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Chitrakoot News: जांच न निगरानी...शुद्धता के भरोसे पर बिक रहा बोतल बंद पानी
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-सहालग में बढ़ी डिमांड, 40 से ज्यादा आरओ प्लांट से होती आपूर्ति
फोटो- 4
संवाद न्यूज एजेंसी
चित्रकूट। सहालग सीजन में बोतल बंद पानी की मांग बढ़ी है। जिले में करीब 40 से अधिक आरओ प्लांट लगे हैं। इनके जरिए लोगों के घरों व शादी विवाह में पानी पहुंचाया जा रहा है, मगर इस पानी की न तो गुणवत्ता की कोई जांच हो रही है, न ही कोई देखने वाला है। जल निगम सिर्फ पानी की जांच करता है, जबकि इसकी निगरानी की जिम्मेदारी खाद्य विभाग की है। ऐसे में पानी का कारोबार भरोसे पर हो रहा है।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 40 से ज्यादा आरओ प्लांट चल रहे हैं। वर्तमान में शुद्ध पानी के नाम पर घरों, दफ्तरों में जार के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है। लेकिन पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। वजह, इस पानी के गुणवत्ता की न तो जांच होती है और न ही साफ-सफाई की किसी प्रकार की निगरानी होती है।
कुछ तो बिना पंजीकरण के ही चल रहे हैं। 15 से 20 लीटर पानी के प्रति जार या बोतल बंद पानी की कीमत 20 से 30 रुपये लिए जा रहे हैं। इसके अलावा बोतल बंद पानी में रसायन की मात्रा, उत्पादन और खराबी की तिथि तक नहीं लिखी जा रही है। ऐसे में शुद्ध पानी के नाम पर जल निगम सिर्फ पानी की जांच की करने के लिए ही अधिकृत है। लोगों को सिर्फ ठंडा पानी पिलाया जा रहा है। अशुद्ध पानी से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।जिम्मेदार अधिकारी भी आरओ प्लांट संचालकों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
रासायनिक युक्त पानी से हो सकती जानलेवा बीमारियां
जिला चिकित्सालय के फिजीशियन ऋषि कुमार का कहना है कि पानी में रासायनिक पदार्थों की अधिकता से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। ऐसे में लोगों को स्वच्छ एवं शुद्ध पानी ही पीना चाहिए। केवल डिब्बा बंद पानी के नाम पर शुद्धता की गारंटी नहीं है। ऐसे में लोगों को सतर्कता बरतने की जरूरत है।
वर्जन
एसडीएम पूजा साहू ने बताया कि इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। जल निगम व खाद्य विभाग से जानकारी लेकर गलत तरीके संचालित आरओ प्लांट पर कार्रवाई की जाएगी।
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संवाद न्यूज एजेंसी
चित्रकूट। सहालग सीजन में बोतल बंद पानी की मांग बढ़ी है। जिले में करीब 40 से अधिक आरओ प्लांट लगे हैं। इनके जरिए लोगों के घरों व शादी विवाह में पानी पहुंचाया जा रहा है, मगर इस पानी की न तो गुणवत्ता की कोई जांच हो रही है, न ही कोई देखने वाला है। जल निगम सिर्फ पानी की जांच करता है, जबकि इसकी निगरानी की जिम्मेदारी खाद्य विभाग की है। ऐसे में पानी का कारोबार भरोसे पर हो रहा है।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 40 से ज्यादा आरओ प्लांट चल रहे हैं। वर्तमान में शुद्ध पानी के नाम पर घरों, दफ्तरों में जार के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है। लेकिन पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। वजह, इस पानी के गुणवत्ता की न तो जांच होती है और न ही साफ-सफाई की किसी प्रकार की निगरानी होती है।
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कुछ तो बिना पंजीकरण के ही चल रहे हैं। 15 से 20 लीटर पानी के प्रति जार या बोतल बंद पानी की कीमत 20 से 30 रुपये लिए जा रहे हैं। इसके अलावा बोतल बंद पानी में रसायन की मात्रा, उत्पादन और खराबी की तिथि तक नहीं लिखी जा रही है। ऐसे में शुद्ध पानी के नाम पर जल निगम सिर्फ पानी की जांच की करने के लिए ही अधिकृत है। लोगों को सिर्फ ठंडा पानी पिलाया जा रहा है। अशुद्ध पानी से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।जिम्मेदार अधिकारी भी आरओ प्लांट संचालकों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
रासायनिक युक्त पानी से हो सकती जानलेवा बीमारियां
जिला चिकित्सालय के फिजीशियन ऋषि कुमार का कहना है कि पानी में रासायनिक पदार्थों की अधिकता से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। ऐसे में लोगों को स्वच्छ एवं शुद्ध पानी ही पीना चाहिए। केवल डिब्बा बंद पानी के नाम पर शुद्धता की गारंटी नहीं है। ऐसे में लोगों को सतर्कता बरतने की जरूरत है।
वर्जन
एसडीएम पूजा साहू ने बताया कि इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। जल निगम व खाद्य विभाग से जानकारी लेकर गलत तरीके संचालित आरओ प्लांट पर कार्रवाई की जाएगी।