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रुकमणी संग परिणय सूत्र में बंधे कृष्ण, दूर की सुदामा की दरिद्रता
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उझानी में श्रीमद् भागवत कथा में रुकमणी विवाह का मंचन करते कलाकार। संवाद
- फोटो : BADAUN
उझानी (बदायूं)। श्रीमद् भागवत कथा में रविवार शाम परमानंद महाराज के प्रवचन के दौरान कलाकारों ने रुकमणी विवाह और कृष्ण-सुदामा मिलन का मंचन किया। रुकमणी विवाह के दौरान महिलाओं समेत भक्तों ने कन्यादान की रस्म निभाई तो दोस्त सुदामा से मिलकर कृष्ण ने उनकी दरिद्रता दूर कर दी।
हनुमान गढ़ी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यास गद्दी के पूजन के बाद परमानंद महाराज ने रुकमणी विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा- कृष्ण संग रुकमणी का विवाह जिन परिस्थितियों में हुआ, उसे प्रेम की पराकाष्ठा कह सकते हैं। रुकमणी तो उन्हें पहली बार देखने के बाद ही वर के रूप में चुन चुकीं थीं। कलाकारों ने इसी प्रसंग का मंचन भी किया। रुकमणी और कृष्ण ने एक-दूसरे को जयमाला पहनाई। कन्यादान की रस्म पूर्व राज्यमंत्री विमलकृष्ण अग्रवाल, पालिका सदस्य रामप्रवेश यादव, गोपीबल्लभ शर्मा समेत कई महिलाओं ने निभाई। रुकमणी और कृष्ण बने कलाकारों को भेंट भी दी गई।
कृष्ण और सुदामा के मिलन से भी भक्त रूबरू हुए। कथावाचक बोले कि सच्चे मित्र के इस अनूठे उदाहरण ने समाज को संदेश देने का काम किया है। श्रीकृष्ण जानते थे कि सुदामा उनका मित्र होने के साथ भक्त भी है। वह सुदामा के भक्ति में सबकुछ भुला बैठे। तीन मुट्ठी चावल खाकर वह तो उन्हें तीनों लोक का स्वामी बना देना चाहते थे लेकिन रुकमणी ने अंतिम समय रोक लिया। कथा की व्यवस्थाओं में टीटू गुप्ता, त्रिलोकीनाथ बांगड़ा, नीरज माहेश्वरी, टेड़ामल अग्रवाल, शिव किशोर माहेश्वरी, सुरेश गोयल, कल्पना शर्मा, कुसुम यादव और हृदेश गोयल आदि का सहयोग रहा। संवाद
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कृष्ण और सुदामा के मिलन से भी भक्त रूबरू हुए। कथावाचक बोले कि सच्चे मित्र के इस अनूठे उदाहरण ने समाज को संदेश देने का काम किया है। श्रीकृष्ण जानते थे कि सुदामा उनका मित्र होने के साथ भक्त भी है। वह सुदामा के भक्ति में सबकुछ भुला बैठे। तीन मुट्ठी चावल खाकर वह तो उन्हें तीनों लोक का स्वामी बना देना चाहते थे लेकिन रुकमणी ने अंतिम समय रोक लिया। कथा की व्यवस्थाओं में टीटू गुप्ता, त्रिलोकीनाथ बांगड़ा, नीरज माहेश्वरी, टेड़ामल अग्रवाल, शिव किशोर माहेश्वरी, सुरेश गोयल, कल्पना शर्मा, कुसुम यादव और हृदेश गोयल आदि का सहयोग रहा। संवाद