UP: बरेली में 3171 वक्फ संपत्तियां... पोर्टल पर दर्ज हुआ सिर्फ 236 का ब्योरा; कई के नहीं मिल रहे मुतवल्ली
बरेली जिले में कुल 3,171 वक्फ संपत्तियां हैं, लेकिन पोर्टल पर सिर्फ 236 संपत्तियों का ब्योरा ही दर्ज हो सका है। बताया जा रहा है कि कई संपत्तियों के खतरा-खतौनी गुम हो गए हैं। कई के मुतवल्ली का पता नहीं है।
विस्तार
पांच दिसंबर तक वक्फ संपत्ति का ब्योरा उम्मीद पोर्टल पर दर्ज किया जाना अनिवार्य है। छह जून से यह प्रक्रिया चल रही है। बरेली जिले में अब तक सिर्फ 236 संपत्तियों का ब्योरा ही पोर्टल पर अपलोड हो सका है, जबकि जिले में कुल 3,171 वक्फ संपत्तियां हैं। अब भी 2,935 संपत्तियों का विवरण पोर्टल पर दर्ज किया जाना बाकी है। कहीं मुतवल्ली का पता नहीं तो कहीं वक्फनामा, चौहद्दी, खसरा-खतौनी, नक्शा आदि की अड़चन आ रही है।
जिले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की 3,102 संपत्तियां हैं। इनमें से सिर्फ 218 का ही ब्योरा पोर्टल पर दर्ज हो सका है। शिया वक्फ बोर्ड की 69 में से मात्र 18 संपत्तियों का ब्योरा पोर्टल पर दर्ज हुआ है। सहायक सर्वे कमिश्नर (वक्फ) लालमन का कहना है कि तय समय सीमा में संपत्तियों का विवरण पोर्टल पर दर्ज न होने पर मुतवल्ली खुद जिम्मेदार होंगे।
वक्फ संपत्तियों पर रह रहे हैं लोग
उप्र शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के जिला कोऑर्डिनेटर जमीर रजा का कहना है कि काफी वक्फ संपत्तियों पर लोग निवास कर रहे हैं। वह उसे वक्फ संपत्ति मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उन संपत्तियों के मुतवल्ली भी नहीं हैं। सभी 69 संपत्तियों के मुतवल्ली हैं या नहीं, यह बोर्ड जाने। बोर्ड से उन्हें 65 संपत्तियों की सूची मिली है, जिन्हें पोर्टल पर दर्ज करने के लिए जरूरी अभिलेख ही नहीं हैं।
ज्यादातर संपत्तियों के मुतवल्ली नहीं
उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के जिला कोऑर्डिनेटर नोमान अहमद का कहना है कि ज्यादातर वक्फ संपत्तियों के मुतवल्ली ही नहीं हैं। वर्ष 1987 में वक्फ संपत्तियों का गजट हुआ था। उसमें जिनका नाम मुतवल्ली के तौर पर दर्ज है, उनमें से कई मर चुके हैं। ज्यादातर वक्फ संपत्तियों के मुतवल्ली मौखिक तौर पर घोषित हैं। संपत्तियों के संबंध में बोर्ड की ओर से गठित कमेटियां बेहद सीमित संख्या में हैं।
सहायक सर्वे कमिश्नर (वक्फ) लालमन ने बताया कि वक्फ संपत्तियों का ब्योरा पोर्टल पर दर्ज नहीं होने की स्थिति में क्या होगा, यह केंद्र सरकार तय करेगी। पोर्टल पर संपत्तियों का विवरण दर्ज करने में वक्फनामा, चौहद्दी, खसरा-खतौनी, नक्शा की जरूरत पड़ रही है, जो मुतवल्लियों के पास नहीं हैं। कई संपत्तियों के मुतवल्ली के बारे में भी बोर्ड ने कोई जानकारी नहीं दी है।