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Farrukhabad News: रैक में आई 1305 मीट्रिक टन यूरिया, 47 सोसाइटी पर भेजने की तैयारी
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फर्रुखाबाद। यूरिया की किल्लत से परेशान आलू, सरसों, गेहूं के किसानों के लिए अच्छी खबर है। इफ्को यूरिया की 1305 मीट्रिक टन यूरिया की रैक आ गई। इसे जिले की 47 सोसाइटी पर भेजने की तैयारी है। आवंटन प्रपत्र जिलाधिकारी के पास भेजा गया है। पिछली साल के सापेक्ष इस बार एक हजार मीट्रिक टन अधिक यूरिया का वितरण हो चुका है।
जिले के सरकारी खाद वितरण केंद्रों पर यूरिया को लेकर मारामारी है। हर रोज किसानों की लंबी कतारें लगती हैं। मांग के अनुरूप किसानों को भरपूर खाद नहीं मिल पा रही है जिससे आलू, गेहूं और सरसों आदि में खाद नहीं डाल पा रहे हैं। बढ़ती मांग को देखते हुए इफको के अधिकारी प्रदीप सिंह ने दो रैक यूरिया मांगी थी।
बुधवार देर रात 1305.495 मीट्रिक टन यूरिया आ गई। एआर कोऑपरेटिव अजय पालीवाल ने बताया कि यूरिया जिले की 47 समितियों और केंद्रों पर भेजी जाएगी। इसका आवंटन प्रपत्र जिलाधिकारी के पास भेजा गया है। पिछली साल 6460 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण हुआ था जबकि अभी तक 7044 मीट्रिक टन वितरित हो चुकी है। दिसंबर तक आठ हजार मीट्रिक टन यूरिया बांटने का लक्ष्य है।
किसानों ने डीएपी व एनपीके से बनाई दूरी
एआर कोऑपरेटिव अजय पालीवाल ने बताया कि पिछली साल डीएपी 1593 मीट्रिक टन वितरित हुई थी जबकि इस बार 4781 मीट्रिक टन बांटी गई। अभी 550 मीट्रिक टन भंडारण शेष है। पिछली साल एनपीके 8376 मीट्रिक टन वितरित हुई और इस बार 3012 मीट्रिक टन। अभी 1700 मीट्रिक टन भंडारित होने के बावजूद किसान नहीं खरीद रहे। इसके पीछे मुख्य वजह बोरी महंगी होना बताया जा रहा है।
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जिले के सरकारी खाद वितरण केंद्रों पर यूरिया को लेकर मारामारी है। हर रोज किसानों की लंबी कतारें लगती हैं। मांग के अनुरूप किसानों को भरपूर खाद नहीं मिल पा रही है जिससे आलू, गेहूं और सरसों आदि में खाद नहीं डाल पा रहे हैं। बढ़ती मांग को देखते हुए इफको के अधिकारी प्रदीप सिंह ने दो रैक यूरिया मांगी थी।
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बुधवार देर रात 1305.495 मीट्रिक टन यूरिया आ गई। एआर कोऑपरेटिव अजय पालीवाल ने बताया कि यूरिया जिले की 47 समितियों और केंद्रों पर भेजी जाएगी। इसका आवंटन प्रपत्र जिलाधिकारी के पास भेजा गया है। पिछली साल 6460 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण हुआ था जबकि अभी तक 7044 मीट्रिक टन वितरित हो चुकी है। दिसंबर तक आठ हजार मीट्रिक टन यूरिया बांटने का लक्ष्य है।
किसानों ने डीएपी व एनपीके से बनाई दूरी
एआर कोऑपरेटिव अजय पालीवाल ने बताया कि पिछली साल डीएपी 1593 मीट्रिक टन वितरित हुई थी जबकि इस बार 4781 मीट्रिक टन बांटी गई। अभी 550 मीट्रिक टन भंडारण शेष है। पिछली साल एनपीके 8376 मीट्रिक टन वितरित हुई और इस बार 3012 मीट्रिक टन। अभी 1700 मीट्रिक टन भंडारित होने के बावजूद किसान नहीं खरीद रहे। इसके पीछे मुख्य वजह बोरी महंगी होना बताया जा रहा है।