदद मिलती है।
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पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार
पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि 10 लाख की जनसंख्या वाले शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होती है। तमिलनाडु में तो किसी शहर की आबादी नौ लाख होते ही पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने की तैयारी शुरू कर देते हैं। कानून-व्यवस्था और संवेदनशीलता के आधार पर बरेली उन सारी अर्हताओं को पूरी करता है। पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम के बहुत फायदे हैं। सीनियर ऑफिसर संवेदनशीलता के साथ समस्याओं का निस्तारण कराते हैं। आमजन को इसका लाभ मिलता है।
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने बताया कि बरेली उत्तर प्रदेश का बड़ा शहर है और वहां पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होना ही चाहिए। उत्तर प्रदेश के जिन महानगरों में यह व्यवस्था लागू हुई है, वहां अब तक अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण के लिहाज से अंग्रेजों के जमाने से यह व्यवस्था बहुत कारगर रही है। हम तो यह कहेंगे कि बरेली ही नहीं, बल्कि मुरादाबाद, अलीगढ़, मेरठ और सहारनपुर में भी पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होनी चाहिए।
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पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि बरेली में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू किया जाना बेहद जरूरी है। यहां 2010 में सांप्रदायिक दंगा हुआ था और हाल ही में मौलाना तौकीर रजा खां ने पूरे देश में एक गलत आंदोलन चलाने की कोशिश की थी। कानून-व्यवस्था, सैन्य हेडक्वार्टर और उत्तराखंड से सटे होने के कारण यह बहुत आवश्यक है कि बरेली में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हो और अनुभवी सीनियर ऑफिसर कमान संभालें। इससे आम जनता का भी भला होगा।