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Firozabad News: सुविधाओं का है अभाव है साहब... स्टाफ, न फर्नीचर कैसे कराएंगे परीक्षा
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फिरोजाबाद। नकलविहीन परीक्षा कराने की शासन की मंशा को जिले के राजकीय विद्यालयों से बड़ा झटका लगा है। शासन ने परीक्षा केंद्र बनाने के लिए पहले चरण में वित्तविहीन कॉलेजों को हटाकर राजकीय कॉलेजों को प्राथमिकता दी थी, लेकिन इन राजकीय विद्यालयों ने संसाधनों के अभाव का हवाला देते हुए परीक्षा केंद्र बनने से असमर्थता जताई है।
बुधवार को कुल पांच राजकीय कॉलेजों ने परीक्षा केंद्रों की सूची पर आधिकारिक रूप से आपत्ति जताते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय में अपनी शिकायत जमा कराई। प्रधानाचार्यों का तर्क है कि उनके विद्यालयों में निम्नलिखित सुविधाओं का घोर अभाव है जिसके चलते वे नकलविहीन परीक्षा कराने में सक्षम नहीं हैं। प्रधानाचार्यों ने कहा कि विद्यालयों में न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही पर्याप्त फर्नीचर, सीसीटीवी कैमरे, इन्वर्टर और अन्य जरूरी उपकरण नहीं है। राजकीय विद्यालयों की इस आपत्ति के बाद शासन की ओर से जारी पहली परीक्षा केंद्र सूची में बदलाव होना लगभग तय माना जा रहा है। राजकीय विद्यालयों की सुविधाओं की कमी का यह खुलासा शिक्षा व्यवस्था के बुनियादी ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
दो दिन में 74 आपत्तियां दर्ज
परीक्षा केंद्रों की नई सूची जारी होने के बाद से ही असंतुष्टता का माहौल है। पहले दिन मंगलवार को 32 आपत्तियां दर्ज हुई थीं। दूसरे दिन बुधवार को डीआईओएस कार्यालय में 42 आपत्तियां पहुंची जिसमें पांच राजकीय विद्यालयों की आपत्तियां शामिल हैं। कुल 74 आपत्तियां दो दिनों में दर्ज की जा चुकी हैं।
सूची में हुआ है बदलाव
शासन द्वारा जारी संशोधित सूची में 27 वित्तविहीन विद्यालयों को हटा दिया गया है और उनके स्थान पर छह राजकीय, दो सहायता प्राप्त और सात नए वित्तविहीन विद्यालयों के नाम जोड़े गए हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) धीरेंद्र यादव ने बताया कि शासन से परीक्षा केंद्रों की सूची जारी हुई है। जो आपत्तियां आ रही हैं, उन पर एक कमेटी विचार करेगी। शासन स्तर से ही अगली सूची जारी होगी।
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बुधवार को कुल पांच राजकीय कॉलेजों ने परीक्षा केंद्रों की सूची पर आधिकारिक रूप से आपत्ति जताते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय में अपनी शिकायत जमा कराई। प्रधानाचार्यों का तर्क है कि उनके विद्यालयों में निम्नलिखित सुविधाओं का घोर अभाव है जिसके चलते वे नकलविहीन परीक्षा कराने में सक्षम नहीं हैं। प्रधानाचार्यों ने कहा कि विद्यालयों में न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही पर्याप्त फर्नीचर, सीसीटीवी कैमरे, इन्वर्टर और अन्य जरूरी उपकरण नहीं है। राजकीय विद्यालयों की इस आपत्ति के बाद शासन की ओर से जारी पहली परीक्षा केंद्र सूची में बदलाव होना लगभग तय माना जा रहा है। राजकीय विद्यालयों की सुविधाओं की कमी का यह खुलासा शिक्षा व्यवस्था के बुनियादी ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
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दो दिन में 74 आपत्तियां दर्ज
परीक्षा केंद्रों की नई सूची जारी होने के बाद से ही असंतुष्टता का माहौल है। पहले दिन मंगलवार को 32 आपत्तियां दर्ज हुई थीं। दूसरे दिन बुधवार को डीआईओएस कार्यालय में 42 आपत्तियां पहुंची जिसमें पांच राजकीय विद्यालयों की आपत्तियां शामिल हैं। कुल 74 आपत्तियां दो दिनों में दर्ज की जा चुकी हैं।
सूची में हुआ है बदलाव
शासन द्वारा जारी संशोधित सूची में 27 वित्तविहीन विद्यालयों को हटा दिया गया है और उनके स्थान पर छह राजकीय, दो सहायता प्राप्त और सात नए वित्तविहीन विद्यालयों के नाम जोड़े गए हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) धीरेंद्र यादव ने बताया कि शासन से परीक्षा केंद्रों की सूची जारी हुई है। जो आपत्तियां आ रही हैं, उन पर एक कमेटी विचार करेगी। शासन स्तर से ही अगली सूची जारी होगी।