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Deoria News: सरयू नदी तट पर नहीं लगा पीपा पुल
संवाद न्यूज एजेंसी, देवरिया
Updated Tue, 25 Nov 2025 11:57 PM IST
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बरहज। सरयू नदी तट पर पीडब्ल्यूडी की ओर से 10 दिन बाद भी पीपा पुल नहीं लगाया जा सका है। जिससे लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करने पर मजबूर हैं। जिसको लेकर लोगों में नाराजगी है। हालांकि 2024-25 में डीएम दिव्या मित्तल के अथक प्रयास के बाद पीपा पुल के रास्ते कुछ ही दिनों तक आवागमन कराया जा सका था। इस बार भी विभाग नदी का पाट चौड़ा होने का रोना रो रहा है।
पीडब्ल्यूडी की ओर से 15 नवंबर से 15 जून तक पीपा पुल के रास्ते आवागमन सुलभ कराने का प्रावधान है। लेकिन विभाग की ओर से 10 दिन बाद भी नदी तट पर पीपा पुल लगाने के लिए कोई कार्य शुरु नहीं कराया जा सका है। लोगों का कहना है कि नदी के रास्ते परसियां-विशुनपुर देवार के अलावा मऊ, बलियां, आजमगढ़, वाराणसी, जौनपुर आदि जगहों के लिए लोगों की आवाजाही होती है। मानसून आने से पूर्व पीपा पुल हटा दिया जाता है। लोगों का यह भी कहना है कि नियत समय पर पीपा पुल कभी भी नहीं लगाया जाता है। लेकिन टेंडर प्रक्रिया समय से पूर्ण करा लिया जाता है। निर्माणाधीन मोहन सेतु के अलावा जगह-जगह पांटून बिखरे पड़े हैं। पीपा पुल लगना तो दूर विभाग की ओर से पांटूनों का मरम्मत कराना मुनासिब नहीं समझा जा रहा है। नदी तट पर आवागमन के लिए 325 मीटर चौड़े पाट के लिए 75 पांटून हैं। जिसमें नौ खराब पड़े हुए हैं। जबकि 600 से ज्यादा चक्र प्लेट और पर्याप्त मात्रा में स्लीपर है। बावजूद पिछले कुछ वर्षों से समय से पीपा पुल नहीं लग पा रहा है। रमाशंकर यादव, जगदीश जायसवाल, ओमप्रकाश यादव, मंजनाथ, छोटेलाल, संजय आदि का कहना है कि समय से पीपा पुल न लगने स्कूली छात्र, दूधिया, छोटे-बड़े व्यवसायी, नौकरीपेशा, दिहाड़ी मजदूरों के लिए हमेशा समस्या बनी रहती है। जेई अखिलेश कुमार ने बताया कि नदी का पाट अभी चौड़ा है। सीमित संसाधन होने के कारण विभाग नदी के पीछे हटने का इंतजार कर रहा है। ठेकेदार को पांटूनों के मरम्मत कराने के लिए कहा गया है।
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पीडब्ल्यूडी की ओर से 15 नवंबर से 15 जून तक पीपा पुल के रास्ते आवागमन सुलभ कराने का प्रावधान है। लेकिन विभाग की ओर से 10 दिन बाद भी नदी तट पर पीपा पुल लगाने के लिए कोई कार्य शुरु नहीं कराया जा सका है। लोगों का कहना है कि नदी के रास्ते परसियां-विशुनपुर देवार के अलावा मऊ, बलियां, आजमगढ़, वाराणसी, जौनपुर आदि जगहों के लिए लोगों की आवाजाही होती है। मानसून आने से पूर्व पीपा पुल हटा दिया जाता है। लोगों का यह भी कहना है कि नियत समय पर पीपा पुल कभी भी नहीं लगाया जाता है। लेकिन टेंडर प्रक्रिया समय से पूर्ण करा लिया जाता है। निर्माणाधीन मोहन सेतु के अलावा जगह-जगह पांटून बिखरे पड़े हैं। पीपा पुल लगना तो दूर विभाग की ओर से पांटूनों का मरम्मत कराना मुनासिब नहीं समझा जा रहा है। नदी तट पर आवागमन के लिए 325 मीटर चौड़े पाट के लिए 75 पांटून हैं। जिसमें नौ खराब पड़े हुए हैं। जबकि 600 से ज्यादा चक्र प्लेट और पर्याप्त मात्रा में स्लीपर है। बावजूद पिछले कुछ वर्षों से समय से पीपा पुल नहीं लग पा रहा है। रमाशंकर यादव, जगदीश जायसवाल, ओमप्रकाश यादव, मंजनाथ, छोटेलाल, संजय आदि का कहना है कि समय से पीपा पुल न लगने स्कूली छात्र, दूधिया, छोटे-बड़े व्यवसायी, नौकरीपेशा, दिहाड़ी मजदूरों के लिए हमेशा समस्या बनी रहती है। जेई अखिलेश कुमार ने बताया कि नदी का पाट अभी चौड़ा है। सीमित संसाधन होने के कारण विभाग नदी के पीछे हटने का इंतजार कर रहा है। ठेकेदार को पांटूनों के मरम्मत कराने के लिए कहा गया है।
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