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Basti News: पीलिया की चपेट में नवजात, एसएनसीयू फुल
संवाद न्यूज एजेंसी, बस्ती
Updated Sun, 14 Sep 2025 01:58 AM IST
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बस्ती। इन दिनों नवजात में पीलिया का खतरा बढ़ गया है। इसके पीछे गर्भवतियों की ठीक से देखभाल न होना भी कारण बताया जा रहा है। जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड पीलिया से पीड़ित शिशुओं से भर गया है। यहां 22 बच्चे वर्तमान में भर्ती है। इनके इलाज में दवाओं के साथ फोटोथेरेपी ज्यादा कारगर साबित हो रही है।
पीलिया से ग्रसित नवजात बच्चों की संख्या बढ़ने पर एसएनसीयू वार्ड के एक बेड पर दो-दो बच्चे भर्ती किए गए हैं। उनकी फोटोथेरेपी की जा रही है। महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में कुल 18 बेड उपलब्ध है। शनिवार को वार्ड में 22 नवजात भर्ती किए गए थे। इसमें आठ पीलिया से पीड़ित थे। वहीं पांच कम दिन के नवजात थे। अन्य बच्चे विभिन्न बीमारियों से पीड़ित बताए गए। राउंड पर पहुंचे बाल रोग विशेषज्ञ डाॅ. पंकज ने बताया कि माताएं गर्भ धारण के दौरान यदि सजग रहे तो बच्चों में पीलिया की शिकायत नहीं आएगी।
अक्सर खराब खान पान एवं लापरवाही से माताओं के शरीर में खून की कमी हो जाती है। इसका असर गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है। उन्होंने बताया कि बीमार नवजात का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। समय-समय पर चेकअप से वे जल्द स्वस्थ हो जाते हैं। कहा कि नवजात में रक्त कोशिकाओं के समय से न टूटने से पीलिया हो जाती है। इसमें लापरवाही घातक बन जाती है। सावधानी और समय पर उपचार से पीलिया पूरी तरह से ठीक हो जाता है। पीलिया में सूरज की रोशनी लाभदायक होती है। फोटोथेरेपी से इसका इलाज किया जाता है। अगर किसी महिला के पहले बच्चे को पीलिया हुआ है तो दूसरे बच्चे को भी पीलिया होने की संभावना अधिक होती है। चिकित्सक से उसकी जांच अवश्य करवाएं। पीलिया सिर से पैर की तरफ बढ़ता है।

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पीलिया से ग्रसित नवजात बच्चों की संख्या बढ़ने पर एसएनसीयू वार्ड के एक बेड पर दो-दो बच्चे भर्ती किए गए हैं। उनकी फोटोथेरेपी की जा रही है। महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में कुल 18 बेड उपलब्ध है। शनिवार को वार्ड में 22 नवजात भर्ती किए गए थे। इसमें आठ पीलिया से पीड़ित थे। वहीं पांच कम दिन के नवजात थे। अन्य बच्चे विभिन्न बीमारियों से पीड़ित बताए गए। राउंड पर पहुंचे बाल रोग विशेषज्ञ डाॅ. पंकज ने बताया कि माताएं गर्भ धारण के दौरान यदि सजग रहे तो बच्चों में पीलिया की शिकायत नहीं आएगी।
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अक्सर खराब खान पान एवं लापरवाही से माताओं के शरीर में खून की कमी हो जाती है। इसका असर गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है। उन्होंने बताया कि बीमार नवजात का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। समय-समय पर चेकअप से वे जल्द स्वस्थ हो जाते हैं। कहा कि नवजात में रक्त कोशिकाओं के समय से न टूटने से पीलिया हो जाती है। इसमें लापरवाही घातक बन जाती है। सावधानी और समय पर उपचार से पीलिया पूरी तरह से ठीक हो जाता है। पीलिया में सूरज की रोशनी लाभदायक होती है। फोटोथेरेपी से इसका इलाज किया जाता है। अगर किसी महिला के पहले बच्चे को पीलिया हुआ है तो दूसरे बच्चे को भी पीलिया होने की संभावना अधिक होती है। चिकित्सक से उसकी जांच अवश्य करवाएं। पीलिया सिर से पैर की तरफ बढ़ता है।