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Farrukhabad News: बाढ़ में डूब रही शिक्षा की नाव, बच्चों के भविष्य पर लगा दांव
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फोटो-16, पांचाल घाट बंधा स्कूल के चारों ओर भरा पानी। संवाद
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फर्रुखाबाद। गंगा और रामगंगा की बाढ़ ने जिले की शिक्षा व्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है। जनपद के करीब 150 स्कूल पिछले एक माह से बंद पड़े हैं। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले लगभग 8,000 बच्चे शिक्षा से वंचित हैं।
बाढ़ का पानी उतरने के बाद कुछ विद्यालय खुले लेकिन जलस्तर बढ़ने से वे दोबारा बंद होने की स्थिति में पहुंच गए। जिन स्कूलों में अब भी पानी भरा है, वहां अभिभावक बच्चों को भेजने से कतरा रहे हैं। बाढ़ प्रभावित विद्यालयों के शिक्षकों को अन्य स्कूलों में संबद्ध किया गया है। एक साथ करीब 50 शिक्षकों के संबद्धीकरण से कक्षाओं में बच्चों के बैठने का स्थान नहीं बचा है। कई शिक्षक बाइक पर या सड़क किनारे बैठकर समय काटते दिखे।
कुछ थोड़ी देर रुकने के बाद घर लौट जाते हैं। बाढ़ के चलते राजेपुर ब्लॉक के लायलपुर, उदयपुर, जगतपुर, कुबेरपुर, कुतुलूपुर, कुसुमापुर, हरिहरपुर, दौलतपुर चकई, सलेमपुर, भुसेरा, पट्टी भरखा, चित्रकूट, दारापुर, सुंदरपुर, कछुआ गाढ़ा, बरुआ, इमादपुर पमारान, ऊगरपुर आदि गांवों के स्कूल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
बच्चों और अभिभावकों की पीड़ा
कक्षा पांच की छात्रा अनामिका ने बताया कि स्कूल बंद होने से पढ़ाई रुक गई है। घर पर किताबें तो हैं, लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है।”
कछुआ गाढ़ा गांव के रहने वाले रामेश्वर बतातें हैं कि हम बच्चों को पानी भरे स्कूल में नहीं भेज सकते। अगर प्रशासन कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर दे तो बच्चों का साल खराब होने से बच जाएगा।
कक्षा सात में पढ़ने वाली रीना कहती है कि हमारे स्कूल के शिक्षक दूसरे गांव चले गए हैं। वहां भी भीड़ इतनी है कि पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती।
बोले जिम्मेदार
बाढ़ प्रभावित विद्यालयों के बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए शिक्षकों को नजदीकी स्कूलों में संबद्ध किया गया है। स्थिति सामान्य होते ही सभी विद्यालय फिर से खोले जाएंगे। फिलहाल सुरक्षा कारणों से बंद स्कूलों में बच्चों को भेजना संभव नहीं है। वहीं जिन स्कूलों से पानी निकल गया है, उनमें शिक्षण कार्य शुरू कराने के आदेश दिए गए हैं।
- राजीव श्रीवास्तव, खंड शिक्षा अधिकारी, राजेपुर

बाढ़ का पानी उतरने के बाद कुछ विद्यालय खुले लेकिन जलस्तर बढ़ने से वे दोबारा बंद होने की स्थिति में पहुंच गए। जिन स्कूलों में अब भी पानी भरा है, वहां अभिभावक बच्चों को भेजने से कतरा रहे हैं। बाढ़ प्रभावित विद्यालयों के शिक्षकों को अन्य स्कूलों में संबद्ध किया गया है। एक साथ करीब 50 शिक्षकों के संबद्धीकरण से कक्षाओं में बच्चों के बैठने का स्थान नहीं बचा है। कई शिक्षक बाइक पर या सड़क किनारे बैठकर समय काटते दिखे।
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कुछ थोड़ी देर रुकने के बाद घर लौट जाते हैं। बाढ़ के चलते राजेपुर ब्लॉक के लायलपुर, उदयपुर, जगतपुर, कुबेरपुर, कुतुलूपुर, कुसुमापुर, हरिहरपुर, दौलतपुर चकई, सलेमपुर, भुसेरा, पट्टी भरखा, चित्रकूट, दारापुर, सुंदरपुर, कछुआ गाढ़ा, बरुआ, इमादपुर पमारान, ऊगरपुर आदि गांवों के स्कूल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
बच्चों और अभिभावकों की पीड़ा
कक्षा पांच की छात्रा अनामिका ने बताया कि स्कूल बंद होने से पढ़ाई रुक गई है। घर पर किताबें तो हैं, लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है।”
कछुआ गाढ़ा गांव के रहने वाले रामेश्वर बतातें हैं कि हम बच्चों को पानी भरे स्कूल में नहीं भेज सकते। अगर प्रशासन कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर दे तो बच्चों का साल खराब होने से बच जाएगा।
कक्षा सात में पढ़ने वाली रीना कहती है कि हमारे स्कूल के शिक्षक दूसरे गांव चले गए हैं। वहां भी भीड़ इतनी है कि पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती।
बोले जिम्मेदार
बाढ़ प्रभावित विद्यालयों के बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए शिक्षकों को नजदीकी स्कूलों में संबद्ध किया गया है। स्थिति सामान्य होते ही सभी विद्यालय फिर से खोले जाएंगे। फिलहाल सुरक्षा कारणों से बंद स्कूलों में बच्चों को भेजना संभव नहीं है। वहीं जिन स्कूलों से पानी निकल गया है, उनमें शिक्षण कार्य शुरू कराने के आदेश दिए गए हैं।
- राजीव श्रीवास्तव, खंड शिक्षा अधिकारी, राजेपुर
फोटो-16, पांचाल घाट बंधा स्कूल के चारों ओर भरा पानी। संवाद