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Chitrakoot News: पूरी धनराशि जमा कर अगली पेंशन जारी करो...

संवाद न्यूज एजेंसी, चित्रकूट Updated Thu, 11 Dec 2025 11:24 PM IST
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Deposit the entire amount and release the next pension...
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चित्रकूट। कोषागार घोटाले में 93 पेंशनरों के खाते सीज कर उनसे रिकवरी चल रही है। इसमें कई ऐसे पेंशनर्स हैं जिन्होंने उनके खाते में अवैध ढंग से आई लाखों की धनराशि जमा भी कर दी है। अब ऐसे पेंशनर विभागीय अधिकारियों से उनकी अगली पेंशन बहाल कराने की मांग कर रहे हैं।
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मामले में 99 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है। 43.13 करोड़ के घोटाले में अबतक तीन करोड़ 64 लाख से अधिक की रिकवरी हो चुकी है। जानकारी के अनुसार नामजद पेंशनरों में से 27 पेंशनरों ने उनके खाते में आई पूरी धनराशि बैंक के माध्यम से जमा कर दी है। यह पेंशनर अब मांग कर रहे हैं कि उनकी आगे के महीने की पेंशन बहाल की जाए। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच जारी है। हालांकि वरिष्ठ अधिवक्ता रुद्र प्रसाद मिश्र बताते हैं कि अवैध ढंग से खाते में आई धनराशि जमा करने से उनपर लगे आरोप नहीं हटे हैं।
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छह सितंबर को ही ऑडिट टीम को मिले थे संकेत

चित्रकूट। कोषागार विभाग के कामों का नियमानुसार ऑडिट बांदा व प्रयागराज की टीम समय समय पर करती है। इसलिए भी इन ऑडिट टीम पर भी गंभीर सवाल उठे कि आठ साल से चल रहे इस घोटाले को ये टीमें पकड़ नहीं पाईं। माना जा रहा है कि इसके पीछे भी कुछ विभागीय अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत थी।
जानकारी के अनुसार छह सितंबर को ऑडिट टीम ने रिकाॅर्ड खंगाला था। इस दौरान पूर्व वरिष्ठ कोषाधिकारी को भी कार से आते जाते देखा गया था। वह एक पेंशनर मोहनलाल की कार से आते-जाते थे और ऑडिट टीम से भी मिले थे। मोहनलाल के दो खाते संचालित पाए गए हैं। इस समय वह जेल में हैं। वरिष्ठ कोषाधिकारी रमेश सिंह ने बताया कि विभाग में नियमानुसार ऑडिट होता है। (संवाद)

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उलझी रही एसआईटी, प्रपत्रों का चल रहा मिलान

चित्रकूट। कोषागार घोटाला मामले में एसआईटी की जांच में तेजी आई है। सारे प्रपत्र एकत्र करने के बाद मिलान भी हो चुका है। कुछ खातों का विवरण न मिलने से आगे की कार्रवाई में परेशानी हो रही है। खासकर लखनऊ सेंट्रल सर्वर से मिले 15 खातों में पांच खातों का विवरण न मिलने से जांच टीम बृहस्पतिवार को भी उलझी रही। ऑनलाइन भुगतान के अलावा बैंक के स्टेटमेंट में अंतर पर इनके संचालकों के कागजात की जांच की गई। बुधवार को वरिष्ठ कोषाधिकारी रमेश सिंह के अलावा दो एकाउंटेंट राजेश व योगेंद्र को आमने सामने बैठाकर विभागीय एप से भुगतान का विवरण ढूंढा गया लेकिन पूरा रिकाॅर्ड नहीं मिल सका। (संवाद)
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