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दरगाहों पर जायरीन को अनावश्यक रूप से परेशान न करें : आबिद रजा
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पूर्व मंत्री- आबिद रजा
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बदायूं। पूर्व मंत्री आबिद रजा ने जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर शहर की प्रसिद्ध दरगाहों (बड़े सरकार एवं छोटे सरकार) पर आने वाले जायरीन को जांच के नाम पर बेवजह परेशान न किए जाने की मांग की है।
अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि बदायूं की ये दोनों दरगाहें देशभर में आस्था का बड़ा केंद्र हैं, जहां न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे हिन्दुस्तान से हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई श्रद्धालु अकीदत के साथ आते हैं। विभिन्न धर्मों के लोग यहां मन्नत मांगने और रूहानी सुकून के लिए पहुंचते हैं।
आबिद रज़ा ने लिखा कि कई परिवार ऐसे होते हैं जो दरगाहों पर रूहानी इलाज कराने के लिए आते हैं। कई जायरीन यहां 40 दिन का चिल्ला भी करते हैं, जबकि कुछ लोगों का इलाज वर्षों तक चलता है। ऐसे में दरगाहों पर रह रहे श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान किया जाना आवश्यक है।
पूर्व मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि दरगाहों पर बांग्लादेशी, रोहिंग्या अथवा अपराधी किस्म के लोगों की जांच किया जाना उचित है। इसमें उन्हें कोई आपत्ति भी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कार्य में वे स्वयं और शहरवासी पुलिस-प्रशासन का पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने चिंता जताई कि रूहानी इलाज व मन्नत के उद्देश्य से दरगाहों पर ठहरे गरीब और भारतीय जायरीन को जांच के नाम पर अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है, जो उचित नहीं है।
जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया कि वे संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी करें कि बांग्लादेशी, रोहिंग्या अथवा अपराधियों की जांच के अलावा छोटे-बड़े सरकार दरगाहों पर रह रहे भारतीय जायरीन, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, को बेवजह परेशान न किया जाए।
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अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि बदायूं की ये दोनों दरगाहें देशभर में आस्था का बड़ा केंद्र हैं, जहां न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे हिन्दुस्तान से हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई श्रद्धालु अकीदत के साथ आते हैं। विभिन्न धर्मों के लोग यहां मन्नत मांगने और रूहानी सुकून के लिए पहुंचते हैं।
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आबिद रज़ा ने लिखा कि कई परिवार ऐसे होते हैं जो दरगाहों पर रूहानी इलाज कराने के लिए आते हैं। कई जायरीन यहां 40 दिन का चिल्ला भी करते हैं, जबकि कुछ लोगों का इलाज वर्षों तक चलता है। ऐसे में दरगाहों पर रह रहे श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान किया जाना आवश्यक है।
पूर्व मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि दरगाहों पर बांग्लादेशी, रोहिंग्या अथवा अपराधी किस्म के लोगों की जांच किया जाना उचित है। इसमें उन्हें कोई आपत्ति भी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कार्य में वे स्वयं और शहरवासी पुलिस-प्रशासन का पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने चिंता जताई कि रूहानी इलाज व मन्नत के उद्देश्य से दरगाहों पर ठहरे गरीब और भारतीय जायरीन को जांच के नाम पर अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है, जो उचित नहीं है।
जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया कि वे संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी करें कि बांग्लादेशी, रोहिंग्या अथवा अपराधियों की जांच के अलावा छोटे-बड़े सरकार दरगाहों पर रह रहे भारतीय जायरीन, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, को बेवजह परेशान न किया जाए।
