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Farrukhabad News: मायके-ससुराल से नहीं मिला प्रमाण, एसआईआर अटका
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कायमगंज। एसआईआर अभियान में गुरुवार को भी फार्म अपलोड न होने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। गांव रायपुर के बूथों पर सुबह से ही भीड़ रही लेकिन कई लोगों के दस्तावेज अपूर्ण होने के कारण उनका एसआईआर पूरा नहीं हो सका।
गांव रायपुर के बूथ संख्या 134 की शहाना बेगम दिनभर चक्कर लगाती रहीं। उनका मायका भी गांव में ही है लेकिन पिता का 45 वर्ष पहले और माता का 5-6 वर्ष पहले निधन हो गया था। पति मसनद खां का 2003 की मतदाता सूची में नाम नहीं मिला। इस कारण उनका कोई वैध प्रमाण नहीं मिला जिससे उनका प्रपत्र अपलोड नहीं हो सका। बीएलओ ने उनका नाम नाइदर श्रेणी में डाल दिया। शहाना ने चाचा आफताब खां का प्रमाण भी दिया लेकिन वह भी सिस्टम में अपलोड नहीं हो पाया।
इसी तरह उनके देवर चांद मियां को भी 2003 की सूची में क्रमांक न मिलने से नाइदर में रखा गया है। चांद मियां के पिता का 15 वर्ष पहले और माता का 35 वर्ष पहले निधन हो चुका है। पत्नी नगीना बेगम की मां का निधन 45 वर्ष पहले हो गया था। दस्तावेज न होने से पूरा परिवार दिक्कत में है। उनकी बेटी नाजरीन का भी एसआईआर नहीं हो सका। रायपुर गांव में काफी लोग नाइदर श्रेणी में चले गए।
बूथ संख्या 137 के बीएलओ सुरेंद्र सिंह ने बताया कि 838 फार्मों में से 763 डिजिटाइज हुए जबकि 65 नाइदर में हैं। बीएलओ सत्यप्रकाश ने बताया कि बूथ संख्या 136 में 1094 में से 841 डिजिटाइज और 253 नाइदर में गए। बूथ संख्या 134 में 1078 फार्मों में से 928 डिजिटाइज हुए जबकि 150 नाइदर श्रेणी में हैं। गांव के समाज सेवी सैय्यदैन शाह ने बताया कि प्रमाणपत्रों की कमी और 2003 मतदाता सूची में नाम न मिलने से कई परिवारों का एसआईआर लटक गया है।
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गांव रायपुर के बूथ संख्या 134 की शहाना बेगम दिनभर चक्कर लगाती रहीं। उनका मायका भी गांव में ही है लेकिन पिता का 45 वर्ष पहले और माता का 5-6 वर्ष पहले निधन हो गया था। पति मसनद खां का 2003 की मतदाता सूची में नाम नहीं मिला। इस कारण उनका कोई वैध प्रमाण नहीं मिला जिससे उनका प्रपत्र अपलोड नहीं हो सका। बीएलओ ने उनका नाम नाइदर श्रेणी में डाल दिया। शहाना ने चाचा आफताब खां का प्रमाण भी दिया लेकिन वह भी सिस्टम में अपलोड नहीं हो पाया।
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इसी तरह उनके देवर चांद मियां को भी 2003 की सूची में क्रमांक न मिलने से नाइदर में रखा गया है। चांद मियां के पिता का 15 वर्ष पहले और माता का 35 वर्ष पहले निधन हो चुका है। पत्नी नगीना बेगम की मां का निधन 45 वर्ष पहले हो गया था। दस्तावेज न होने से पूरा परिवार दिक्कत में है। उनकी बेटी नाजरीन का भी एसआईआर नहीं हो सका। रायपुर गांव में काफी लोग नाइदर श्रेणी में चले गए।
बूथ संख्या 137 के बीएलओ सुरेंद्र सिंह ने बताया कि 838 फार्मों में से 763 डिजिटाइज हुए जबकि 65 नाइदर में हैं। बीएलओ सत्यप्रकाश ने बताया कि बूथ संख्या 136 में 1094 में से 841 डिजिटाइज और 253 नाइदर में गए। बूथ संख्या 134 में 1078 फार्मों में से 928 डिजिटाइज हुए जबकि 150 नाइदर श्रेणी में हैं। गांव के समाज सेवी सैय्यदैन शाह ने बताया कि प्रमाणपत्रों की कमी और 2003 मतदाता सूची में नाम न मिलने से कई परिवारों का एसआईआर लटक गया है।