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Budaun News: एमआरएफ सेंटर में पालिका खड़े कर रही अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां
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इस्लामनगर में स्थित एमआरएफ सेंटर। संवाद
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इस्लामनगर/ सहसवान। नगर निकायों में गीले और सूखे कूड़े के करीब 85-85 लाख रुपये से एमआरएफ (मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) सेंटर बनाए गए थे, जो अब लापरवाही की भेंट चढ़ गए हैं। लाखों रुपये खर्च कर तैयार किए गए ये सेंटर कागजों में तो कचरा प्रबंधन सुधारने की बड़ी पहल थे, लेकिन अधिकांश कई साल बाद भी शुरू नहीं हो सके।
जिले की कई नगर निकायों की उदासीनता का नतीजा यह है कि सेंटरों के शटर महीनों से बंद हैं। मशीनें जंग खा रहीं हैं। भवन धूल फांक रहे हैं। जहां कूड़े की छंटाई और पुनर्चक्रण होना चाहिए था, वहां सन्नाटा है। कई जगहों पर तो सेंटरों के आसपास ही कूड़ा जमा होने लगा है। इससे उनके निर्माण का उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा।
इस्लामनगर में स्थित एमआरएफ सेंटर पर सोमवार को सन्नाटा पसरा मिला। हालांकि पालिका की ओर से एमआरएफ सेंटर को पार्किंग स्थल के रूप में उपयोग कर रही है। हालात यह हैं कि वहां पर पालिका अपने टैक्टर-ट्रॉलियां खड़ी कर रही है।
इस्लामनगर के पवनेश, राहुल सिंह आदि का कहना है कि नगर निकायों ने सेंटर तो बनवा दिए, लेकिन इसको संचालन करने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की, जिसकी वजह से यह सेंटर पार्किंग स्थल बनकर रह गए हैं। यहां तक की यहां पर बिजली का भी कनेक्शन हो चुका है। ऐसे में हर माह बिजली का बिल नगर पंचायत अलग से व्यय करेंगी।
वहीं, नगर पालिका परिषद सहसवान की ओर से एमआरएफ सेंटर बनाया गया है, ताकि कूड़े का निस्तारण किया जाएगा, लेकिन यहां पर हालात ही अलग है। सोमवार को दोपहर के समय यहां पर ताला बंद मिला। एमआरएफ सेंटर के हालात देखकर लग रहा था कि यह काफी दिनों से खुला नहीं है। आसपास कूड़े के ढेर लगे हुए थे, लेकिन उनके निस्तारण की सुविधा के लिए बनाया गया यह सेंटर शुरू नहीं किया गया है।
शहर में मैन्युअल चल रहा है काम
शहर नगर पालिका की ओर शेखूपुर रोड पर एमआरएफ सेंटर बनाया गया था, जो पिछले कुछ माह से लगातार संचालित हो रहा है। हालांकि अभी यहां पर मैन्युअल ही काम चल रहा है। पालिका ने अपने कर्मचारियों को लगाकर काम शुरू किया है। बताया जा रहा है जल्द ही यहां पर स्टाफ को बढ़ाकर तेजी से काम किया जाएगा।
एमआरएफ सेंटर क्यों बंद है, इसके बारे में पता कराएंगे। सभी को निर्देश दिए गए हैं कि एमआरएफ सेंटर को सुचारू रूप से संचालित किया जाए, ताकि कूड़े का निस्तारण होता रहे। कहीं भी गंदगी के ढेर न लगें, जिससे लोगों को परेशानी हो। -अरुण कुमार, एडीएम प्रशासन
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जिले की कई नगर निकायों की उदासीनता का नतीजा यह है कि सेंटरों के शटर महीनों से बंद हैं। मशीनें जंग खा रहीं हैं। भवन धूल फांक रहे हैं। जहां कूड़े की छंटाई और पुनर्चक्रण होना चाहिए था, वहां सन्नाटा है। कई जगहों पर तो सेंटरों के आसपास ही कूड़ा जमा होने लगा है। इससे उनके निर्माण का उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा।
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इस्लामनगर में स्थित एमआरएफ सेंटर पर सोमवार को सन्नाटा पसरा मिला। हालांकि पालिका की ओर से एमआरएफ सेंटर को पार्किंग स्थल के रूप में उपयोग कर रही है। हालात यह हैं कि वहां पर पालिका अपने टैक्टर-ट्रॉलियां खड़ी कर रही है।
इस्लामनगर के पवनेश, राहुल सिंह आदि का कहना है कि नगर निकायों ने सेंटर तो बनवा दिए, लेकिन इसको संचालन करने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की, जिसकी वजह से यह सेंटर पार्किंग स्थल बनकर रह गए हैं। यहां तक की यहां पर बिजली का भी कनेक्शन हो चुका है। ऐसे में हर माह बिजली का बिल नगर पंचायत अलग से व्यय करेंगी।
वहीं, नगर पालिका परिषद सहसवान की ओर से एमआरएफ सेंटर बनाया गया है, ताकि कूड़े का निस्तारण किया जाएगा, लेकिन यहां पर हालात ही अलग है। सोमवार को दोपहर के समय यहां पर ताला बंद मिला। एमआरएफ सेंटर के हालात देखकर लग रहा था कि यह काफी दिनों से खुला नहीं है। आसपास कूड़े के ढेर लगे हुए थे, लेकिन उनके निस्तारण की सुविधा के लिए बनाया गया यह सेंटर शुरू नहीं किया गया है।
शहर में मैन्युअल चल रहा है काम
शहर नगर पालिका की ओर शेखूपुर रोड पर एमआरएफ सेंटर बनाया गया था, जो पिछले कुछ माह से लगातार संचालित हो रहा है। हालांकि अभी यहां पर मैन्युअल ही काम चल रहा है। पालिका ने अपने कर्मचारियों को लगाकर काम शुरू किया है। बताया जा रहा है जल्द ही यहां पर स्टाफ को बढ़ाकर तेजी से काम किया जाएगा।
एमआरएफ सेंटर क्यों बंद है, इसके बारे में पता कराएंगे। सभी को निर्देश दिए गए हैं कि एमआरएफ सेंटर को सुचारू रूप से संचालित किया जाए, ताकि कूड़े का निस्तारण होता रहे। कहीं भी गंदगी के ढेर न लगें, जिससे लोगों को परेशानी हो। -अरुण कुमार, एडीएम प्रशासन

इस्लामनगर में स्थित एमआरएफ सेंटर। संवाद

इस्लामनगर में स्थित एमआरएफ सेंटर। संवाद

इस्लामनगर में स्थित एमआरएफ सेंटर। संवाद
