Bareilly: दिशा पाटनी के घर फायरिंग से पहले शूटरों ने घूमा था आमेर का किला, गिरफ्तार आरोपियों ने किए खुलासे
बरेली में अभिनेत्री दिशा पाटनी के घर पर फायरिंग के मामले में गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पुलिस के मुताबिक जांच में पता लगा है कि शूटर घटना के छह दिन पहले ही बरेली आए थे। पाटनी के घर की रेकी की। इसके बाद राजस्थान चले गए थे।
विस्तार
बरेली में अभिनेत्री दिशा पाटनी के घर पर फायरिंग करने से पहले शूटरों ने गैंग से मिले रुपयों से जमकर मस्ती की। उन्होंने छह दिन पहले ही बरेली में आकर रेकी की, फिर जयपुर घूमने चले गए। वहां उन्होंने आमेर का किला भी घूमा। पुलिस को दिल्ली व बरेली में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ व जांच में पता लगा है कि बरेली में अभिनेत्री के घर फायरिंग करने के आरोपी पांचों शूटर छह सितंबर को पहली बार शहर आए थे। यहां जंक्शन रोड के एक होटल में खाना खाकर वे सो गए। सात सितंबर की सुबह जागे और अभिनेत्री के घर व आसपास के रास्तों की रेकी की।
पुलिस के मुताबिक सात सितंबर की रात वे फिर एक होटल में ठहरे और आठ को पांचों आरोपी टैक्सी लेकर राजस्थान निकल गए। वहां उन्होंने जयपुर में आमेर का किला घूमा। जयपुर की कुछ और लोकेशन भी देखीं। जांच में पता लगा है कि जयपुर के होटल में ठहरने व किले में प्रवेश के लिए टिकट लेने में आरोपियों ने अपनी सही आईडी इस्तेमाल की थी।
अधिकारियों का मानना है कि इन्होंने योजना बना रखी थी कि घटना के बाद अगर वह पकड़ भी जाएं तो जयपुर यात्रा के बहाने कानूनी बचाव कर सकें। पुलिस के मुताबिक नौ सितंबर की रात ये लोग राजस्थान से बस से दिल्ली पहुंचे और अलग-अलग जगह उतर गए। वे फिर व्हाट्सएप कॉल पर जुड़े और दस सितंबर को दोबारा बरेली आ गए।
चौपुला पुल पर भी तैनात होगी गारद
गोदारा की आईडी से दोबारा धमकी आने के बाद पुलिस व खुफिया एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। पाटनी परिवार को एसएसपी ने गनर व गारद पहले ही मुहैया करा दिया था। अब चौपुला पुल पर भी गारद लगाने की तैयारी है। अधिकारियों का मानना है कि पुल से भी रेकी की जा सकती है, इसलिए पाटनी की गली के सामने पुल के संबंधित प्वॉइंट पर पुलिस निगरानी बढ़ाएगी।
यह भी पढ़ें- दिशा पाटनी मामला: बरेली में गिरफ्तार बदमाशों पर हत्या की कोशिश की रिपोर्ट, पुलिस पर चलाई थीं आठ गोलियां
कूटरचित दस्तावेज की धारा बढ़ेगी
स्थानीय होटलों में आरोपियों ने आधार को एडिट करके फर्जी दस्तावेज लगाए थे। इसलिए उनके खिलाफ कोतवाली में दर्ज मुकदमे में अब पुलिस कूटरचित दस्तावेज तैयार कराने की धारा जोड़ेगी। कोतवाल अमित पांडेय ने इसकी पुष्टि की।
सरगना रविंद्र देता था खर्च
जांच में पता लगा है कि मुठभेड़ में मारे गए मुख्य शूटर रविंद्र का गोल्डी व रोहित बरार गैंग ने सीधा जुड़ाव था। रविंद्र ने ही अरुण के जरिये अन्य शूटरों को 20 से 25 हजार रुपये में तय किया था। उन्हें मोबाइल रिचार्ज तक का खर्च रविंद्र ही देता था।
शुक्रवार को मुठभेड़ में घायल हुए रामनिवास उर्फ दीपू ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसका गैंग से सीधा ताल्लुक नहीं है। रविंद्र से भी उसकी ज्यादा बात नहीं होती थी। रविंद्र ज्यादातर शांत या मोबाइल में व्यस्त रहता था। उसे और बाकी लड़कों को अरुण ने ही रविंद्र के कहने पर बुलाया था।
किसी को 20 तो किसी को 25 हजार रुपये देने का वादा किया गया था। वह रकम भी काम के बाद ही मिलनी थी। हालांकि इस दौरान उनके आने-जाने, रुकने, खाने व मोबाइल आदि के खर्च का भुगतान अरुण के कहने पर रविंद्र ही करता था। रामनिवास ने ये भी स्वीकार किया कि रविंद्र उसके लापरवाह रवैये से खुश नहीं था और उसे डांटता रहता था।
अनिल के थे अहसान, मामा बोलता था रविंद्र
जेल गए आरोपी अनिल ने शाही पुलिस को बताया कि उसका गैराज है, जबकि अरुण ट्रांसपोर्ट के धंधे से जुड़ा है। इस वजह से उनका परिचय हो गया था। रविंद्र के एक मामा सोनीपत में रहते हैं जो अनिल के दोस्त हैं। इसी वजह से उसकी रविंद्र से करीबी हुई।
एक मामले में जब घरवाले रविंद्र की जमानत नहीं करा पा रहे थे तो अनिल ने उसकी जमानत कराई थी। तब से रविंद्र उसे मामा कहने लगा था। बताया कि रविंद्र का अपना घर होने के बावजूद अक्सर पुलिस से छिपने के लिए वह उसके गैराज की दीवार कूदकर अंदर सो जाता था।