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Chandauli News: निष्ठा, शक्ति, सेवा भाव से श्रीराम के प्रिय बने हनुमान
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चकिया। भगवान श्रीराम और हनुमान जी की मुलकात जीवन का एक निर्णायक क्षण था। यह विचार मानस आयोजित मां काली मंदिर के पोखरे पर श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ की पांचवी निशा पर शनिवार की शाम पंडित सुखेन त्रिपाठी ने व्यक्त किया। प्रेम यज्ञ सेवा समिति की ओर से इस नौ दिवसीय कथा का आयोजन किया गया है।
पंडित सुखेन त्रिपाठी ने कहा कि हनुमान जी की निष्ठा, भक्ति और सेवा भाव ने उन्हें भगवान राम का सबसे प्रिय और अनन्य भक्त बना दिया। श्री हनुमान ने न केवल उनकी भक्ति की नींव रखी, बल्कि रामायण की कथा को भी एक नई दिशा दी। भगवान राम और हनुमान जी की पहली मुलाकात एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण और भावुक प्रसंग है। यह घटना ऋष्यमूक पर्वत के पास घटित हुई, जहां सुग्रीव अपने भाई बाली के डर से शरण लिए हुए थे। जब भगवान राम और लक्ष्मण सीता की खोज में वन-वन भटक रहे थे, तब वे ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे।
सुग्रीव ने उन्हें दूर से देखा और आशंका हुई कि कहीं ये बाली का गुप्तचर तो नहीं हैं, अपनी शंका का निवारण करने के लिए उन्होंने अपने सबसे विश्वासपात्र सेवक हनुमान जी को भेजा, ताकि वे इन दोनों राजकुमारों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। इससे भगवान श्रीराम का साक्षात दर्शन पाकर हनुमान जी वर्षों की तपस्या पूरी हुई और उनकी भक्ति साकार हुई। इस अवसर पर राम अवध पांडेय, विजयानंद द्विवेदी, अरविंद मिश्रा, मोहन तिवारी, अवध बिहारी मिश्रा, रामकिंकर राय, प्रदीप लाल श्रीवास्तव, राकेश पांडेय सहित तमाम श्रोता थे।

पंडित सुखेन त्रिपाठी ने कहा कि हनुमान जी की निष्ठा, भक्ति और सेवा भाव ने उन्हें भगवान राम का सबसे प्रिय और अनन्य भक्त बना दिया। श्री हनुमान ने न केवल उनकी भक्ति की नींव रखी, बल्कि रामायण की कथा को भी एक नई दिशा दी। भगवान राम और हनुमान जी की पहली मुलाकात एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण और भावुक प्रसंग है। यह घटना ऋष्यमूक पर्वत के पास घटित हुई, जहां सुग्रीव अपने भाई बाली के डर से शरण लिए हुए थे। जब भगवान राम और लक्ष्मण सीता की खोज में वन-वन भटक रहे थे, तब वे ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे।
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सुग्रीव ने उन्हें दूर से देखा और आशंका हुई कि कहीं ये बाली का गुप्तचर तो नहीं हैं, अपनी शंका का निवारण करने के लिए उन्होंने अपने सबसे विश्वासपात्र सेवक हनुमान जी को भेजा, ताकि वे इन दोनों राजकुमारों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। इससे भगवान श्रीराम का साक्षात दर्शन पाकर हनुमान जी वर्षों की तपस्या पूरी हुई और उनकी भक्ति साकार हुई। इस अवसर पर राम अवध पांडेय, विजयानंद द्विवेदी, अरविंद मिश्रा, मोहन तिवारी, अवध बिहारी मिश्रा, रामकिंकर राय, प्रदीप लाल श्रीवास्तव, राकेश पांडेय सहित तमाम श्रोता थे।